मुंबई: बॉलीवुड के दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की मौत के मामले में मीडिया की कवरेज को बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay HC) ने ‘मीडिया ट्रायल’ बताया है. आज सोमवार (18 जनवरी, 2021) को इस मामले पर मीडिया ने जिस तरह से कवरेट की उसपर बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है, ”मीडिया ट्रायल’ केबल टीवी नेटवर्क विनियमन अधिनियम के तहत प्रोग्राम कोड का उल्लंघन करता है.’
कोर्ट ने कहा कि आत्महत्या के मामलों में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा भारतीय प्रेस परिषद के दिशानिर्देशों का पालन किया जाना चाहिए. साथ ही कहा कि एक मीडिया ट्रायल केबल टीवी नेटवर्क रेग्युलेटरी एक्ट के तहत प्रोग्राम कोड का उल्लंघन करता है. यह भी कहा कि किसी भी मामले की चल रही जांच के दौरान एक मीडिया ट्रायल जांच को प्रभावित करता है.
सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की मौत की जांच के बीच अदालत ने फैसला सुनाया, ‘आपराधिक मामलों में मीडिया द्वारा मुकदमा न्याय प्रशासन को बाधित करेगा.’ आगे कहा गया कि आत्महत्या के मामलों में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के दिशानिर्देशों का पालन किया जाना चाहिए, जब तक कि कुछ नए दिशानिर्देशों को तैयार नहीं किया जाता है.
अदालत ने कहा, ‘जब तक नियामक अधिकारी आत्महत्या से होने वाली मौतों के मामलों को कवर करने के लिए कुछ दिशानिर्देशों को लागू नहीं करते हैं, तब तक टीवी और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए.’
अदालत ने यह भी कहा कि टीवी चैनलों (एसोसिएशनों के माध्यम से) के स्व-नियमन की कोई कानूनी पवित्रता नहीं है और टीवी चैनलों द्वारा मुंबई पुलिस की आलोचना अनुचित थी. उन्होंने कहा, ‘हम सीबीआई द्वारा एसएसआर जांच को कवर करने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाना चाहते हैं, लेकिन मीडिया को दिशानिर्देशों का पालन करना होगा और आत्म-नियमन करना होगा.’
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा, ‘सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने अपने कार्यों को रद्द कर दिया.’ पीठ ने यह भी कहा कि मीडिया को आरोपी, पीड़ित, जांच अधिकारी की चरित्र हत्या से बचना चाहिए. यह भी कहा कि मीडिया को ऐसे मामलों में गवाहों, जांच अधिकारी, आरोपी, पीड़ित परिवार आदि का साक्षात्कार लेने से बचना चाहिए.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा, ‘किसी भी व्यक्ति, आरोपी, पीड़ित आदि के अपराध या निर्दोषता को बढ़ावा देने से मीडिया को बचना चाहिए. भविष्य के किसी भी मामले में कार्रवाई के भविष्य के बारे में बात करने से बचना चाहिए.’