S Jaishankar Latest News: न्यूजीलैंड की पीएम ने ऑस्ट्रेलिया को दे दी बड़ी टेंशन, एस जयशंकर का एक और लिटमस टेस्ट तय h3>
वेलिंगटन: इंडो-पैसिफिक के लगभग सभी देश चीन के आक्रामक और विस्तारवादी रवैये (Chinese Expansionism) से परेशान हैं। भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस समेत कई देशों का चीन (China Aggressive Foreign Policy) के साथ संबंध ठीक नहीं है। इस बीच न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने चीन के साथ मिलकर काम करने का ऐलान कर इन देशों की टेंशन को बढ़ा दिया है। अर्डर्न के इस फैसले से सबसे ज्यादा परेशानी ऑस्ट्रेलिया की बढ़ने वाली है। कोरोना महामारी की शुरुआत से ही चीन और ऑस्ट्रेलिया के संबंध बेहद बुरे दौर से गुजर रहे हैं। चीन ने ऑस्ट्रेलिया के साथ लगभग सभी व्यापारिक संबंध तोड़ लिए हैं। इतना ही नहीं, चीनी सेना ने ऑस्ट्रेलिया की घेराबंदी करने के लिए सोलोमन द्वीपसमूह के साथ सैन्य समझौता भी किया है। ऐसे में चीन की इंडो-पैसिफिक में बढ़ते प्रभाव से भारत भी अछूता नहीं रहेगा।
‘चीन के साथ दोस्ती से खुश पर सोलोमन को लेकर निराश’
पीएम जैसिंडा अर्डर्न ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि वह चीन के साथ न्यूजीलैंड के मजबूत संबंधों के साथ खड़ी हैं। हालांकि, उन्होंने सोलोमन द्वीपसमूह के साथ चीन के सुरक्षा समझौते को लेकर निराशा जाहिर की। उन्होंने कहा कि सोलोमन द्वीपसमूह में जब दंगे हुए थे तो वहां की सरकार के कहने पर ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने खुलकर मदद की थी। अगर उन्हें और अधिक जरूरत है तो हम मदद और समर्थन के लिए तैयार हैं। ऐसे में चीन के साथ इस तरह का समझौता करने की क्या आवश्यकता थी।
चीन विरोधी सैन्य संगठन में शामिल होने से न्यूजीलैंड का इनकार
पीएम अर्डन ने न्यूजीलैंड के अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के ऑकस सैन्य गठबंधन में शामिल होने की संभावना से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि ऑकस पर हमारा विचार इतना ही है कि जब हमारे पास अधिक देशों के साथ जुड़ाव होता है तो वह देश के लिए फायदेमंद होता है। उन्होंने यह भी कहा कि हमने अमेरिका से अपने क्षेत्र के आर्थिक ढांचे में दिलचस्पी लेने को कहा है। यह सिर्फ रक्षा और सुरक्षा व्यवस्था के बारे में ही सीमित नहीं रह सकता है। यह समग्र रूप से क्षेत्र की भलाई के बारे में होना चाहिए और हम इस मोर्चे पर अमेरिका की प्रतिक्रिया भी देख रहे हैं।
चीन के साथ न्यूजीलैंड का पुराना दोस्ताना
चीन के साथ उदार रूख बनाए रखने को लेकर न्यूजीलैंड कई बार आलोचकों के निशाने पर आ चुका है। इसके बावजूद अर्डर्न प्रशासन चीन के साथ द्विपक्षीय संबंधों के मुद्दे पर अडिग रहा है। आलोचकों का कहना है कि न्यूजीलैंड आर्थिक मामलों को लेकर चीन पर पूरी तरह से निर्भर है। पीएम अर्डन ने खुद कहा कि चीन हमारे लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार है। उनके साथ हमारा मजबूत रिश्ता है। कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां हम साथ मिलकर काम कर सकते हैं। इसके बावजूद कई ऐसे क्षेत्र भी होंगे, जहां हमारे विचार स्पष्ट रूप से एक नहीं होंगे।
न्यूजीलैंड और चीन की दोस्ती का भारत पर असर
