Russia Ukraine War: सरकार रूस के साथ लेकिन टाटा स्टील ने लिया रूस में कारोबार नहीं करने का फैसला, समझिए क्यों h3>
नई दिल्ली: भारत की सबसे बड़ी स्टील कंपनी टाटा स्टील (Tata Steel) ने रूस के साथ अपना कारोबार बंद करने की घोषणा की है। यह पहली भारतीय कपनी नहीं है, जिसने रूस के साथ कारोबार बंद करने की घोषणा की है। इससे पहले दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस (Infosys) ने रूस के साथ कारोबार बंद करने की घोषणा की थी। अब सवाल यह है कि जब भारत सरकार रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) को लेकर रूस के विरोध में नहीं खड़ी है, तो ये दिग्गज भारतीय कंपनियां क्यों रूस से अपना कारोबार समेट रही हैं। दरअसल, इन कंपनियों के रूस की अपेक्षा अमेरिका और यूरोपीय देशों में अधिक मजबूत कारोबारी संबंध हैं। ऐसा लगता है कि इन देशों में अपने कारोबारी संबंधों को बनाए रखने के लिए ये कंपनियां रूस से कारोबार समेट रही हैं।
रूस से कोयला आयात करती है टाटा स्टील
टाटा स्टील ने एक बयान में स्पष्ट किया कि वह न तो रूस में कोई फैक्ट्री चलाती है और ना ही उसका वहां कोई परिचालन है। रूस मे कंपनी के कर्मचारी भी नहीं हैं। रूस के साथ टाटा स्टील का कारोबार बस इतना है कि वह रूस से कोयला आयात करती है। इस कोयला उपयोग वह अपने स्टील प्लांट्स में करती है। वहीं, दूसरी तरफ ब्रिटेन और नीदरलैंड में कंपनी के कारखाने है। इन प्लांट्स के लिए अब वैकल्पिक बाजारों से कोयला मंगाया जा रहा है। इससे उनकी रूस पर निर्भरता समाप्त हो गई है। कंपनी का कहना है कि उसने रूस में कारोबार नहीं करने का फैसला काफी सोच-समझकर लिया है।
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रूस से कारोबार खत्म कर रहीं यूरोपीय कंपनियां
रूस यूक्रेन युद्ध के के चलते अमेरिका सहित यूरोपीय देशों ने रूस पर भारी प्रतिबंध लगाए हैं। इन देशों की कंपनियों ने भी रूस के साथ अपने कारोबार खत्म कर लिए हैं। ऐसे में अमेरिका और यूरोपीय देशों में कारोबार करने वाली भारतीय कंपनियों पर भी दबाव बना है कि वह रूस के साथ अपने कारोबार खत्म करें। दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस ने हाल ही में रूस से कारोबार समेटने की सूचना दी थी।
EU देशों की राह पर इंग्लैंड और नीदरलैंड में कंपनी के प्लांट्स
टाटा स्टील के एक अधिकारी ने बताया, ‘यरोपीय यूनियन (European Union) के देश रूस के साथ कारोबारी रिश्ते खत्म कर रहे हैं। इंग्लैंड और नीदरलैंड में स्थित हमारे इस्पात विनिर्माण संयंत्र (Steel Manufacturing Plants) भी इसका हिस्सा होंगे। यही कारण है कि हमने इन प्लांट्स के लिए रूस से कोयला खरीदने के बजाय वैकल्पिक बाजारों से कोयला खरीदने का फैसला किया है।’
रूस के विरोध में नहीं खड़ी भारत सरकार
भले ही कुछ भारतीय कंपनियों ने रूस से अपने कारोबारी रिश्ते खत्म करने की घोषणा की हो, लेकिन भारत सरकार रूस के विरोध में खड़ी नहीं दिखाई दी है। रूस के यूक्रेन पर आक्रमण का विरोध करने के कई आधिकारिक मौकों पर भारत अनुपस्थित रहा है। इसके अलावा भारत ने रूस पर किसी तरह के आर्थिक प्रतिबंध नहीं लगाए हैं। भारत पर कई पश्चिमी देशों की ओर से लगातार दबाव भी बना हुआ है। इस सबके बावजूद भारत ने रूस से कच्चे तेल का आयात किया है।
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रूस से कोयला आयात करती है टाटा स्टील
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रूस से कारोबार खत्म कर रहीं यूरोपीय कंपनियां
रूस यूक्रेन युद्ध के के चलते अमेरिका सहित यूरोपीय देशों ने रूस पर भारी प्रतिबंध लगाए हैं। इन देशों की कंपनियों ने भी रूस के साथ अपने कारोबार खत्म कर लिए हैं। ऐसे में अमेरिका और यूरोपीय देशों में कारोबार करने वाली भारतीय कंपनियों पर भी दबाव बना है कि वह रूस के साथ अपने कारोबार खत्म करें। दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस ने हाल ही में रूस से कारोबार समेटने की सूचना दी थी।
EU देशों की राह पर इंग्लैंड और नीदरलैंड में कंपनी के प्लांट्स
टाटा स्टील के एक अधिकारी ने बताया, ‘यरोपीय यूनियन (European Union) के देश रूस के साथ कारोबारी रिश्ते खत्म कर रहे हैं। इंग्लैंड और नीदरलैंड में स्थित हमारे इस्पात विनिर्माण संयंत्र (Steel Manufacturing Plants) भी इसका हिस्सा होंगे। यही कारण है कि हमने इन प्लांट्स के लिए रूस से कोयला खरीदने के बजाय वैकल्पिक बाजारों से कोयला खरीदने का फैसला किया है।’
रूस के विरोध में नहीं खड़ी भारत सरकार
भले ही कुछ भारतीय कंपनियों ने रूस से अपने कारोबारी रिश्ते खत्म करने की घोषणा की हो, लेकिन भारत सरकार रूस के विरोध में खड़ी नहीं दिखाई दी है। रूस के यूक्रेन पर आक्रमण का विरोध करने के कई आधिकारिक मौकों पर भारत अनुपस्थित रहा है। इसके अलावा भारत ने रूस पर किसी तरह के आर्थिक प्रतिबंध नहीं लगाए हैं। भारत पर कई पश्चिमी देशों की ओर से लगातार दबाव भी बना हुआ है। इस सबके बावजूद भारत ने रूस से कच्चे तेल का आयात किया है।
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