श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट (Jammu & Kashmir High Court) द्वारा रोशनी एक्ट (Roshni Act) रद्द किए जाने के करीब एक महीने बाद राज्य सरकार ने अपनी वेबसाइट पर लाभार्थियों के सूची प्रकाशित करना शुरू कर दिया है. इसमें शीर्ष राजनेता, अधिकारी एवं व्यापारी आदि के नाम शामिल हैं, जिनपर राज्य की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा करने का आरोप है.
इन सभी पर लगा अवैध कब्जे का आरोप
जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा श्रीनगर में 25,000 करोड़ रुपये के लाभार्थियों की पहली लिस्ट से घोटाले का भंड़ाफोड़ किया था. इसमें पूर्व वित्त मंत्री और पूर्व पीडीपी नेता हसीब द्राबू और उनके परिवार के तीन सदस्यों का नाम सामने आया था. इस दौरान कांग्रेस नेता और श्रीनगर में ब्रॉडवे होटल के मालिक के अमला को 11 कनाल और उनके तीन परिवार के सदस्यों को एक-एक कनाल जमीन मिलने का भी खुलासा हुआ था.
सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर रोशनी एक्ट मामलों में पूर्व विधायक सतपाल लखोत्रा और उनके तीन रिश्तेदारों के अलावा सरकारी कर्मचारी और व्यापारी नारू राम, बेली राम, शालो राम, राम दास और राम लाल का नाम भी शामिल है. इन नामों के अलावा नेशनल कॉन्फ्रेन्स के नेता सैयद अखून और हारून चौधरी और पूर्व मंत्री रहे सुजाद किचलू और पूर्व एनसी नेता असलम गोनी का नाम भी है.
फारूक अब्दुल्ला पर भी लगे आरोप
इस मामले में नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला पर भी सरकारी जमीन हड़पने के आरोप लग रहे हैं. हालांकि नेशनल कॉन्फ्रेस ने इन आरोपों का खंडन करते हुए एक बयान जारी किया था. जिसके अनुसार फारूक अब्दुल्ला ने रोशनी एक्ट के तहत कोई लाभ हासिल नहीं किया. कॉन्फ्रेंस के जनरल सेकट्री अली मुहम्मद सागर ने कहा, ‘हमने किसी जमीन पर अवैध कब्जा नहीं किया है. जो भी जमीन ली है, हमने सरकार को उसका का मुआवजा दिया है. अगर कार्रवाई करनी है तो करें. हमें तैयार हैं. कश्मीर में डीडीसी चुनाव होने वाले हैं, इसलिए सरकार राजनीतिक हथकंडा अपना रही है.’
सरकार को लौटान होगी कब्जे की जमीन
इन सभी ने अपने रसूक का इस्तेमाल कर सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा किया और फिर बाजार से सस्ते धामों पर जमीन का मालिकाना हक हासिल कर लिया. हालांकि रोशनी एक्ट के रद्द होने के बाद जमीन पर अवैध कब्जा करने वाले प्रदेश के अमीर और प्रसिद्ध लोगों को हाई कोर्ट के आदेशानुसार इस प्रोपर्टी को वापिस सरकार को सौंपना होगा. बताया जा रहा है कि जल्द ही रोशनी घोटाले के लाभार्थियों की एक और सूची प्रकाशित होगी. इस सूची जिस में कुछ राजनीतिक दिग्गजों के नाम अपलोड किए जा सकते हैं.
क्या था पूरा मामला ?
2014 की कैग रिपोर्ट में बाद में पाया गया कि 25,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 2007 से 2013 के बीच अतिक्रमित भूमि केवल 76 करोड़ रुपये की प्राप्ति हुई. जिसके बाद रोशन अधिनियम को नवंबर 2018 में राज्य प्रशासनिक परिषद द्वारा निरस्त कर दिया गया था. बाद में, अधिनियम और नियमों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए, हाई कोर्ट ने अधिनियम को असंवैधानिक ठहराया और यहां तक कि नियमों को अवैध और शून्य घोषित किया. इसके बाद राज्य द्वारा अधिनियम के तहत दी गई जमीन को वापस कब्जे में लेने का आदेश दिया गया. और सीबीआई को रोशनी घोटाले की जांच करने का निर्देश दिया.
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