शिवसेना का तंज- जो ट्विटर कभी BJP के लिए आत्मा थी, आज मोदी सरकार के लिए बोझ बन गई
नए आईटी दिशानिर्देशों के बाद केंद्र सराकर और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के बीच विवाद जारी है। इस बीच शिवसेना के मुखपत्र सामना ने सोमवार को अपने संपादकीय में कहा कि माइक्रोब्लॉगिंग साइट ‘ट्विटर’ ने भाजपा का राजनीतिक हित खो दिया है और यह सत्ताधारी बीजेपी के लिए एक ‘बोझ’ बन गया है। शिवसेना ने कहा कि सरकार इसे देश से बाहर फेंकना चाहती है।
संपादकीय में शिवसेना ने कहा है, “पहले ट्विटर भाजपा या मोदी सरकार के लिए राजनीतिक संघर्ष या अभियान की आत्मा थी। ट्विटर अब उनके लिए एक बोझ बन गई है। मोदी सरकार यह तय करने की हद तक पहुंच गई है कि इस बोझ को फेंकना है या नहीं। आज, ट्विटर जैसे माध्यमों को छोड़कर देश में सभी मीडिया मोदी सरकार के पूर्ण नियंत्रण में है।” संपादकीय का मानना है कि ट्विटर ने भाजपा के राजनीतिक हित खो दिए हैं क्योंकि विपक्ष ने उनके कथित “झूठे प्रचार” का जवाब देना शुरू कर दिया है।
सामना के संपादकीय का पूरा अंश:
हिंदुस्थानियों (भारतीयों) के लिए ट्विटर कोई जीवनावश्यक वस्तु अथवा आवश्यक सेवा नहीं है। दुनिया के कई देशों में लोग ट्विटर का ‘ट’ भी नहीं जानते हैं। चीन, उत्तर कोरिया में ट्विटर नहीं है। अब नाइजीरिया ने भी इस सोशल मीडिया को अपने देश से खदेड़ दिया है। ट्विटर को लेकर अब हिंदुस्थान में भी तूफान खड़ा हो गया है। कल तक इस ट्विटर का महत्व भाजपा या मोदी सरकार के लिए उनके राजनीतिक संघर्ष या अभियान की आत्मा थी। ट्विटर अब भाजपा के लिए बोझ बन गया है और इस बोझ को फेंक दिया जाए, ऐसा फैसला करने की हद तक मोदी सरकार पहुंच गई है।
देश के सभी मीडिया, प्रचार-प्रसार माध्यम आज मोदी सरकार के पूर्ण नियंत्रण में आ गए हैं, लेकिन ट्विटर जैसे माध्यम निरंकुश हैं। उस पर मोदी सरकार अथवा भाजपा का नियंत्रण नहीं है। हिंदुस्थान का कानून उन पर लागू नहीं होता। सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सोशल मीडिया के लिए सख्त नियम जारी किया है। उन नियमों का पालन करें, अन्यथा कार्रवाई का सामना करें। मोदी सरकार द्वारा ऐसी चेतावनी दिए जाने के बाद भी ट्विटर वाले सुनने को तैयार नहीं हैं। हमारा कानून और हमारी अदालत अमेरिका में है। आपका भूमि कानून स्वीकार्य नहीं है, ऐसा ट्विटर वाले कहते हैं।
सोशल मीडिया में बीते कुछ वर्षों में कीचड़ उछालने, चरित्र हनन की मुहिम चलाई जा रही है। इसका निर्माण, निर्देशन, रंगमंच, कथा-पटकथा सब कुछ भाजपा के ही हाथ में था। फेसबुक ट्विटर, व्हाट्सएप व अन्य माध्यमों का भरपूर इस्तेमाल करने की प्रथा अन्य राजनीतिक दल जानते ही नहीं थे, उस समय (2014) भाजपा ने इस कार्य में निपुणता हासिल कर ली थी। उस समय के प्रचार अभियान में भाजपा की फौज धरातल पर कम लेकिन साइबर क्षेत्र में ही ज्यादा शोर मचा रही थी।
भारत में ट्विटर सहित सभी सोशल मीडिया के मानो हम ही मालिक हैं और साइबर फौजों की मदद से किसी भी युद्ध, चुनाव को जीत सकते हैं, विपक्ष को कुचल सकते हैं, कुल मिलाकर ऐसा भ्रम था। पाकिस्तान और कश्मीर के मामले में सर्जिकल स्ट्राइक की जंग फीकी पड़ जाएगी, ऐसी बड़ी जंग भाजपा की साइबर फौजें ही खेल रही थीं, मानो आधा पाकिस्तान अब मोदी सरकार के कब्जे में आ ही गया है। निकट भविष्य में कराची और इस्लामाबाद पर जीत का परचम लहराने की तैयारी चल रही है, ऐसा माहौल भाजपा की साइबर फौजों ने तैयार कर दिया था।
ऐसे ही माहौल गर्म करके उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों के चुनाव जीते और ऐसा करते समय राजनीतिक विरोधियों की यथासंभव बदनामी की जा रही थी। उस समय ट्विटर व फेसबुक पर राहुल गांधी के लिए जैसे आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया वह किन नियमों के अंतर्गत आया? मनमोहन सिंह जैसे वरिष्ठ नेता के लिए कौन-कौन से विशेषण लगाए? राजनीति और समाज सेवा में जीवन बिता चुके उद्धव ठाकरे से लेकर ममता बनर्जी, शरद पवार, प्रियंका गांधी, मुलायम सिंह यादव आदि राजनीतिज्ञों के खिलाफ इस ‘ट्विटर’ आदि का इस्तेमाल करके चरित्र हनन मुहिम चलाई गई। जब तक ये हमले एकतरफा ढंग से चल रहे थे, तब तक भाजपा वालों को गुदगुदी हो रही थी, लेकिन अब उनकी साइबर फौजों के सामने विपक्ष ने उतनी ही क्षमतावान साइबर फौजों को तैनात करके हमले शुरू किए तो भाजपाई खेमे में घबराहट मच गई।
