Remdesivir Injection: देश में कोरोना के इलाज में काम वाले इस इंजेक्शन की नहीं होगी कमी, कंपनियां कर रही हैं उपाय h3>
हाइलाइट्स:
- एम्स दिल्ली के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की मारामारी से बचने के लिए कहा था
- देश के कई हिस्से में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remdesivir Injection) बेचा जा रहा है
- कई दवा कंपनियां रेमडेसिविर इंजेक्शन का उत्पादन बढ़ा रही हैं
देश में कोरोना संक्रमण (covid infection) के दूसरे चरण में कई तरह की चीजों को लेकर मारामारी मची हुई है। इनमें से ही एक रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remdesivir Injection) भी है। देश के कई हिस्से में रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत हो गई है। कई इलाकों में इसकी कालाबाजारी हो रही है और देश के कई हिस्से में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remdesivir Injection) बेचा जा रहा है। इस बीच खबर यह है कि दवा बनाने वाली कई कंपनियां अब रेमडेसिविर इंजेक्शन का उत्पादन बढ़ाने पर सहमत हो गई हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि अगले कुछ हफ्ते में देश में रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत दूर हो सकती है।
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एम्स के निदेश गुलेरिया ने क्या कहा?
ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस (AIIMS) दिल्ली के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने 19 अप्रैल को एक बयान दिया था। उन्होंने कहा था, “रेमडेसिविर (Remdesivir) इंजेक्शन कोई मैजिक बुलेट नहीं है। यह कोई ऐसी दवा भी नहीं है जिससे कोरोनावायरस से मरने वाले लोगों की संख्या घटाई जा सके। हम इसका इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन हमारे पास अब तक कोई एंटीवायरल ड्रग नहीं है। अगर रेमडेसिविर (Remdesivir) को कोरोनावायरस के मामूली लक्षण वाले या बिना लक्षण वाले मरीजों को दिया जाए तो उससे कोई फायदा नहीं है। अगर कोरोनावायरस के गंभीर मरीजों को भी रेमडेसिविर इंजेक्शन दिया जाए तो भी इसका कोई मतलब नहीं है।”
रेमडेसिविर की भारी मांग क्यों है?
देश के शीर्ष मेडिकल संस्थानों के मुखिया द्वारा दिए गए इस बयान के बाद भी देश में रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग बढ़ती रही। देश में कोरोना संकट बढ़ने के बाद रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग कई गुना बढ़ चुकी है। अगर बात अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (USFDA) की करें तो उनकी तरफ से इमरजेंसी यूज़ ऑथराइजेशन पाने वाली रेमडेसिविर एकमात्र दवाई है। अस्पताल में कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए सिर्फ इसी इंजेक्शन को मान्यता दी गई है। इसके साथ ही वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने भी कोविड-19 के मरीजों पर रेमडेसिविर इंजेक्शन इस्तेमाल करने का सुझाव दिया है। देशभर में कोरोना मरीज और उनके परिजन किसी भी तरीके से रेमडेसिविर इंजेक्शन पाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं।
भारत सरकार ने की पहल
सरकार ने अप्रैल में रेमडेसिविर की आपूर्ति बढ़ाने के लिए कुछ उपाय किया है। सरकार ने इसके निर्यात पर बैन लगा दिया है। इसके साथ ही इसे बनाने में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल पर कस्टम ड्यूटी खत्म कर दी गई है। इसके अप्रूवल में लगने वाला समय भी कम कर दिया गया है और प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए कई अन्य उपाय किए गए हैं। देश में अब कई दवा कंपनियां रेमडेसिविर इंजेक्शन का उत्पादन बढ़ा रही हैं और इस वजह से उम्मीद है कि आने वाले हफ्ते में इंजेक्शन की किल्लत दूर हो सकती है। इनमें कैडिला हेल्थकेयर, सिप्ला (Cipla), मायलान, हेट्रो (Hetero), डॉ रेड्डीज लैब्स (Dr। Reddy’s Laboratories), जुबिलियेंट फार्मा (Jubilant Pharma) और सिंजिन इंटरनेशनल (Syngene International) आदि शामिल हैं।
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- एम्स दिल्ली के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की मारामारी से बचने के लिए कहा था
- देश के कई हिस्से में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remdesivir Injection) बेचा जा रहा है
- कई दवा कंपनियां रेमडेसिविर इंजेक्शन का उत्पादन बढ़ा रही हैं
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एम्स के निदेश गुलेरिया ने क्या कहा?
ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस (AIIMS) दिल्ली के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने 19 अप्रैल को एक बयान दिया था। उन्होंने कहा था, “रेमडेसिविर (Remdesivir) इंजेक्शन कोई मैजिक बुलेट नहीं है। यह कोई ऐसी दवा भी नहीं है जिससे कोरोनावायरस से मरने वाले लोगों की संख्या घटाई जा सके। हम इसका इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन हमारे पास अब तक कोई एंटीवायरल ड्रग नहीं है। अगर रेमडेसिविर (Remdesivir) को कोरोनावायरस के मामूली लक्षण वाले या बिना लक्षण वाले मरीजों को दिया जाए तो उससे कोई फायदा नहीं है। अगर कोरोनावायरस के गंभीर मरीजों को भी रेमडेसिविर इंजेक्शन दिया जाए तो भी इसका कोई मतलब नहीं है।”
रेमडेसिविर की भारी मांग क्यों है?
देश के शीर्ष मेडिकल संस्थानों के मुखिया द्वारा दिए गए इस बयान के बाद भी देश में रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग बढ़ती रही। देश में कोरोना संकट बढ़ने के बाद रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग कई गुना बढ़ चुकी है। अगर बात अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (USFDA) की करें तो उनकी तरफ से इमरजेंसी यूज़ ऑथराइजेशन पाने वाली रेमडेसिविर एकमात्र दवाई है। अस्पताल में कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए सिर्फ इसी इंजेक्शन को मान्यता दी गई है। इसके साथ ही वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने भी कोविड-19 के मरीजों पर रेमडेसिविर इंजेक्शन इस्तेमाल करने का सुझाव दिया है। देशभर में कोरोना मरीज और उनके परिजन किसी भी तरीके से रेमडेसिविर इंजेक्शन पाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं।
भारत सरकार ने की पहल
सरकार ने अप्रैल में रेमडेसिविर की आपूर्ति बढ़ाने के लिए कुछ उपाय किया है। सरकार ने इसके निर्यात पर बैन लगा दिया है। इसके साथ ही इसे बनाने में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल पर कस्टम ड्यूटी खत्म कर दी गई है। इसके अप्रूवल में लगने वाला समय भी कम कर दिया गया है और प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए कई अन्य उपाय किए गए हैं। देश में अब कई दवा कंपनियां रेमडेसिविर इंजेक्शन का उत्पादन बढ़ा रही हैं और इस वजह से उम्मीद है कि आने वाले हफ्ते में इंजेक्शन की किल्लत दूर हो सकती है। इनमें कैडिला हेल्थकेयर, सिप्ला (Cipla), मायलान, हेट्रो (Hetero), डॉ रेड्डीज लैब्स (Dr। Reddy’s Laboratories), जुबिलियेंट फार्मा (Jubilant Pharma) और सिंजिन इंटरनेशनल (Syngene International) आदि शामिल हैं।
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