Supreme Court का यह आदेश Yogi सरकार के लिए खड़ी कर सकता है मुश्किलें, क्या अदालत का निर्णय बनेगी नजीर? h3>
लखनऊ: मुरादाबाद के समाजवादी पार्टी नेता युसुफ मलिक पर जिस प्रकार से राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत केस दर्ज किया गया। करीब एक साल से उन्हें नजरबंद करके रखा गया। उस मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश आया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राजनीतिक मामलों में एनएसए लगाया जाना कानून का दुरुपयोग है। इस प्रकार के मामलों में प्रशासन को एनएसए जैसा कानून लगाए जाने से पहले विचार करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की दलीलों को खारिज कर दिया। सरकार पर कड़ी टिप्पणी की। राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के मसलों में एनएसए लगाए जाने पर अधिकारियों को कड़ी नसीहत दी। ऐसे में अब सवाल उठने लगा है कि क्या योगी आदित्यनाथ सरकार इस प्रकार के मामलों पर रोक लगाएगी? क्या राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के मामलों में एनएसए जैसे कड़े कानून लागू किए जाएंगे? कभी सांसद रहे सीएम योगी आदित्यनाथ पर एनएसए लगाया गया था। वर्ष 2019 से अब तक योगी सरकार में करीब 125 लोगों के खिलाफ एनएसए लगाया गया। हालांकि, कोर्ट में वर्ष 2022 तक केवल 22 लोगों पर लगे एनएसए के आरोप टिक पाए। ताजा मामला मुरादाबाद के सपा नेता युसुफ मलिक के खिलाफ लगे एनएसए को सुप्रीम कोर्ट से रद किए जाने का है।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर खड़े किए गंभीर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने युसुफ मलिक पर लगे एनएसए चार्ज को रद्द करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इस मामले में सरकार पर गंभीर सवाल खड़े किए। राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के मामलों में अधिकारियों की ओर से कार्रवाई पर सवाल उठा। मामले की गंभीरता को जाने समझे बिना ऐसे आरोप लगाए जाने को लेकर कड़ी टिप्पणी की गई है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान अधिकारियों की समझ पर सवाल खड़ा किया गया।
दरअसल, युसुफ पर अपर नगर आयुक्त को होल्डिंग टैक्स बकाए की वसूली के मामले में नोटिस जारी किए जाने के बाद धमकाने और देख लेने जैसी धमकी देने का आरोप लगा था। इस मामले में सपा नेता पर अप्रैल 2022 में एनएसए की धारा 3(2) के तहत के तहत मामला दर्ज हुआ। यूपी पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया। युसुफ को नजरबंद कर दिया गया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे युसुफ को बड़ी राहत दी गई है।
कोर्ट के आदेश ने बढ़ाई हलचल
सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने हलचल तेज कर दी है। सरकार की ओर से ताबड़तोड़ लगाए जा रहे एनएसए चार्ज को लेकर भी लगातार सवाल उठते रहे हैं। पिछले दिनों यूपी बोर्ड परीक्षा में नकल के मामलों में भी एनएसए लगाए जाने का निर्णय लिया गया। पिछले वर्ष जुमे की नमाज के बाद हिंसा मामले में प्रयागराज के जावेद मोहम्मद पर भी एनएसए लगाया गया था। इसके अलावा कई अन्य आरोपियों पर इस प्रकार के मामले लगाए गए थे। हालांकि, राजनीतिक मामलों में भी बड़े स्तर पर एनएसए लगाए जाने का मामला सामने आया। वर्ष 2018 में योगी सरकार की ओर से 160 मामलों में एनएसए लगाया गया। कोर्ट में अधिकांश मामले टिक नहीं पाए। वहीं, वर्ष 2019 से वर्ष 2022 तक 123 एनएसए के तहत केस दर्ज हुए। कोर्ट ने इनमें से 102 को रद्द कर दिया था।
युसुफ मलिक पर लगे आरोपों को खारिज करने के साथ सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कड़ी नसीहत भी दी है। सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने जब 24 अप्रैल को डिटेंशन अवधि खत्म होने की बात कही। किसी प्रकार का आदेश न पारित करने का अनुरोध किया तो कोर्ट ने कड़ा रुख दिखाया। युसुफ मलिक के डिटेंशन को समाप्त करने की बात कही है। इससे माना जा रहा है कि सरकार अब इस प्रकार के मामलों में एनएसए लगाने से पहले एक बार जरूर विचार करेगी।
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सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर खड़े किए गंभीर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने युसुफ मलिक पर लगे एनएसए चार्ज को रद्द करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इस मामले में सरकार पर गंभीर सवाल खड़े किए। राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के मामलों में अधिकारियों की ओर से कार्रवाई पर सवाल उठा। मामले की गंभीरता को जाने समझे बिना ऐसे आरोप लगाए जाने को लेकर कड़ी टिप्पणी की गई है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान अधिकारियों की समझ पर सवाल खड़ा किया गया।
दरअसल, युसुफ पर अपर नगर आयुक्त को होल्डिंग टैक्स बकाए की वसूली के मामले में नोटिस जारी किए जाने के बाद धमकाने और देख लेने जैसी धमकी देने का आरोप लगा था। इस मामले में सपा नेता पर अप्रैल 2022 में एनएसए की धारा 3(2) के तहत के तहत मामला दर्ज हुआ। यूपी पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया। युसुफ को नजरबंद कर दिया गया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे युसुफ को बड़ी राहत दी गई है।
कोर्ट के आदेश ने बढ़ाई हलचल
सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने हलचल तेज कर दी है। सरकार की ओर से ताबड़तोड़ लगाए जा रहे एनएसए चार्ज को लेकर भी लगातार सवाल उठते रहे हैं। पिछले दिनों यूपी बोर्ड परीक्षा में नकल के मामलों में भी एनएसए लगाए जाने का निर्णय लिया गया। पिछले वर्ष जुमे की नमाज के बाद हिंसा मामले में प्रयागराज के जावेद मोहम्मद पर भी एनएसए लगाया गया था। इसके अलावा कई अन्य आरोपियों पर इस प्रकार के मामले लगाए गए थे। हालांकि, राजनीतिक मामलों में भी बड़े स्तर पर एनएसए लगाए जाने का मामला सामने आया। वर्ष 2018 में योगी सरकार की ओर से 160 मामलों में एनएसए लगाया गया। कोर्ट में अधिकांश मामले टिक नहीं पाए। वहीं, वर्ष 2019 से वर्ष 2022 तक 123 एनएसए के तहत केस दर्ज हुए। कोर्ट ने इनमें से 102 को रद्द कर दिया था।
युसुफ मलिक पर लगे आरोपों को खारिज करने के साथ सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कड़ी नसीहत भी दी है। सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने जब 24 अप्रैल को डिटेंशन अवधि खत्म होने की बात कही। किसी प्रकार का आदेश न पारित करने का अनुरोध किया तो कोर्ट ने कड़ा रुख दिखाया। युसुफ मलिक के डिटेंशन को समाप्त करने की बात कही है। इससे माना जा रहा है कि सरकार अब इस प्रकार के मामलों में एनएसए लगाने से पहले एक बार जरूर विचार करेगी।
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