Stinger Missile: जिस हथियार से अफगानिस्तान में हारा रूस, उसी से यूक्रेन में पटकने की कोशिश h3>
मॉस्को: रूस और यूक्रेन में 24 फरवरी से जारी युद्ध (Russia Ukraine War) में हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बावजूद दोनों देश झुकने को तैयार नहीं हैं। शुरुआत में आशंका जताई जा रही थी कि रूस की महाशक्ति के आगे यूक्रेन (Russia Ukraine Crisis) चंद दिनों में ही घुटने टेक देगा। लेकिन, अमेरिका से मिले स्टिंगर मिसाइल (Stinger Missile) के दम पर यूक्रेन ने रूसी फौज को कड़ी टक्कर दी है। यूक्रेनी सेना की बहादुरी की गवाही जले हुए रूसी एयरक्राफ्टस, ड्रोन, टैंक और आर्मर्ड व्हीकल दे रहे हैं। स्टिंगर मिसाइल (Stinger Missile Cost) ने ही 1980 के दशक में तत्कालीन सोवियत सेना को अफगानिस्तान को छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था। अब ऐसा माना जा रहा है कि इसी मिसाइल के डर से रूस ने अभी तक अपनी पूरी हवाई ताकत का इस्तेमाल यूक्रेन के खिलाफ नहीं किया है।
क्या है स्टिंगर मिसाइल?
FIM-92 स्टिंगर एक मैन-पोर्टेबल एयर-डिफेंस सिस्टम है। इस हथियार को अंग्रेजी में MANPADS के नाम से भी जानते हैं। यह सिस्टम इंफ्रारेड होमिंग सरफेस-टू-एयर मिसाइल (SAM) के रूप में काम करता है। इस मिसाइल का पहली बार इस्तेमाल फॉकलैंड युद्ध के समय ब्रिटिश फोर्स ने किया था। बाद में 1980 के दशक में अमेरिका ने इस मिसाइल सिस्टम को अफगानिस्तान के मुजाहिदिनों को दिया था। जिससे इन मुजाहिदिनों ने सोवियत सेना को करारी चोट पहुंचाई थी। इस सिस्टम का इस्तेमाल कई तरह की गाड़ियों, ड्रोन या यूएवी और हेलीकॉप्टरों को मार गिराने के लिए किया जाता है। स्टिंगर को अमेरिका की रेथियॉन मिसाइल सिस्टम ने बनाया है। जिसका उत्पादन लाइसेंस के तहत जर्मनी में एयरबस डिफेंस और तुर्की में रोकेटसन कंपनी करती है।
यूक्रेनी सेना स्टिंगर से रूसी एयरक्राफ्ट्स को बना रही निशाना
यूक्रेनी सेना इसी स्टिंगर मिसाइल के जरिए रूस के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों और ड्रोन को निशाना बना रही है। यूक्रेन ने अमेरिका और नाटो से हर दिन के लिए 500 स्टिंगर मिसाइल और 500 जेवलिन मिसाइल की मांग की थी। अमेरिका ने यूक्रेन को इतनी संख्या में स्टिंगर मिसाइल तो नहीं दी, लेकिन इतना जरूर दिया जिससे रूसी सेना की गति को रोका जा सके। एक स्टिंगर मिसाइल की कीमत 120000 डॉलर है, जबकि एक जेवलिन मिसाइल की कीमत 180000 है। ऐसे में यूक्रेन को रोज-रोज 500 स्टिंगर मिसाइल देना मुमकिन नहीं है।
स्टिंगर के कारण सोवियत सेना को छोड़ना पड़ा था अफगानिस्तान?
