Retail Inflation News: महंगाई ने बढ़ा दिए आपके घर के स्टोर रूम में पड़े ‘कबाड़’ के दाम, अखबार की रद्दी, खाली बोतलें अब बिक रही दोगुने रेट पर h3>
नई दिल्लीः दिल्ली में पेट्रोल 105.41 रुपये और डीजल 96.67 रुपये लीटर तक पहुंच चुका है। वहीं, सीएनजी के रेट भी 69 रुपये किलो को पार कर चुके हैं। इसकी वजह से हर चीज की कीमतें आसमान छू रही हैं, लेकिन ज्यादातर लोगों को शायद पता नहीं होगा कि उनके घर के स्टोर रूम आदि में जो स्क्रैप पड़ा हुआ है, उसके रेट भी डबल हो गए हैं। अब आप अखबार की रद्द को ही ले लो, कुछ समय पहले तक रद्दी 12-15 रुपये किलो बिक रही थी। अब उसकी कीमत 30 रुपये के करीब पहुंच चुकी है। वहीं, अभी तक गत्ता 14 रुपये किलो बिक रहा था, अब इसकी कीमत बढ़कर 28 रुपये पहुंच चुकी है।
पिछले कुछ सालों की बात करें तो अखबार की रद्दी के रेट कभी भी 10-12 रुपये किलो से अधिक नहीं हुए। दो दिन पहले जब मैंने लोकल कबाड़ी के गोदाम पर अखबार की रद्दी का रेट पूछा, तो कबाड़ी ने बताया कि साहब रद्दी 28 रुपये किलो खरीद रहे है। पिछली बार इसी कबाड़ी को मैंने करीब 25 किलो रद्दी 12 रुपये किलो के हिसाब से बेची थी। अचानक इतनी कीमत सुनकर बाकी स्क्रैप के रेट पूछे तो कबाड़ी ने बताया कि इस समय स्क्रैप की कीमत में बहुत वृद्धि हो रखी है। कबाड़ी ने बताया कि इस समय प्लॉस्टिक, लोहा, पॉलिथीन, कोल्ड ड्रिंक और पानी की खाली बोतल सहित हर तरह के स्क्रैप के रेट बढ़े हुए हैं।
सीमापुरी बॉर्डर पर छोटे कबाड़ियों से अलग अलग तरह का स्क्रैप खरीदने वाले आरिफ और मुर्तजा ने बताया कि पिछले 3-4 महीने से स्क्रैप के रेट आसमान छू रहे हैं। कुछ समय पहले तक प्लास्टिक का रेट 20 रुपये किलो था, जो अब बढ़कर 28 रुपये किलो चल रहा है। इसी तरह से गत्ते का रेट 14 रुपये किलो से बढ़कर सीधे दो गुणा हो गया है। लोहा 30-35 रुपये किलो के हिसाब से खरीदा जा रहा था। अब लोहे का रेट बढ़कर 50 रुपये किलो हो गया है। अखबार की रद्दी का रेट इस समय 28-30 रुपये किलो है। पॉलिथीन का रेट भी 28 रुपये किलो से बढ़कर 45 रुपये किलो हो गया है। वहीं, कोल्ड ड्रिंक और पानी की जो खाली बोतलें 18-20 रुपये किलो के हिसाब से बिक रही थीं। अब यह कीमत 50 रुपये किलो चल रही है। उन्होंने बताया कि लोकल कबाड़ी हर तरह के स्क्रैप पर अपना 4-5 रुपये मार्जिन रखकर आगे बड़े डीलरों को बेच रहे हैं।
