Success Story: IIM से पढ़ाई और लाखों रुपये महीने की नौकरी छोड़ बेचना शुरू किया आटा-चावल, दो साल में 1500 करोड़ रुपये का टर्नओवर h3>
नई दिल्ली: इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) से पढ़ाई अपने आप में महत्वपूर्ण है। इसके बाद मिशेलिन, उबर, विप्रो जैसी कंपनियों में लाखों रुपये महीने की नौकरी। लेकिन इससे जी नहीं भरा। तब कोरोना काल में नौकरी से इस्तीफा दे कर आटा और चावल बेचने के धंधे में उतर गए। इस समय महज चार चीजें बेचते हैं और महीने में करीब 25 करोड़ रुपये का सामान बेच लेते हैं। यही नहीं, उनका धंधा इतना तेजी से बढ़ रहा है कि इसी साल के अंत तक यह 125 करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगा। मतलब कि 1,500 करोड़ रुपये का सालान टर्नओवर।
कानपुर के हैं शशांक सिंह
आज हम आपको बता रहे हैं पोषण के को-फाउंडर (Poshn Co-founder) शशांक सिंह की। कानपुर जैसे औद्योगिक शहर के रहने वाले शशांक भी आम मध्यमवर्गीय बच्चे की तरह कानपुर से ही 12वीं तक की पढ़ाई की। इसके बाद साल 2010 में बिट्स, पिलानी (BITS, Pilani) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट हुए। इसक बाद टायर बनाने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनी मिशेलिन में नौकरी कर ली। वहां तीन साल तक नौकरी करने के बाद एमबीए (MBA) करने का धुन सवार हुआ। फिर कॉमन एडमिशन टेस्ट (CAT) दे दिया और आईआईएम, कोलकाता में एडमिशन ले लिया। वहां से एमबीए करने के बाद एक बार फिर से नौकरी करने लगे।
रास नहीं आई नौकरी
आईआईएम कोलकाता से निकलने के बाद उन्होंने एक बार फिर से निजी क्षेत्र में नौकरी शुरू की। इसी तरह कुछ कंपनियों के नौकरी बदलते हुए स्टार्टअप बनाने का धुन सवार हुआ। इस दिशा में कोई ठोस कदम उठता, उससे पहले कोरोना काल आ गया। शशांक बताते हैं कि जब देश भर में लॉकडाउन लग गया, सब लोग घर बैठ गए तो स्टार्टअप बनाने का संकल्प और पुख्ता हो गया। इसी बीच उन्होंने एक और सहयोगी भुवनेश गुप्ता के साथ मिल कर पोषण नाम के स्टार्टअप का गठन किया।
क्या काम करता है पोषण
शशांक सिंह बताते हैं कि पोषण की शुरूआत महज चार कमोडिटी- आटा, चावल, खाद्य तेल और चीनी बेचने से हुई। स्टार्टअप रजिस्ट्रेशन के बाद कुछ महीने तो होम वर्क करने में निकल गए। फाइनली जून 2021 में कंपनी का काम शुरू हो गया। काम था आटा, चावल, एडिबल ऑयल और चीनी बनाने वाली बड़ी कंपनियों या मिलर से माल उठा कर बड़े डिस्ट्रीब्यूटर या होलसेलर को बेचना। इन्होंने अपने ग्राहक के रूप में बड़े व्यापारी, उड़ान जैसी नए ई कामर्स होलसेलर। साथ ही उन्होंने रिलायंस रिटेल, लॉट्स होलसेल जैसी बड़ी कंपनियों से भी करार किया। इसके साथ ही नीड्स, बनिए की दुकान जैसे स्टैंड अलोन शॉप्स से भी हाथ मिलाया।
हर महीने 30 फीसदी की दर से बढ़ रहा है कारोबार
पोषण जिस आइडिया को लेकर आगे बढ़ रही थी, वह हिट हो गया। तभी तो उनका कारोबार हर महीने 30 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। शशांक सिंह के मुताबिक जब उन्होंने काम शुरू किया था, मतलब पहले महीने, उनकी कुल बिक्री महज 80 लाख रुपये की थी। अभी पिछले अप्रैल महीने में इसका टर्नओवर करीब 25 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। उनका कहना है कि इस साल के अंत तक उनकी हर महीने की बिक्री 125 करोड़ रुपये पर पहंच जाएगी। यानी सालाना कारोबार 1500 करोड़ रुपये का।
कहां है पोषण का कार्य क्षेत्र
इस समय पोषण की गतिविधियों का क्षेत्र सिर्फ दिल्ली और एनसीआर है। क्या देश के अन्य हिस्सों में जाएंगे, इस सवाल पर शशांक सिंह बताते हैं कि उनका इरादा तो देश के हर हिस्से तक पहुंचने का है। लेकिन अभी दिल्ली और एनसीआर के बाजार से ही फुर्सत नहीं मिलती। आगे जब कंपनी से और लोग जुड़ेंगे तो उनकी गतिविधियों का दायरा भी बढ़ेगा।
छोटे होलसेलर से काम नहीं करते