कहा जाता है कि स्टिंगर मिसाइल के कारण ही तत्कालीन सोवियत सेना को अफगानिस्तान छोड़ना पड़ा था। हालांकि, रूस आज भी इस मिसाइल को लेकर किए जा रहे दावे से इनकार करता है। 980 के दशक के मध्य में अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए ने ऑपरेशन साइक्लोन के तहत अफगानिस्तान के मुजाहिदिनों को 500 से अधिक स्टिंगर मिसाइलों की खेप सौंपी थी। कुछ रिपोर्ट में दावा किया जाता है कि अमेरिका ने 2000 स्टिंगर मिसाइलें मुजाहिदिनों को सौंपी थी। उस समय शीत युद्ध के कारण अमेरिका और अफगान मुजाहिदिन सोवियत संघ के खिलाफ एक साथ मिलकर काम कर रहे थे।
सोवियत और अफगान मुजाहिदिनों के दावों को जानें
इन मुजाहिदिनों के दावों के अनुसार, स्टिंगर मिसाइलों ने 340 एनकाउंटर्स में सोवियत सेना के 269 एयरक्राफ्ट्स को मार गिराया था। इस दावे के अनुसार, अफगानिस्तान में स्टिंगर मिसाइल की सफलता की दर 79 फीसदी के आसपास थी। वहीं, सोवियत संघ का दावा था कि स्टिंगर मिसाइल के हमले में उसके सिर्फ 38 एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टर ही नष्ट हुए थे, जबकि 14 को नुकसान पहुंचा था। ऐसे में स्टिंगर मिसाइल की किल रेट 10 फीसदी से आसपास थी। इसके बावजूद वर्तमान में स्टिंगर मिसाइल के कई उन्नत वर्जन विकसित किए गए हैं, जो पहले से ज्यादा घातक हैं।
इन युद्धों में ताकत दिखा चुका है स्टिंगर मिसाइल
स्टिंगर मिसाइल ने फॉकलैंड युद्ध, सोवियत-अफगान युद्ध, ईरान-इराक युद्ध, खाड़ी युद्ध, अंगोलन गृहयुद्ध, श्रीलंकाई गृहयुद्ध, चाडियन-लीबिया संघर्ष, ताजिकिस्तानी गृहयुद्ध, कारगिल युद्ध, यूगोस्लाव युद्ध, ग्रेनेडा पर आक्रमण, द्वितीय चेचन युद्ध, युद्ध अफगानिस्तान, इराक युद्ध, सीरियाई गृहयुद्ध, इराक में युद्ध (2013-2017), रूस-यूक्रेन युद्ध में अपनी ताकत का लोहा मनवाया है।
स्टिंगर मिसाइल के बारे में जानिए
स्टिंगर मिसाइल सिस्टम को सबसे पहले 1981 में बनाया गया था। तब से यह सिस्टम कई देशों की सेना में सेवा दे रहा है। अभी तक स्टिंगर के पांच वेरिएंट्स FIM-92A, FIM-92B, FIM-92C, FIM-92D, FIM-92G बनाए जा चुके हैं। एक स्टिंगर का वजन 15 किलोग्राम, लंबाई 1.52 मीटर, डायामीटर 70.1 एमएम होता है। इसमें उच्च विस्फोटक का इस्तेमाल किया जाता है। इसके वॉरहेड का वजन 1 किलोग्राम के आसपास होता है। इंफ्रारेड होमिंग तकनीक से चलने वाली इसकी मिसाइल में सॉलिड फ्यूल रॉकेट मोटर लगा होता है।
क्या है स्टिंगर मिसाइल?
FIM-92 स्टिंगर एक मैन-पोर्टेबल एयर-डिफेंस सिस्टम है। इस हथियार को अंग्रेजी में MANPADS के नाम से भी जानते हैं। यह सिस्टम इंफ्रारेड होमिंग सरफेस-टू-एयर मिसाइल (SAM) के रूप में काम करता है। इस मिसाइल का पहली बार इस्तेमाल फॉकलैंड युद्ध के समय ब्रिटिश फोर्स ने किया था। बाद में 1980 के दशक में अमेरिका ने इस मिसाइल सिस्टम को अफगानिस्तान के मुजाहिदिनों को दिया था। जिससे इन मुजाहिदिनों ने सोवियत सेना को करारी चोट पहुंचाई थी। इस सिस्टम का इस्तेमाल कई तरह की गाड़ियों, ड्रोन या यूएवी और हेलीकॉप्टरों को मार गिराने के लिए किया जाता है। स्टिंगर को अमेरिका की रेथियॉन मिसाइल सिस्टम ने बनाया है। जिसका उत्पादन लाइसेंस के तहत जर्मनी में एयरबस डिफेंस और तुर्की में रोकेटसन कंपनी करती है।
यूक्रेनी सेना स्टिंगर से रूसी एयरक्राफ्ट्स को बना रही निशाना
यूक्रेनी सेना इसी स्टिंगर मिसाइल के जरिए रूस के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों और ड्रोन को निशाना बना रही है। यूक्रेन ने अमेरिका और नाटो से हर दिन के लिए 500 स्टिंगर मिसाइल और 500 जेवलिन मिसाइल की मांग की थी। अमेरिका ने यूक्रेन को इतनी संख्या में स्टिंगर मिसाइल तो नहीं दी, लेकिन इतना जरूर दिया जिससे रूसी सेना की गति को रोका जा सके। एक स्टिंगर मिसाइल की कीमत 120000 डॉलर है, जबकि एक जेवलिन मिसाइल की कीमत 180000 है। ऐसे में यूक्रेन को रोज-रोज 500 स्टिंगर मिसाइल देना मुमकिन नहीं है।
स्टिंगर के कारण सोवियत सेना को छोड़ना पड़ा था अफगानिस्तान?
