राजसमंद हत्याकांड मामले में सुप्रीमकोर्ट ने राजस्थान से मांगा जवाब

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राजस्थान के राजसमंद में मोहम्मद अफ़रज़ुल की हत्या के मामले सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार और केंद्र से जवाब मांगा है.  मृतक की पत्नी गुलबहार बीबी ने मामले की स्वतंत्र जांच कराने के लिए याचिका दी है.राजस्थान के राजसमंद में लव जिहाद के नाम पर क्रूर तरीके से हत्या कर वीडियो बनाने के मामले ने सनसनी मचा दी है. लेकिन इस मामले में कुछ ऐसे तथ्य हाथ लगे हैं, जिनसे लग रहा है कि इस हत्याकांड के पीछे आरोपी के अलावा कुछ और लोगों की साजिश थी.

बता दें कि एक शख्स को कथित लव-जिहाद के मामले को लेकर जिंदा जला दिया गया है. यही नहीं अपराधियों ने इस जुर्म का वीडियो भी बनाया और बाद में उसे सोशल मीडिया पर भी डाल दिया था.आरोपी का नाम शम्भूनाथ  है. सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो काफी तेजी से वायरल हो गया है. ये पूरी घटना राजसमंद के देवनागर इलाके में देव हेरिटेज रोड पर हुई. मृतक की पहचान  मोहम्मद अफराजुल के रूप में की गई थी. पुलिस के मुताबिक, शंभूनाथ अफराजुल को काम दिलाने के बहाने ले गया और पहुंचने के बाद उसने बेरहमी से उसकी हत्या कर दी. सवाल उठ रहे हैं कि क्या कुछ लोग आरोपी शंभू दयाल रैगर के दिमाग में लव जिहाद का जहर भर रहे थे.साथ ही बताया जा रहा है कि वह पिछले दो साल से कट्टरपंथी हिंदु साहित्य पढ़ रहा था और ऐसे लोगों के संपर्क में था जो शम्भु को लव जिहाद के सामग्री उपलब्ध करा  रहे थे. हिंदु एकता के नाम पर आरोपी को भड़काया गया. वह खुद दलित था लेकिन दलित आरक्षण के खिलाफ था . ऐसे में मुख्य सवाल ये उठता है कि आखिर वो कौन लोग हैं जो शम्भू को हिंदू-एकता  के नाम पर भड़का रहे थे. वह पिछले दो साल से कोई काम भी नहीं कर रहा था बस दिन भर वीडियो देखता रहता था. पुलिस ने अभी तक यह भी नहीं बताया है कि वीडियो बना रहा आरोपी का भांजा साजिश में शामिल था या नहीं.

सुप्रीमकोर्ट का फैसला

इसके साथ ही ज्यादा मुआवजा और हत्या के वीडियो को इंटरनेट और ग्रुप से डिलीट करने की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दे कि वो ऑनलाइन ‘लव जिहाद’ से संबंधित जो वीडियो है उसके सर्कुलेशन पर रोक लगाए. ऐसे वीडियो की वजह से दोनों समुदायों के बीच विवाद बढ़ता है. मोहम्मद अफ़रज़ूल को राजस्थान के राजसमंद में मार कर जला दिया गया था. उसके बाद इस घटना का वीडियो भी बना लिया गया. मामले की अगुवाई के लिए अगली तारीख 2 अप्रैल घोषित की गयी है.