Sardarshahar upchunav: कांग्रेस को अनिल तो BJP को अशोक पर भरोसा, RLP के इस इस दांव से बिगड़ेगा खेल! h3>
जयपुर: कांग्रेस विधायक भंवर लाल शर्मा के निधन के बाद सरदार शहर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं। 5 दिसंबर को मतदान होना है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों के नेता चुनावी रणनीति में जुट गए हैं। बीजेपी ने पूर्व विधायक अशोक कुमार पिंचा को अपना प्रत्याशी बनाया है। वहीं कांग्रेस ने दिवंगत भंवर लाल शर्मा के बेटे अनिल शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है। वर्ष 2008 के विधानसभा चुनावों में अशोक कुमार पिंचा बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं। वर्ष 2013 और 2018 में भी बीजेपी ने अशोक कुमार पिंचा को ही टिकट दिया था लेकिन वे चुनाव जीत नहीं पाए थे, दोबारा बीजेपी ने उन पर भरोसा जताया है।
पिछले चुनावों में दूसरे स्थान पर रहे थे अशोक कुमार पिंचा
बीजेपी ने अशोक कुमार पिंचा को लगातार तीन बार टिकट दिया लेकिन 2008 में चुनाव जीतने के बाद वे कांग्रेस नेता भंवरलाल शर्मा के सामने दो बार चुनाव हार गए थे। अब भंवरलाल शर्मा के निधन के बाद हो रहे उपचुनावों में बीजेपी ने एक बार फिर अशोक कुमार पिंचा को टिकट दिया है। वर्ष 2018 के चुनावों में वे 16,816 वोटों से हार गए थे। कांग्रेस के भंवरलाल शर्मा को 95,282 वोट मिले थे जबकि अशोक कुमार पिंच को 78,466 वोट मिले थे।
कांग्रेस का रहा है सरदारशहर में पलड़ा भारी, अब खेला सिंपैथीकार्ड
बीते चार साल में भंवरलाल शर्मा के निधन से पहले राजस्थान में 5 विधायकों का निधन हो चुका है। इनमें 3 कांग्रेस के थे लेकिन उपचुनावों में कांग्रेस ने 3 के बजाय 4 सीटों पर जीत हासिल की। उपचुनावों में बीजेपी के बजाए कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा है। कांग्रेस ने पिछले सभी उपचुनावों में दिवंगत विधायक के परिवार के सदस्यों को ही टिकट दिया है। इन सभी पर कांग्रेस को जीत भी मिली है। सरदारशहर सीट पर भी कांग्रेस ने इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए सिंपैथीकार्ड खेल दिया है।
2013 में प्रचंड मोदी लहर में भी सरदारशहर सीट कांग्रेस के खाते में ही गई थी। ऐसे में बीजेपी के लिए इस सीट पर जीतना एक बड़ा चैलेंज है। हालांकि बीजेपी ने अपने जिस नेता पर भरोसा जताया , वो पहले इस सीट से बीजेपी को जीत दिला चुके हैं। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि क्या वो इस बार कांग्रेस के किले में सेंध लगा पाएंगे। हालांकि बीजेपी की ओर से जीत सुनिश्चित दिख रही है। सरदारशहर सीट के चुनावी समीकरण को समझें तो यहां 15 बार चुनाव हुए हैं। इनमें 9 बार कांग्रेस को और बीजेपी को दो बार ही जीत मिली है। ऐसे में कांग्रेस की किलेबंदी को यहां तोड़ना बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती है।
जाट प्रत्याशी उतार कर खेल बिगाड़ सकती है आरएलपी
हनुमान बेनावाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने उपचुनावों में चुनावी समीकरण बिगाड़ सकती है। हालांकि अभी तक हनुमान बेनीवाल ने उपचुनाव को लेकर कोई बयान नहीं दिया है लेकिन अंदरखाने उनकी बातचीत जारी है। बीजेपी और कांग्रेस से नाराज होकर बागी होने वाले प्रत्याशियों पर बेनीवाल की नजर है। वर्ष 2018 के चुनावों में भी बेनीवाल ने आरएलपी से बलदेव को चुनावी मैदान में उतारा था। आरएलपी प्रत्याशी बलदेव 10,273 वोट लेकर तीसरे नम्बर पर रहे। उप चुनावों में भी बेनीवाल अपना प्रत्याशी उतार सकते हैं।