न्यूजीलैंड और चीन की दोस्ती का भारत पर भी असर पड़ने की बहुत संभावना है। न्यूजीलैंड प्रशांत महासागर के अति महत्वपूर्ण इलाके में स्थित है। छोटा होने के बावजूद इस देश में व्यापार की बहुत संभावनाए हैं। न्यूजीलैंड में करीब 175000 भारतीय लोग रहते हैं। इसके बावजूद भारत और न्यूजीलैंड के बीच रक्षा संबंधों के क्षेत्र में बहुत ही कम प्रगति की है। न्यूजीलैंड में चीन के हावी होने से प्रशांत महासागर से गुजरने वाले महत्वपूर्ण समुद्री व्यापारिक रूट पर भारत के लिए खतरा बढ़ जाएगा। इतना ही नहीं, भविष्य में पृथ्वी के दक्षिणतम महाद्वीप अंटार्कटिका में भारतीय मिशन को लेकर भी परेशानी बढ़ सकती है। ऐसे में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के लिए न्यूजीलैंड को अपने पाले में लाना एक कड़ी चुनौती बन सकती है।
‘चीन के साथ दोस्ती से खुश पर सोलोमन को लेकर निराश’
पीएम जैसिंडा अर्डर्न ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि वह चीन के साथ न्यूजीलैंड के मजबूत संबंधों के साथ खड़ी हैं। हालांकि, उन्होंने सोलोमन द्वीपसमूह के साथ चीन के सुरक्षा समझौते को लेकर निराशा जाहिर की। उन्होंने कहा कि सोलोमन द्वीपसमूह में जब दंगे हुए थे तो वहां की सरकार के कहने पर ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने खुलकर मदद की थी। अगर उन्हें और अधिक जरूरत है तो हम मदद और समर्थन के लिए तैयार हैं। ऐसे में चीन के साथ इस तरह का समझौता करने की क्या आवश्यकता थी।
चीन विरोधी सैन्य संगठन में शामिल होने से न्यूजीलैंड का इनकार
पीएम अर्डन ने न्यूजीलैंड के अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के ऑकस सैन्य गठबंधन में शामिल होने की संभावना से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि ऑकस पर हमारा विचार इतना ही है कि जब हमारे पास अधिक देशों के साथ जुड़ाव होता है तो वह देश के लिए फायदेमंद होता है। उन्होंने यह भी कहा कि हमने अमेरिका से अपने क्षेत्र के आर्थिक ढांचे में दिलचस्पी लेने को कहा है। यह सिर्फ रक्षा और सुरक्षा व्यवस्था के बारे में ही सीमित नहीं रह सकता है। यह समग्र रूप से क्षेत्र की भलाई के बारे में होना चाहिए और हम इस मोर्चे पर अमेरिका की प्रतिक्रिया भी देख रहे हैं।
चीन के साथ न्यूजीलैंड का पुराना दोस्ताना
चीन के साथ उदार रूख बनाए रखने को लेकर न्यूजीलैंड कई बार आलोचकों के निशाने पर आ चुका है। इसके बावजूद अर्डर्न प्रशासन चीन के साथ द्विपक्षीय संबंधों के मुद्दे पर अडिग रहा है। आलोचकों का कहना है कि न्यूजीलैंड आर्थिक मामलों को लेकर चीन पर पूरी तरह से निर्भर है। पीएम अर्डन ने खुद कहा कि चीन हमारे लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार है। उनके साथ हमारा मजबूत रिश्ता है। कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां हम साथ मिलकर काम कर सकते हैं। इसके बावजूद कई ऐसे क्षेत्र भी होंगे, जहां हमारे विचार स्पष्ट रूप से एक नहीं होंगे।
न्यूजीलैंड और चीन की दोस्ती का भारत पर असर
न्यूजीलैंड और चीन की दोस्ती का भारत पर भी असर पड़ने की बहुत संभावना है। न्यूजीलैंड प्रशांत महासागर के अति महत्वपूर्ण इलाके में स्थित है। छोटा होने के बावजूद इस देश में व्यापार की बहुत संभावनाए हैं। न्यूजीलैंड में करीब 175000 भारतीय लोग रहते हैं। इसके बावजूद भारत और न्यूजीलैंड के बीच रक्षा संबंधों के क्षेत्र में बहुत ही कम प्रगति की है। न्यूजीलैंड में चीन के हावी होने से प्रशांत महासागर से गुजरने वाले महत्वपूर्ण समुद्री व्यापारिक रूट पर भारत के लिए खतरा बढ़ जाएगा। इतना ही नहीं, भविष्य में पृथ्वी के दक्षिणतम महाद्वीप अंटार्कटिका में भारतीय मिशन को लेकर भी परेशानी बढ़ सकती है। ऐसे में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के लिए न्यूजीलैंड को अपने पाले में लाना एक कड़ी चुनौती बन सकती है।