ऐसा क्या हुआ जो इस समय स्क्रैप की कीमत इतनी ज्यादा बढ़ गई है? इस सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि इंडिया में रिसाइकल के लिए बड़ी मात्रा में स्क्रैप की जरूरत होती है। इसके लिए बड़ी बड़ी कंपनियां विदेश से स्क्रैप खरीद रही थीं। विदेश से जो स्क्रैप आता है, वह मिक्स होता है। यानी स्क्रैप में रद्दी के अलावा, प्लॉस्टिक और लोहा आदि सब मिक्स होता है। यहां पर उसकी छंटाई की जाती है। विदेशी स्क्रैप 10-12 रुपये किलो के हिसाब से मिल रहा था। किन्हीं कारणों से पिछले कुछ महीने से विदेशी स्क्रैप पर रोक लगी हुई है। हर तरह के स्क्रैप की डिमांड अधिक होने के कारण इसकी कीमतों में भारी उछाल चल रहा है।
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पिछले कुछ सालों की बात करें तो अखबार की रद्दी के रेट कभी भी 10-12 रुपये किलो से अधिक नहीं हुए। दो दिन पहले जब मैंने लोकल कबाड़ी के गोदाम पर अखबार की रद्दी का रेट पूछा, तो कबाड़ी ने बताया कि साहब रद्दी 28 रुपये किलो खरीद रहे है। पिछली बार इसी कबाड़ी को मैंने करीब 25 किलो रद्दी 12 रुपये किलो के हिसाब से बेची थी। अचानक इतनी कीमत सुनकर बाकी स्क्रैप के रेट पूछे तो कबाड़ी ने बताया कि इस समय स्क्रैप की कीमत में बहुत वृद्धि हो रखी है। कबाड़ी ने बताया कि इस समय प्लॉस्टिक, लोहा, पॉलिथीन, कोल्ड ड्रिंक और पानी की खाली बोतल सहित हर तरह के स्क्रैप के रेट बढ़े हुए हैं।
सीमापुरी बॉर्डर पर छोटे कबाड़ियों से अलग अलग तरह का स्क्रैप खरीदने वाले आरिफ और मुर्तजा ने बताया कि पिछले 3-4 महीने से स्क्रैप के रेट आसमान छू रहे हैं। कुछ समय पहले तक प्लास्टिक का रेट 20 रुपये किलो था, जो अब बढ़कर 28 रुपये किलो चल रहा है। इसी तरह से गत्ते का रेट 14 रुपये किलो से बढ़कर सीधे दो गुणा हो गया है। लोहा 30-35 रुपये किलो के हिसाब से खरीदा जा रहा था। अब लोहे का रेट बढ़कर 50 रुपये किलो हो गया है। अखबार की रद्दी का रेट इस समय 28-30 रुपये किलो है। पॉलिथीन का रेट भी 28 रुपये किलो से बढ़कर 45 रुपये किलो हो गया है। वहीं, कोल्ड ड्रिंक और पानी की जो खाली बोतलें 18-20 रुपये किलो के हिसाब से बिक रही थीं। अब यह कीमत 50 रुपये किलो चल रही है। उन्होंने बताया कि लोकल कबाड़ी हर तरह के स्क्रैप पर अपना 4-5 रुपये मार्जिन रखकर आगे बड़े डीलरों को बेच रहे हैं।
ऐसा क्या हुआ जो इस समय स्क्रैप की कीमत इतनी ज्यादा बढ़ गई है? इस सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि इंडिया में रिसाइकल के लिए बड़ी मात्रा में स्क्रैप की जरूरत होती है। इसके लिए बड़ी बड़ी कंपनियां विदेश से स्क्रैप खरीद रही थीं। विदेश से जो स्क्रैप आता है, वह मिक्स होता है। यानी स्क्रैप में रद्दी के अलावा, प्लॉस्टिक और लोहा आदि सब मिक्स होता है। यहां पर उसकी छंटाई की जाती है। विदेशी स्क्रैप 10-12 रुपये किलो के हिसाब से मिल रहा था। किन्हीं कारणों से पिछले कुछ महीने से विदेशी स्क्रैप पर रोक लगी हुई है। हर तरह के स्क्रैप की डिमांड अधिक होने के कारण इसकी कीमतों में भारी उछाल चल रहा है।