SUCI ने बिजली कंपनी के गेट पर किया प्रदर्शन: रेट बढ़ाने की सिफारिशों को वापस लेने की मांग; बोले- सबसे महंगी बिजली एमपी में है – Guna News

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SUCI ने बिजली कंपनी के गेट पर किया प्रदर्शन:  रेट बढ़ाने की सिफारिशों को वापस लेने की मांग; बोले- सबसे महंगी बिजली एमपी में है – Guna News

SUCI ने बिजली कंपनी के गेट पर किया प्रदर्शन: रेट बढ़ाने की सिफारिशों को वापस लेने की मांग; बोले- सबसे महंगी बिजली एमपी में है – Guna News

बिजली कंपनी के गेट पर प्रदर्शन करती पार्टी।

मध्यप्रदेश में 7.11 रुपए प्रति यूनिट बिजली मंहगा करने के खिलाफ सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट) गुना इकाई के द्वारा एमपीईबी कार्यालय गेट के सामने विरोध प्रदर्शन किया गया। पार्टी ने दरें बढ़ाने की सिफारिशों को वापस लेने की मांग की है।

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जिला सचिव मनीष श्रीवास्तव ने बताया कि समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों से पता चला है कि प्रदेश की बिजली कंपनियों ने प्रदेश में बिजली दरों में बढ़ोतरी के लिए टैरिफ प्रस्ताव रखें हैं, जो मध्यम वर्ग पर भारी पड़ सकते हैं। कंपनियों ने 151 से 300 यूनिट बिजली खपत के स्लैब को खत्म करने की सिफारिश की है। इस स्लैब के खत्म होने से 25 लाख से ज्यादा उपभोक्ताओं को ऊंची दरों पर बिजली बिल चुकाने पड़ेंगे।

पार्टी जिला सचिव मनीष श्रीवास्तव ने कहा कि मध्यप्रदेश, देश में सबसे महंगी बिजली दरों वाले राज्यों में से एक है। सरकार का प्रस्ताव है कि बिजली के वितरण विभाग का भी निजीकरण किया जाए, ताकि उत्पादन व वितरण सहित संपूर्ण बिजली “मुनाफा कमाने योग्य वस्तु में तब्दील हो जाए। जनता की गाढ़ी कमाई के पैसे से जो इतना बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया गया है उसे प्राइवेट प्लेयर्स के हवाले कर दिया जाएगा। कॉरपोरेट कंपनियों के पूर्ण नियंत्रण को स्थापित करने के लिए ही करोड़ों रु बर्बाद करके “प्रीपेड मीटर” पूरे देश में लगाए जा रहे हैं।

प्रीपेड मीटर का विरोध

उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं को इसका आर्थिक बोझ उठाने के के लिए मजबूर किया जा रहा है। जबकि देशभर में प्रीपेड मीटर का विरोध हो रहा है। ये मीटर 2025 तक सभी जगह लगा देने का लक्ष्य लेकर मध्य प्रदेश के भी अनेक शहरों में प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं। इसके संचालन का तरीका मौजूदा प्रीपेड मोबाइल फोन रिचार्ज के समान होगा उपभोक्ताओं को पहले भुगतान करना होगा और फिर बिजली का उपयोग करना होगा। इसमें टीओडी (TOD) बिलिंग का भी प्रावधान है, जिसका अर्थ है कि दिन के ज्यादा खपत के समय बिजली का रेट बढ़ जाएगा। ये मीटर निजी कंपनी द्वारा नियंत्रित किए जाएंगे।

मप्र बिजली उपभोक्ता एसोसिएशन के नेता नरेन्द्र भदौरिया ने कहा कि बिजली जो दशकों से एक आवश्यक सेवा के रूप में आम लोगों के जीवन से अविभाज्य रूप से जुड़ी हुई है और सार्वजनिक क्षेत्र के अधीन थी उसे अब लाभ कमाने वाली कॉरपोरेट कंपनियों के हाथों में सौंपने की पूरी तैयारी कर ली गई है। सब्सिडी को धीरे-धीरे समाप्त किया जा रहा है।

कार्यक्रम को संबोधित करते पार्टी नेता।

सचिव ने बताया कि बिजली संशोधन विधेयक(2022) में प्रस्ताव है कि नियामकों को बिजली की लागत से कम टैरिफ तय करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। महाराष्ट्र और उड़ीसा राज्यों में बिजली के निजीकरण के विनाशकारी प्रभाव को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड राज्य में निजीकरण की प्रक्रिया जोरों पर है। मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी जो की एक सरकारी कंपनी है, उसे अदाणी पावर ट्रांसमिशन कंपनी को 35 वर्ष के लिए एक रूपए की लीज पर दिया गया है। विरोध प्रदर्शन का संचालन पार्टी सदस्य मनोज रजक ने किया। विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में आम बिजली उपभोक्ता शामिल हुए।

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