कहा जाता है कि स्टिंगर मिसाइल के कारण ही तत्कालीन सोवियत सेना को अफगानिस्तान छोड़ना पड़ा था। हालांकि, रूस आज भी इस मिसाइल को लेकर किए जा रहे दावे से इनकार करता है। 980 के दशक के मध्य में अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए ने ऑपरेशन साइक्लोन के तहत अफगानिस्तान के मुजाहिदिनों को 500 से अधिक स्टिंगर मिसाइलों की खेप सौंपी थी। कुछ रिपोर्ट में दावा किया जाता है कि अमेरिका ने 2000 स्टिंगर मिसाइलें मुजाहिदिनों को सौंपी थी। उस समय शीत युद्ध के कारण अमेरिका और अफगान मुजाहिदिन सोवियत संघ के खिलाफ एक साथ मिलकर काम कर रहे थे।
सोवियत और अफगान मुजाहिदिनों के दावों को जानें
इन मुजाहिदिनों के दावों के अनुसार, स्टिंगर मिसाइलों ने 340 एनकाउंटर्स में सोवियत सेना के 269 एयरक्राफ्ट्स को मार गिराया था। इस दावे के अनुसार, अफगानिस्तान में स्टिंगर मिसाइल की सफलता की दर 79 फीसदी के आसपास थी। वहीं, सोवियत संघ का दावा था कि स्टिंगर मिसाइल के हमले में उसके सिर्फ 38 एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टर ही नष्ट हुए थे, जबकि 14 को नुकसान पहुंचा था। ऐसे में स्टिंगर मिसाइल की किल रेट 10 फीसदी से आसपास थी। इसके बावजूद वर्तमान में स्टिंगर मिसाइल के कई उन्नत वर्जन विकसित किए गए हैं, जो पहले से ज्यादा घातक हैं।
इन युद्धों में ताकत दिखा चुका है स्टिंगर मिसाइल
स्टिंगर मिसाइल ने फॉकलैंड युद्ध, सोवियत-अफगान युद्ध, ईरान-इराक युद्ध, खाड़ी युद्ध, अंगोलन गृहयुद्ध, श्रीलंकाई गृहयुद्ध, चाडियन-लीबिया संघर्ष, ताजिकिस्तानी गृहयुद्ध, कारगिल युद्ध, यूगोस्लाव युद्ध, ग्रेनेडा पर आक्रमण, द्वितीय चेचन युद्ध, युद्ध अफगानिस्तान, इराक युद्ध, सीरियाई गृहयुद्ध, इराक में युद्ध (2013-2017), रूस-यूक्रेन युद्ध में अपनी ताकत का लोहा मनवाया है।
स्टिंगर मिसाइल के बारे में जानिए
स्टिंगर मिसाइल सिस्टम को सबसे पहले 1981 में बनाया गया था। तब से यह सिस्टम कई देशों की सेना में सेवा दे रहा है। अभी तक स्टिंगर के पांच वेरिएंट्स FIM-92A, FIM-92B, FIM-92C, FIM-92D, FIM-92G बनाए जा चुके हैं। एक स्टिंगर का वजन 15 किलोग्राम, लंबाई 1.52 मीटर, डायामीटर 70.1 एमएम होता है। इसमें उच्च विस्फोटक का इस्तेमाल किया जाता है। इसके वॉरहेड का वजन 1 किलोग्राम के आसपास होता है। इंफ्रारेड होमिंग तकनीक से चलने वाली इसकी मिसाइल में सॉलिड फ्यूल रॉकेट मोटर लगा होता है।