पोषण (Poshn) अभी भले ही चार कमोडिटी में ही काम करती है, लेकिन यह कंपनी छोटे होलसेलर या व्यापारी से काम नहीं करती। शशांक सिंह का कहना है कि वह उन्हीं कारोबारी को माल बेचते हैं, जो कम से कम आधा ट्रक का आर्डर दे। हालांकि उनका प्रीफरेंस वैसा व्यापारी होता है जो कि कम से कम एक ट्रक माल का आर्डर दे। उनका कहना है कि आटा, चावल, एडिबल ऑयल और चीनी ऐसी कमोडिटी है जिसका उपयोग कभी घटने वाला नहीं है। इसलिए उनके कारोबार में हर महीने 30 फीसदी का ग्रोथ हो रहा है।
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आज हम आपको बता रहे हैं पोषण के को-फाउंडर (Poshn Co-founder) शशांक सिंह की। कानपुर जैसे औद्योगिक शहर के रहने वाले शशांक भी आम मध्यमवर्गीय बच्चे की तरह कानपुर से ही 12वीं तक की पढ़ाई की। इसके बाद साल 2010 में बिट्स, पिलानी (BITS, Pilani) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट हुए। इसक बाद टायर बनाने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनी मिशेलिन में नौकरी कर ली। वहां तीन साल तक नौकरी करने के बाद एमबीए (MBA) करने का धुन सवार हुआ। फिर कॉमन एडमिशन टेस्ट (CAT) दे दिया और आईआईएम, कोलकाता में एडमिशन ले लिया। वहां से एमबीए करने के बाद एक बार फिर से नौकरी करने लगे।
रास नहीं आई नौकरी
आईआईएम कोलकाता से निकलने के बाद उन्होंने एक बार फिर से निजी क्षेत्र में नौकरी शुरू की। इसी तरह कुछ कंपनियों के नौकरी बदलते हुए स्टार्टअप बनाने का धुन सवार हुआ। इस दिशा में कोई ठोस कदम उठता, उससे पहले कोरोना काल आ गया। शशांक बताते हैं कि जब देश भर में लॉकडाउन लग गया, सब लोग घर बैठ गए तो स्टार्टअप बनाने का संकल्प और पुख्ता हो गया। इसी बीच उन्होंने एक और सहयोगी भुवनेश गुप्ता के साथ मिल कर पोषण नाम के स्टार्टअप का गठन किया।
क्या काम करता है पोषण
शशांक सिंह बताते हैं कि पोषण की शुरूआत महज चार कमोडिटी- आटा, चावल, खाद्य तेल और चीनी बेचने से हुई। स्टार्टअप रजिस्ट्रेशन के बाद कुछ महीने तो होम वर्क करने में निकल गए। फाइनली जून 2021 में कंपनी का काम शुरू हो गया। काम था आटा, चावल, एडिबल ऑयल और चीनी बनाने वाली बड़ी कंपनियों या मिलर से माल उठा कर बड़े डिस्ट्रीब्यूटर या होलसेलर को बेचना। इन्होंने अपने ग्राहक के रूप में बड़े व्यापारी, उड़ान जैसी नए ई कामर्स होलसेलर। साथ ही उन्होंने रिलायंस रिटेल, लॉट्स होलसेल जैसी बड़ी कंपनियों से भी करार किया। इसके साथ ही नीड्स, बनिए की दुकान जैसे स्टैंड अलोन शॉप्स से भी हाथ मिलाया।
हर महीने 30 फीसदी की दर से बढ़ रहा है कारोबार
पोषण जिस आइडिया को लेकर आगे बढ़ रही थी, वह हिट हो गया। तभी तो उनका कारोबार हर महीने 30 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। शशांक सिंह के मुताबिक जब उन्होंने काम शुरू किया था, मतलब पहले महीने, उनकी कुल बिक्री महज 80 लाख रुपये की थी। अभी पिछले अप्रैल महीने में इसका टर्नओवर करीब 25 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। उनका कहना है कि इस साल के अंत तक उनकी हर महीने की बिक्री 125 करोड़ रुपये पर पहंच जाएगी। यानी सालाना कारोबार 1500 करोड़ रुपये का।
कहां है पोषण का कार्य क्षेत्र
इस समय पोषण की गतिविधियों का क्षेत्र सिर्फ दिल्ली और एनसीआर है। क्या देश के अन्य हिस्सों में जाएंगे, इस सवाल पर शशांक सिंह बताते हैं कि उनका इरादा तो देश के हर हिस्से तक पहुंचने का है। लेकिन अभी दिल्ली और एनसीआर के बाजार से ही फुर्सत नहीं मिलती। आगे जब कंपनी से और लोग जुड़ेंगे तो उनकी गतिविधियों का दायरा भी बढ़ेगा।
छोटे होलसेलर से काम नहीं करते
पोषण (Poshn) अभी भले ही चार कमोडिटी में ही काम करती है, लेकिन यह कंपनी छोटे होलसेलर या व्यापारी से काम नहीं करती। शशांक सिंह का कहना है कि वह उन्हीं कारोबारी को माल बेचते हैं, जो कम से कम आधा ट्रक का आर्डर दे। हालांकि उनका प्रीफरेंस वैसा व्यापारी होता है जो कि कम से कम एक ट्रक माल का आर्डर दे। उनका कहना है कि आटा, चावल, एडिबल ऑयल और चीनी ऐसी कमोडिटी है जिसका उपयोग कभी घटने वाला नहीं है। इसलिए उनके कारोबार में हर महीने 30 फीसदी का ग्रोथ हो रहा है।
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