Shivling in Gyanvapi: ‘नहीं फव्वारा है, नहीं शिवलिंग है…’ जब टीवी शो में मौलवी और हिंदू धर्म गुरू में छिड़ गया शास्त्रार्थ

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Shivling in Gyanvapi: ‘नहीं फव्वारा है, नहीं शिवलिंग है…’ जब टीवी शो में मौलवी और हिंदू धर्म गुरू में छिड़ गया शास्त्रार्थ

Shivling in Gyanvapi: ‘नहीं फव्वारा है, नहीं शिवलिंग है…’ जब टीवी शो में मौलवी और हिंदू धर्म गुरू में छिड़ गया शास्त्रार्थ

वाराणसी/लखनऊ: वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में तीन दिनों तक चले सर्वे में शिवलिंग मिलने की बात पर चर्चा तेज हो गई है। सोशल मीडिया से लेकर टीवी चैनल डिबेट में भी इस बात पर बहस हो रही है कि मस्जिद में सामने आया स्ट्रक्चर शिवलिंग (Is there Shivling in Gyanvapi Mosque?) ही है या फिर वजू के तालाब का फव्वारा। ऐसे ही एक टीवी चैनल पर हिंदू धर्म गुरू शैलेश तिवारी और मौलवी साजिद रशीदी के बीच फव्वारे और शिवलिंग को लेकर शास्त्रार्थ छिड़ गया।

आचार्य शैलेश तिवारी ने मंत्र और श्लोक का उच्चारण करते हुए कहा कि ये शिवलिंग ही है, ना कि फव्वारा। शिवलिंग का आकार इसी तरह से उठा हुआ रहता है। यह द्वादश ज्योर्तिलिंगों में से एक है। इस पर मौलाना साजिद रशीदी दोनों पक्षों को सुने जाने की अपील करते हुए मामले के कानूनी पहलुओं की चर्चा की। उन्होंने कहा कि जिस रकबा नंबर 9130 पर सूट दाखिल हुआ है, उसकी चौहद्दी ही नहीं है। (What is the history of Gyanvapi Mosque?) ऐसे में इस सूट को लेना ही गलत है।

मौलाना साजिद रशीदी ने 1937 का आदेश दिखाते हुए कहा कि इसमें ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) को मस्जिद-ए-हल्फी करार दिया गया है। उस समय कोर्ट ने ज्ञानवापी को मस्जिद को तौर पर स्वीकार किया था। इस बात पर धर्मगुरू शैलेश ने कहा कि आप 1665 से पहले की बात कीजिए। हम उसकी दलील देते हैं। 1665 से पहले वहां पर मंदिर था। औरंगजेब ने उसे तोड़ दिया।

इसके बाद मौलाना साजिद ने किसी हिंदू इतिहासकार के हवाले से कहा कि जब राजा मानसिंह के कहने पर औरंगजेब (Who built Gyanvapi Mosque?) ने मंदिर पर आक्रमण किया। उस समय वहां के मुख्य पुजारी शिवलिंग को लेकर गंगा नदी में कूद गए। मैंने उनसे पूछा कि जब शिवलिंग को लेकर पुजारी गंगा में कूद गए तो फिर वजूखाने में ये शिवलिंग कहां से आ गया। इस पर आचार्य शैलेश ने बात को खारिज करते हुए कहा कि गंगा नदी उस जगह से करीब 500 मीटर की दूरी पर है। ज्योर्तिलिंगों में सैकड़ों शिवलिंग होते हैं। एंकर ने कहा कि गंगा नहीं, बल्कि कुएं में कूदे थे।

आचार्य शैलेश ने शिवमहापुराण का उल्लेख करते हुए कहा कि विश्वेश्वर महादेव का पूरा वर्णन किया गया है। वहां पर फव्वारा नहीं, बल्कि शिवलिंग ही है। इस बात पर मौलाना ने कहा कि सनातन धर्म में तो मूर्ति पूजा किए जाने का जिक्र ही नहीं है। इसका खंडन करते हुए आचार्य ने कहा कि लाखों वर्षों से मूर्ति पूजा चलती आ रही है। आप फर्जी बात कर रहे हैं। आप जाकिर नाइक की तरह बातें मत करिए। मौलाना ने पूछा किस वेद में उल्लेख है, जिसपर आचार्य ने ऋगवेद का जिक्र किया।

धर्मगुरू शैलेश तिवारी ने कहा कि दाहिनी तरफ मां गौरी होती हैं। भगवान गणेश और कार्तिकेय होते हैं। भगवान की सवारी नंदी होते हैं। नंदी का मुंह शिवलिंग की तरफ होता है। इस पर मौलाना साजिद ने कहा कि आस्था के आधार पर नहीं, बल्कि कानूनी पहलुओं के आधार पर होना चाहिए। एंकर ने कहा कि मौलाना साहब यह आस्था का ही मामला है।

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