पढ़ें सरदारशहर उपचुनाव का पूरा शैड्यूल
सरदारशहर उपचुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 17 नवंबर है, जबकि मतदान पांच दिसंबर को और मतगणना आठ दिसंबर को होगी। सरदारशहर उपचुनाव में 2,89,579 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे। वोटिंग के लिए कुल मतदान 295 केंद्र बनाए गए हैं।
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पिछले चुनावों में दूसरे स्थान पर रहे थे अशोक कुमार पिंचा
बीजेपी ने अशोक कुमार पिंचा को लगातार तीन बार टिकट दिया लेकिन 2008 में चुनाव जीतने के बाद वे कांग्रेस नेता भंवरलाल शर्मा के सामने दो बार चुनाव हार गए थे। अब भंवरलाल शर्मा के निधन के बाद हो रहे उपचुनावों में बीजेपी ने एक बार फिर अशोक कुमार पिंचा को टिकट दिया है। वर्ष 2018 के चुनावों में वे 16,816 वोटों से हार गए थे। कांग्रेस के भंवरलाल शर्मा को 95,282 वोट मिले थे जबकि अशोक कुमार पिंच को 78,466 वोट मिले थे।
कांग्रेस का रहा है सरदारशहर में पलड़ा भारी, अब खेला सिंपैथीकार्ड
बीते चार साल में भंवरलाल शर्मा के निधन से पहले राजस्थान में 5 विधायकों का निधन हो चुका है। इनमें 3 कांग्रेस के थे लेकिन उपचुनावों में कांग्रेस ने 3 के बजाय 4 सीटों पर जीत हासिल की। उपचुनावों में बीजेपी के बजाए कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा है। कांग्रेस ने पिछले सभी उपचुनावों में दिवंगत विधायक के परिवार के सदस्यों को ही टिकट दिया है। इन सभी पर कांग्रेस को जीत भी मिली है। सरदारशहर सीट पर भी कांग्रेस ने इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए सिंपैथीकार्ड खेल दिया है।
2013 में प्रचंड मोदी लहर में भी सरदारशहर सीट कांग्रेस के खाते में ही गई थी। ऐसे में बीजेपी के लिए इस सीट पर जीतना एक बड़ा चैलेंज है। हालांकि बीजेपी ने अपने जिस नेता पर भरोसा जताया , वो पहले इस सीट से बीजेपी को जीत दिला चुके हैं। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि क्या वो इस बार कांग्रेस के किले में सेंध लगा पाएंगे। हालांकि बीजेपी की ओर से जीत सुनिश्चित दिख रही है। सरदारशहर सीट के चुनावी समीकरण को समझें तो यहां 15 बार चुनाव हुए हैं। इनमें 9 बार कांग्रेस को और बीजेपी को दो बार ही जीत मिली है। ऐसे में कांग्रेस की किलेबंदी को यहां तोड़ना बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती है।
जाट प्रत्याशी उतार कर खेल बिगाड़ सकती है आरएलपी
हनुमान बेनावाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने उपचुनावों में चुनावी समीकरण बिगाड़ सकती है। हालांकि अभी तक हनुमान बेनीवाल ने उपचुनाव को लेकर कोई बयान नहीं दिया है लेकिन अंदरखाने उनकी बातचीत जारी है। बीजेपी और कांग्रेस से नाराज होकर बागी होने वाले प्रत्याशियों पर बेनीवाल की नजर है। वर्ष 2018 के चुनावों में भी बेनीवाल ने आरएलपी से बलदेव को चुनावी मैदान में उतारा था। आरएलपी प्रत्याशी बलदेव 10,273 वोट लेकर तीसरे नम्बर पर रहे। उप चुनावों में भी बेनीवाल अपना प्रत्याशी उतार सकते हैं।
पढ़ें सरदारशहर उपचुनाव का पूरा शैड्यूल
सरदारशहर उपचुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 17 नवंबर है, जबकि मतदान पांच दिसंबर को और मतगणना आठ दिसंबर को होगी। सरदारशहर उपचुनाव में 2,89,579 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे। वोटिंग के लिए कुल मतदान 295 केंद्र बनाए गए हैं।
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