पाकिस्तान और हिंदुस्तान के बीच समझौता एक्सप्रेस चलाने के पीछे क्या था असल कारण?

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भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली ट्रेन समझौता एक्सप्रेस दिल्ली से पंजाब स्थित अटारी तक का सफर तय करती है। यह ट्रेन अटारी से वाघा बॉर्डर तक तीन किलोमीटर की सीमा पार कर आपने मुसाफिरों को मंज़िल तक पहुंचती है।सीमा पार करने के बाद यह ट्रेन पा‌किस्तान के लाहौर जाती है, आपको बतादे इस दौरान बीएसएफ के जवान घोड़ागाड़ी से इसकी निगरानी करते हैं। भारत से यह दो बार- बुधवार व रविवार को पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से रात 11.10 बजे निकलती है। इसके लिए पुरानी दिल्ली अलग से प्लेटफॉर्म बनाया गया है। दिल्ली से निकलने के बाद अटारी तक बीच में इसका कोई स्टॉपेज नहीं है।

आप जानकर चौक जाएंगे कि समझौता एक्सप्रेस का इतिहास 40 साल से भी अधिक पुराना है। इसकी नींव 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद रखी गई थी। दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच हुए, दोनों देशों ने आपस में फिर से रेल सेवा को को जारी करने में सहमति व्यक्त की। भारत-पाकिस्तान और बांग्लादेश साल 1947 तक हिन्दुस्तान से एक ही देश था।

देश की आजादी के वक्त भारत-पाकिस्तान के बटवारे के बाद कई परिवारों के लोग दो अलग-अलग देशों के निवासी हो गए। ऐसे में ईद-दीवाली व अन्य कई प्रमुख अवसर पर इन तीनों देशों के लोग सीमाएं लांघकर अपनों के बीच आते जाते थे।

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इसक अलावा भारत-पाकिस्तान, दोनों ही देशों के बीच भारी मात्रा में खाद्य पदार्थ व अन्य कई तरह के व्यापार भी होते हैं। उसके लिए भी समझौता एक्सप्रेस एक बड़ी भूमिका निभाता है।