School News: गुरुग्राम और गाजियाबाद के हादसे के बाद जाग जाए पैरेंट्स, स्कूल बस के सेफ्टी नॉर्म्स पर ध्यान दें

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School News: गुरुग्राम और गाजियाबाद के हादसे के बाद जाग जाए पैरेंट्स, स्कूल बस के सेफ्टी नॉर्म्स पर ध्यान दें

School News: गुरुग्राम और गाजियाबाद के हादसे के बाद जाग जाए पैरेंट्स, स्कूल बस के सेफ्टी नॉर्म्स पर ध्यान दें

नई दिल्ली: दिल्ली से सटे गाजियाबाद और गुरुग्राम में दो दिनों के अंदर दो स्कूल बस हादसोंं में दो मासूमों की जान चली गई। सोमवार को हरियाणा के गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में स्कूल बस के चालक ने लापरवाही से 4 साल के बच्चे को कुचल दिया। वहीं बुधवार को गाजियाबाद के मोदीनगर में एक निजी स्कूल की बस में जा रहे एक मासूम बच्चे को अचानक उल्टी आई तो उसने अपना सिर खिड़की से बाहर निकाला ताकि वह उल्‍टी कर सके। इसी दौरान अचानक बस चालक ने बस को मोड़ दिया और बच्चे का सिर सड़क किनारे लगे एक खंभे से जा टकराया। इस हादसे में बच्चे की मौत हो गई। इन दोनों ही हादसों ने एक बार फिर से स्कूल बस में सुरक्षा से जुड़े नियमों को लेकर चर्चा शुरू हो गई है।

अगर आपका बच्चा भी रोजाना स्कूल बस से स्कूल जाता है तो आपको ये जानना बेहद जरूरी है कि स्कूल बस से जुड़े सुरक्षा के नियम क्या हैं। अगर स्कूल बस में आपको सेफ्टी नॉर्म्स को लेकर कोई लापरवाही या कमी नजर आती है तो आप इसकी शिकायत स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन से कर सकते हैं। अगर स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से इस बाबत कोई कार्रवाई नहीं की जाती है तो आप पुलिस-प्रशासन और कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं। पैरेंट्स की सतर्कता ही काफी हद तक ऐसे दर्दनाक हादसों पर रोक लगा सकती हैं।


स्कूल बसों में इन नियमों का पालन जरूरी है


सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार, स्कूल बस पीले रंग से पेंट होनी चाहिए। साथ ही बस के आगे व पीछे ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा हो। सभी खिड़कियों के बाहर लोहे की ग्रिल होनी चाहिए। बस में अग्निशमन यंत्र लगा हो, जिससे आग लगने की स्थिति में तत्काल कार्रवाई हो सकें। स्कूल बस के पीछे स्कूल का नाम और फोन नंबर लिखा होना चाहिए। दरवाजे में ताला लगा हो और सीटों के बीच पर्याप्त जगह होनी चाहिए। इसके आलावा चालक को कम से कम पांच साल का वाहन चलाने का अनुभव हो। ड्राइवर के पास लाइसेंस और ट्रांसपोर्ट परिमट होना चाहिए।

पैरेंट्स रखें हमेशा इन बातों का ध्यान

स्कूल बस में अपने बच्चों को चढाते वक्त पैरेंट्स को भी कुछ अहम बातों का ध्यान रखना चाहिए। बस खड़ी होने पर ही बच्चों को चढ़ाएं। इसके अलावा बस ड्राइवर की हरकतों पर नजर रखें। सबसे अहम बात यह है कि इसका बात का ध्यान रखें कि कहीं ड्राइवर नशे में तो नहीं है। बस में हेल्पर के साथ स्कूल की ओर से एक जिम्मेदार शख्स की तैनाती करनी होती है, जिसकी बच्चों को बस में चढ़ाते और उतारते वक्त अहम जिम्मेदारी होती है। अगर यह जिम्मेदार बस में नहीं है तो पैरेंट्स को इसकी तत्काल शिकायत स्कूल प्रबंधन से करनी चाहिए। इसके अलावा पैरेंट्स को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि बस के अंदर बच्चों को बैठने की जगह मिलती हैं या नहीं। बस में सुरक्षा मानकों का पालन हो रहा है या नहीं।

स्कूल वैन से जुड़े नियमों को भी जानिए

स्कूल वैन के सेफ्टी नॉर्म्स भी लगभग स्कूल की तरह ही हैं। मगर एक्सपर्ट बताते हैं कि कुछ पैरंट्स प्राइवेट वैन के जरिेए बच्चों को स्कूल भेजते हैं, जो काफी खतरनाक होता है, क्योंकि प्राइवेट वैन के ड्राइवर के पास न तो कोई परमिट होता है और न ही हादसा होने के बाद उसकी कोई जवाबदेही तय हो पाती है। ऐसे में पैरेंट्स को ध्यान रखना चाहिए कि प्राइवेट वैन की जगह स्कूल बस या वैन के जरिए ही अपने बच्चे कतो स्कूल भेजें। एक्सपर्ट कहते हैं कि स्कूल वैन में हादसे की सबसे बड़ी वजह होती है वैन की कैपेसिटी से ज्यादा बच्चों को बैठाना। मगर कभी-कभी पैरेंट्स प्राइवेट वैन का किराया कम होने के चलते इस बड़ी लापरवाही को नजरअंदाज कर देते हैं। जिसका खामियाजा उनके बच्चों को भुगतना पड़ सकता है।

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