roadside restaurants: कोरोना संकट की वजह से इस चमकदार धंधे की खत्म हो गई है रौनक

253
roadside restaurants: कोरोना संकट की वजह से इस चमकदार धंधे की खत्म हो गई है रौनक

roadside restaurants: कोरोना संकट की वजह से इस चमकदार धंधे की खत्म हो गई है रौनक

नई दिल्ली
नई दिल्ली से अमृतसर जाने वाले नेशनल हाईवे (NH) पर हरियाणा के करनाल में एक रोडसाइड रेस्टोरेंट के मालिक (roadside restaurateurs) असिन शर्मा अपने खाट पर शांति से लेटे हैं। कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन (LockDown) के दौर में जब देशभर में लोगों का आना जाना बंद था, रोडसाइड रेस्टोरेंट (roadside restaurant) पर खाने वाला कोई नहीं था।

यह भी पढ़ें: कोरोना संकट के बीच मई 2021 में स्कोर्पियो, क्रेटा, ब्रेजा जैसी एसयूवी की क्यों बढ़ी बिक्री
सिर्फ चाय-पानी की मांग
नेशनल हाईवे के एक छोटे से हिस्से पर करनाल में पांच रोड साइड ढाबे (roadside restaurant) बने हुए हैं। कभी-कभी अपनी कार से जाने वाले कुछ लोग यहां खड़े हो जाते हैं। इस ढाबे पर आने वाले लोग चाय और पानी जैसी चीजों के लिए ही पूछते हैं। रोड साइड रेस्टोरेंट (roadside restaurant) में रोटी बनाने वाला तंदूर ठंडा पड़ा है और महीनों से उसका इस्तेमाल नहीं हुआ है। ऐसा ही एक ढाबा (roadside restaurant) चलाने वाले असिन शर्मा ने कहा, “हमारी स्थिति बहुत खराब है और हमारा ढाबा मरने की कगार पर है।” 35 साल के शर्मा ने कहा, “हमारे पास कोई काम नहीं है और इतने खर्च हैं कि हम अब इस बोझ को ज्यादा दिनों तक नहीं उठा सकते। हमारी स्थिति विकट हो गई है।”

लाखों लोगों को मिला काम
भारत में पिछले कई सालों से इस तरह के ढाबे (roadside restaurant) का चलन बढ़ गया है। देश में नेशनल हाईवे के किनारे इस तरह के हजारों ढाबे (roadside restaurant) हैं जो अब अस्तित्व बचाने के संकट से जूझ रहे हैं। देश के ज्यादातर राज्यों में लॉकडाउन से ढील दी जा रही है, लेकिन इसके बाद भी लोग बाहर खाने के लिए नहीं निकल रहे हैं। बहुत से ढाबे (roadside restaurant) परिवारों द्वारा चलाए जाते हैं और इनमें लाखों लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इसमें स्थानीय लोग से लेकर प्रवासी मजदूर तक शामिल हैं। रोडसाइड रेस्टोरेंट (roadside restaurant) की यह दिक्कत वास्तव में लॉकडाउन की वजह से आने-जाने पर लगे प्रतिबंध और लोगों के घूमने फिरने में आई कमी की वजह से भी है। भारत की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और इसका असर रोडसाइड रेस्टोरेंट (roadside restaurant) पर भी देखा जा रहा है।

सरकार से मदद की आस नहीं
पिछले साल कोरोनावायरस संक्रमण (Covid crisis) के पहले चरण में भारत सरकार ने छोटे एवं मझोले कारोबारियों के लिए बैंक लोन की गारंटी दे दी थी। इसमें होटल और रेस्तरां कारोबार भी शामिल हैं। इसके साथ ही कई बैंक लोन पर उन्हें कर्ज को आगे बढ़ाने की सुविधा भी मिली थी। अब कई रेस्टोरेंट्स मालिकों (roadside restaurant) को बैंक से लोन चुकाने के नोटिस भी मिल रहे हैं। पिछले महीने वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा था कि सरकार इस साल भी रेस्तरां के लिए राहत पैकेज का ऐलान कर सकती है। मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने हालांकि इस तरह की किसी योजना के बारे में अभी जानकारी देने से इनकार कर दिया।

बंद हुए हजारों ढाबे
मालिकों का कहना है कि बहुत से लोगों को अपना ढाबे का धंधा (roadside restaurant) स्थाई रूप से बंद करना पड़ रहा है। इसकी वजह सरकार द्वारा कोई सपोर्ट नहीं मिलना है। ढाबा चलाने वाले कुछ अन्य लोगों ने कहा कि बैंक लोन चुकाने में देरी हो सकती है। बैंक से लोन की किस्त आगे बढ़ाने के लिए भी बातचीत कर रही है, लेकिन अगर कोरोना का तीसरा चरण आता है तो roadside restaurant को अपनी संपत्ति बेचनी पड़ सकती है।

सैलरी कटौती के साथ नौकरी से भी निकाला
बहुत से ढाबे (roadside restaurant) ने अपने यहां काम करने वाले लोगों का वेतन काट लिया है, जबकि बहुत से लोगों की छुट्टी भी कर दी गई है। नेशनल हाईवे पर मौजूद मन्नत हवेली रेस्टोरेंट (Mannat Haveli) के मैनेजर सोनू शर्मा ने कहा कि आम दिनों में इस रेस्टोरेंट में 300 के करीब स्टाफ होते हैं जबकि इस समय सिर्फ 50 से 60 लोगों से काम चलाया जा रहा है।

यह भी पढ़ें: Health Sun कैप्सूल के क्या फायदे और नुकसान हैं ?

Today latest news in hindi के लिए लिए हमे फेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम में फॉलो करे | Get all Breaking News in Hindi related to live update of politics News in hindisports hindi newsBollywood Hindi News, technology and education etc.

Source link