प. बंगाल चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा और डेरेक ओ ब्रायन ने ‘ट्विटर’ की दोधारी तलवार से भाजपा को ही घायल कर दिया। बिहार चुनाव में तेजस्वी यादव ने ‘ट्विटर’ के जरिए मोदी और नीतीश कुमार का पर्दाफाश किया। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी इसी ट्विटर के जरिए मोदी और उनकी सरकार को ‘जोर का झटका धीरे से’ देते रहते हैं और इस पर देश भर में प्रतिसाद देखने को मिलता है। जिस तरह से उपराष्ट्रपति नायडू के ट्विटर अकाउंट से ‘ब्लू टिक’ हटाते ही सरकार ने ट्विटर से झगड़ा शुरू किया। इस पर राहुल गांधी ने शुद्ध हिंदी में ट्वीट किया कि ‘ब्लू टिक के लिए मोदी सरकार लड़ रही है , कोविड टीका चाहिए तो आत्मनिर्भर बनो!’ यह शब्द घायल करनेवाला है।
ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री को आधे घंटे इंतजार कराया। इस पर भाजपा और प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा नाराजगी जताए जाते ही तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट किया, ‘मोदीजी, देश की जनता पिछले सात साल से 15 लाख रुपए जमा होने का इंतजार कर रही है। यदि आपको आधा घंटा इंतजार करना पड़ा, तो इतना नाराज क्यों होते हैं?’ ये और ऐसे अनेक शब्द बाण सरकार अथवा भाजपा पर छोड़े जा रहे हैं और भाजपा इस पर नाराजगी जता रही है। विरोधियों को बदनाम करने के लिए लाखों फर्जी ट्विटर अकाउंट खोलकर अब तक बड़ा ही खेल खेला जा रहा था। उस समय कोई भी नियम या कानून आड़े नहीं आया। महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा के युवा लड़के साइबर युद्ध में पारंगत हो गए हैं और हर युद्ध में भाजपा के बदनामी मिशन को नाकाम किया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी और उनकी केंद्र सरकार कोरोना काल में कैसे विफल रही है, निकम्मी साबित हुई है, इसे दुनिया भर में पहुंचाने का का कार्य इस बार ‘ट्विटर’ जैसे माध्यमों ने किया है। इस ‘ट्विटर’ जैसे सोशल मीडिया के कारण गंगा में बहती लाशें, वाराणसी-गुजरात में लगातार जलती चिताएं, शमशान घाटों के बाहर लगी एंबुलेंस की कतारों का हृदय विदारक दृश्य दुनिया भर में पहुंचा और भाजपा सरकार की कार्यशैली उजागर हुई।
विदेशी ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ और ‘वाशिंगटन पोस्ट’ जैसे अखबार हिंदुस्थान के बारे में निश्चित तौर पर क्या कहते हैं, यह इस ‘ट्विटर’ के कारण ही पता चलने लगा। यह इस तरह से पोल खोलने के कारण ही ‘ट्विटर’ एक वैश्विक षड्यंत्र है, ट्विटर मतलब देश को बदनाम करने, अस्थिर करने की ‘वैश्विक साजिश’ है। ऐसा हमारे शासकों को लगने लगा है तो स्वाभाविक ही है। कोरोना की दूसरी लहर ने मरनेवालों की संख्या बढ़ाई और आम नागरिकों को बेहाल कर दिया। लेकिन मोदी सरकार वास्तविक और काल्पनिक दुनिया के अंतर को पहचान नहीं पाई।
कोरोना संकट को रोकने का प्रयास करने की बजाय मोदी सरकार श्रेय लेने की कोशिश करती रही, ऐसा विचार नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री डॉ. अमत्र्य सेन ने व्यक्त किया है। अब डॉ. सेन ‘ट्विटर’ के नुमाइंदे, विदेशी हाथ होने की बात कहकर उन्हें भी कानूनी नोटिस भेजोगे क्या? भाजपा के लिए ‘ट्विटर’ का राजनीतिक महत्व खत्म हो गया है। क्योंकि भाजपा विरोधियों ने इन माध्यमों के कोने-कोने पर कब्जा जमाकर भाजपा के झूठे प्रचार का जवाब देना शुरू कर दिया। ‘जैसे को तैसा’ की तर्ज पर घमासान चल रहा है और कई जगहों पर ‘ट्विटर’ के रणक्षेत्र से भाजपा, उसकी सरकार को पीछे हटना पड़ रहा है और उनकी ‘ट्विटर’ सेना में भी भगदड़ मच गई है। ‘ट्विटर’ का दुरुपयोग और कुछ और बातें हैं ही, लेकिन इन्हीं दुरुपयोगों का इस्तेमाल कर भाजपा और मोदी २०१४ में विजयी हुए थे। यह किन नियमों में बैठता था?
यह भी पढ़ें: West Bengal News: बंगाल में भी 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा रद्द, ममता बनर्जी ने किया ऐलान
Today latest news in hindi के लिए लिए हमे फेसबुक , ट्विटर और इंस्टाग्राम में फॉलो करे | Get all Breaking News in Hindi related to live update of politics News in hindi , sports hindi news , Bollywood Hindi News , technology and education etc.