Sharad Pawar: भीमा कोरेगांव मामले में जांच आयोग के सामने पेश होंगे शरद पवार, दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं की भूमिका को लेकर दिया था बयान

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Sharad Pawar: भीमा कोरेगांव मामले में जांच आयोग के सामने पेश होंगे शरद पवार, दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं की भूमिका को लेकर दिया था बयान

Sharad Pawar: भीमा कोरेगांव मामले में जांच आयोग के सामने पेश होंगे शरद पवार, दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं की भूमिका को लेकर दिया था बयान

मुंबई:एनसीपी प्रमुख और राज्य के वरिष्ठ नेता शरद पवार(NCP Chief Sharad Pawar) भीमा कोरेगांव हिंसा(Bhima Koregaon Violence) मामले की जांच कर रहे जांच आयोग के समक्ष पेश हो सकते हैं। उनकी पेशी 23 या 24 फरवरी को होने की संभावना है, क्योंकि जांच आयोग ने उन्हें इन्हीं तारीखों पर पेश होने के लिए कहा है। बता दें कि 2018 में भीमा कोरेगांव में आयोजित एल्गार परिषद(Elgar Parishad) के कार्यक्रम के दौरान बड़ी हिंसा हुई थी और राज्य की राजनीति में यह मामला काफी दिनों से चल रहा है। इसी मामले में कई वामपंथी विद्वानों को भी कथित तौर पर अर्बन नक्सल कहकर आरोपी बनाया गया है।

पवार की पेशी इसलिए
बता दें कि इस घटना के संदर्भ में एक संवाददाता सम्मेलन में शरद पवार ने कहा था कि दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं मिलिंद एकबोटे और संभाजी भिड़े ने भीमा कोरेगांव और इसके आसपास के क्षेत्रें में हिंसा से पहले एक ‘अलग’ माहौल बनाया था। पवार के इस बयान के बाद फरवरी 2020 में, सोशल ग्रुप ‘विवेक विचार मंच’ के सदस्य सागर शिंदे ने आयोग के समक्ष एक आवेदन दायर किया, जिसमें 2018 की जाति हिंसा के बारे में मीडिया में पवार द्वारा दिए गए कुछ बयानों के मद्देनजर उन्हें तलब करने का अनुरोध किया था। शिंदे ने अपने आवेदन में पवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस का हवाला दिया। शिंदे ने अपनी दलील में कहा था, ‘उसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में पवार ने यह भी आरोप लगाया कि पुणे शहर के पुलिस आयुक्त की भूमिका संदिग्ध है और इसकी जांच होनी चाहिए।’

उल्लेखनीय है कि सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश जेएन पटेल और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य सचिव सुमित मलिक का दो सदस्यीय जांच आयोग मामले की जांच कर रहा है। सागर शिंदे के इस आवेदन के बाद आयोग ने पवार को बयान दर्ज कराने के लिए तलब किया था, लेकिन कोरोना लॉकडाउन के चलते पवार आयोग के समक्ष पेश नहीं हो सके थे। न्यायिक आयोग के वकील आशीष सतपुते ने बुधवार को बताया कि आयोग शरद पवार के अलावा 21 फरवरी से 25 फरवरी के बीच तत्कालीन पुलिस अधीक्षक (पुणे ग्रामीण) सुवेज हक, तत्कालीन अतिरिक्त एसपी संदीप पखले और पुणे तत्कालीन अतिरिक्त आयुक्त रवींद्र सेनगांवकर के बयान भी दर्ज करेगा।

क्या है मामला
महाराष्ट्र के पुणे जिले में एक युद्ध स्मारक है। जहां हर वर्ष विजय दिवस मनाया जाता है। इस विजय दिवस में बड़ी संख्या में दलित कार्यकर्ता शामिल होते हैं। पुणे पुलिस के अनुसार, एक जनवरी 2018 को कोरेगांव भीमा की 1818 की लड़ाई की वर्षगांठ के दौरान युद्ध स्मारक के पास जाति समूहों के बीच हिंसा भड़क गई थी। पुणे पुलिस ने आरोप लगाया था कि 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित ‘एल्गार परिषद सम्मेलन’ में कथित ‘भड़काऊ’ भाषणों के कारण भीमा कोरेगांव के आसपास हिंसा भड़की थी। पुलिस ने आरोप लगाया था कि एल्गार परिषद सम्मेलन के आयोजकों के माओवादियों से संबंध थे।

शरद पवार

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