ताजमहल को लेकर सुप्रीम कोर्ट चिंतित, योगी सरकार से मांगे दस्तावेज

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योगी सरकार से नाराज़ सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर ताजमहल के आसपास बढ़ रही गतिविधियों पर सवाल उठाया है. साथ ही इस इलाके में चमड़े और कांच की बढ़ती फैक्‍टरी पर  भी सरकार से जानकारी मांगी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो ताजमहल को लेकर काफ़ी चिंतित है.

प्यार की मिसाल माना जाने वाला दुनिया का अनोखा अजूबा ताजमहल चिंता का विषय बन गया है. उत्तरप्रदेश सरकार ताजमहल के आसपास और ताज ट्रेपिजियम जोन (टीटीजेड) में पर्यावरण संरक्षण को लेकर बेहद गंभीर है. १७ नवम्बर २०१७ को ताजमहल संरक्षण मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में कार्यवाही हुई थी. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से ताजमहल और टीटीजेड के संरक्षण को लेकर विस्तृत पोलिसी मांगने का आग्रह किया था.  जिसके बाद यूपी सरकार ने कोर्ट में पोलिसी पेश की थी. पोलिसी के मुताबिक 500 मीटर के दायरे में पर्यटक वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. सिर्फ वहां के निवासियों के वाहनों को 500 मीटर के दायरे में आवाजाही की इजाजत दी गई थी.

इसके अलावा उच्च न्यायालय ने योगी सरकार से ताजमहल सुरक्षा को लेकर एक विजन डॉक्यूमेंट भी मांगा था. दरअसल १६ नवम्बर की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट द्वारा ताजमहल को १०० साल तक सुरक्षित रखने के लिए एक विजन डॉक्यूमेंट मांगा गया था, जिसका यूपी सरकार की तरफ से अभी तक कोई ख़ास जवाब नहीं आया है.

बता दें कि यूपी सरकार द्वारा पिछली सुनवाई में मथुरा और दिल्ली के बीच करीब 80 किलोमीटर क्षेत्र में एक अतिरिक्त रेल लाइन बिछाने के लिए लगभग 450 पेड़ काटने की अनुमति मांगी गयी थी.

फिलहाल सुप्रीमकोर्ट आगरा शहर मेंYogi - पानी की पाइपलाइन बिछाने के लिए 234 पेड काटने की इजाजत नहीं दी और कहा कि पहले ये बताए कि अभी तक इलाके में कितने पेड़ लगाए हैं. इसके तहत कोर्ट ने यूपी सरकार पर विश्व प्रसिद्ध ताज महल को ‘नष्ट करने का आरोप लगाया है.हाल ही में हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ताज के लिए विजन डाक्यूमेंट देने के लिए भी चार हफ्ते का वक्त दिया. इस मामले पर अब चार हफ्ते बाद सुनवाई होनी है. क्यूंकि यूपी सरकार ने हमेशा की तरह इस बार भी कोर्ट में विजन डॉक्यूमेंट पेश करने के लिए समय माँगा है.