Shivpal Akhilesh News: BJP में शिवपाल को मिलेगा भरपूर सम्‍मान, डेप्‍युटी स्‍पीकर बना अखिलेश के बगल बैठाने की तैयारी!

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Shivpal Akhilesh News: BJP में शिवपाल को मिलेगा भरपूर सम्‍मान, डेप्‍युटी स्‍पीकर बना अखिलेश के बगल बैठाने की तैयारी!

Shivpal Akhilesh News: BJP में शिवपाल को मिलेगा भरपूर सम्‍मान, डेप्‍युटी स्‍पीकर बना अखिलेश के बगल बैठाने की तैयारी!

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) के बाद अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के तेवर बदले हुए हैं। चुनावों के बाद अखिलेश अपने सहयोगियों को साथ जोड़कर रखने में कामयाब नहीं हो पाते। यह पिछले तीन विधानसभा चुनाव में देखने को मिला है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव (UP Election 2017) में अखिलेश ने कांग्रेस (Congress) के साथ गठबंधन किया था। उस समय अखिलेश यादव और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की जोड़ी को दो लड़कों की जोड़ी करार दिया गया। हालांकि, यह जोड़ी चुनाव खत्म होते ही टूट गई। वहीं, वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2019) में अखिलेश और मायावती (Mayawati) गठबंधन को बुआ-बबुआ की जोड़ी के रूप में पेश किया गया। यह भी चुनाव के बाद नहीं टिक पाई। यूपी चुनाव 2022 के बाद अब अखिलेश यादव अपने चाचा शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) को नजरअंदाज कर रहे हैं और भाजपा (BJP) इसका फायदा उठाने की कोशिश में है।

विधानसभा में उपाध्यक्ष का पद देने की तैयारी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीजेपी अब विधानसभा में शिवपाल यादव को उपाध्यक्ष का पद देने की तैयारी कर रही है। उपाध्यक्ष का पद विपक्ष के नेता को देने की परंपरा रही है। ऐसे में भाजपा एक तीर से दो शिकार करने की तैयारी में है। एक तरफ वह विधानसभा में अखिलेश यादव के समकक्ष शिवपाल यादव को बैठा देगी। अभी तक शिवपाल एक सपा विधायक के तौर पर ही विधानसभा में बैठेंगे। यह उनके कद के अनुरूप नहीं होगा। विधानसभा उपाध्यक्ष का पद मिलने के बाद वे नेता प्रतिपक्ष के बगल वाली कुर्सी पर बैठने के हकदार हो जाएंगे। इससे शिवपाल को नजरअंदाज करने की उनकी सारी कवायद फेल हो जाएगी।

एक बड़े वोट बैंक पर भाजपा की है नजर
यूपी चुनाव 2022 में अखिलेश और शिवपाल के साथ आने का असर भाजपा देख चुकी है। मुलायम परिवार में एकता की वजह से यादवलैंड में सपा काफी मजबूत होकर उभरी। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में जब दोनों के बीच अलगाव हुआ था तो असर सीटों पर साफ दिखा था। ऐसे में भाजपा उन्हें यह पद देकर यादव वोट बैंक में एक संदेश देने की कोशिश करेगी कि उनके लिए कोई भी वर्ग पराया नहीं है। साथ ही, संदेश यह भी जाएगा कि अखिलेश ने अपने चाचा को किनारे लगा दिया तो भाजपा ने उन्हें एक सीट दे दी। ऐसे में पार्टी की छवि इस वोट बैंक में बदल सकती है।

विपक्षी नेताओं को भी बड़ा संदेश
विधानसभा में विपक्ष इस बार मजबूत हुई है। भाजपा और उनके सहयोगी 273 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब हुए तो विपक्षी दलों के पाले में 130 सीटें गई हैं। ऐसे में भाजपा को विधानसभा में विपक्ष की ओर से विभिन्न मसलों पर बहस में दिक्कत झेलनी पड़ सकती है। शिवपाल यादव अगर विधानसभा उपाध्यक्ष होते हैं तो उनके जरिए विपक्ष को शांत रखने की रणनीति पर भाजपा आगे बढ़ती दिख सकती है। इससे विधानसभा की कार्यवाही को आसानी से संचालित कराना भी संभव हो सकता है।

नजर 2024 लोकसभा चुनाव पर
भाजपा की रणनीति अब पूरी तरह से लोकसभा चुनाव 2024 पर टिक गई है। पार्टी और योगी सरकार की तमाम रणनीति अभी इसी तरफ इशारा करती दिखती है। पार्टी अभी शिवपाल यादव को आगे बढ़ाकर एक बड़े वर्ग को साधने का प्रयास कर सकती है। बाद में उन्हें पार्टी में भी शामिल करा सकती है। सपा के नितिन अग्रवाल को डिप्टी स्पीकर बनाकर भाजपा अपने पाले में लाने में पहले कामयाब हो चुकी है। शिवपाल को लेकर भी उनकी रणनीति कुछ ऐसी रह सकती है। इससे अखिलेश को हर समय काटने के लिए उनके पास एक हथियार होगा। इससे अगले चुनाव में पार्टी एक बदली छवि के साथ उतरेगी। इसका फायदा उन्हें मिल सकता है।

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