GST Relief: कोविड रिलीफ प्रॉडक्ट्स पर जीएसटी से राहत, जानिए सुशील मोदी के विचार
हाइलाइट्स:
- विभिन्न तबकों से यह मांग उठ रही है कि भारत सरकार इन सामग्रियों को अफोर्डेबल और एक्सेसिबल बनाने के लिए व्यापक कर राहत दे।
- मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना और कोविड वैक्सीन व चिकित्सा आपूर्ति सहित कोविड प्रबंधन सामग्री तक पहुंच बढ़ाना इस समय सर्वोपरि है।
- जीएसटी काउंसिल को कोविड रिलीफ मैटेरियल/कोविड मिटीगेशन प्रॉडक्ट्स पर टैक्स में राहत को लेकर कोई भी अंतिम निर्णय लेने से पहले सभी फायदों और नुकसान पर गंभीरता से विचार की जरूरत है।
नई दिल्ली
कोविड19 महामारी (Covid19 Pandemic) की दूसरी लहर (2nd Wave of Corona) के बढ़ते प्रकोप के साथ भारत का मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर भारी दबाव में आ गया है। इस इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना और कोविड वैक्सीन व चिकित्सा आपूर्ति सहित कोविड प्रबंधन सामग्री तक पहुंच बढ़ाना इस समय सर्वोपरि है। लेकिन जीएसटी काउंसिल (GST Council) को कोविड मिटीगेशन प्रॉडक्ट्स पर राहत प्रदान करने के लिए विकल्पों पर बेहद सावधानीपूर्वक विचार करना होगा। ये बातें राज्यसभा में BJP के MP और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स में छपे एक आलेख में कही हैं।
आलेख में कहा गया है कि विभिन्न तबकों से यह मांग उठ रही है कि भारत सरकार इन सामग्रियों को अफोर्डेबल और एक्सेसिबल बनाने के लिए व्यापक कर राहत दे। हाल ही में सरकार ने ऐसे कोविड रिलीफ मैटेरियल पर कस्टम ड्यूटी और इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स से छूट दी है, जिसे अधिकृत रिलीफ एजेंसी ने फ्री में आयात किया है। इसका अर्थ यह हुआ कि वह एजेंसी इस मैटेरियल को फ्री में बांटेगी। टैक्स में छूट मिलने से ऐसे रिलीफ मैटेरियल की लागत कम करने में मदद मिलेगी।
सुशील कुमार मोदी का कहना है कि जीएसटी काउंसिल को कोविड मिटीगेशन प्रॉडक्ट्स पर राहत प्रदान करने के लिए विकल्पों पर बेहद सावधानीपूर्वक विचार करना होगा। ऐसा इसलिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लिया गया फैसला वास्तव में एंड यूजर के लिए लागत को कम कर सके। बता दें कि GST काउंसिल की शुक्रवार को होने वाली बैठक में कोविड-19 की वैक्सीन (Covid-10 vaccines) को टैक्स में छूट देने के प्रस्ताव पर विचार होगा। अभी वैक्सीन पर 5 फीसदी जीएसटी लगता है। कुछ राज्यों ने कोरोना की वैक्सीन को पूरी तरह टैक्स से मुक्त रखने या 0.1 फीसदी का मामूली टैक्स लगाने का सुझाव दिया है। बैठक में कोविड से जुड़े सामान पर टैक्स कम करने या खत्म करने के प्रस्ताव पर भी चर्चा होगी।
फुल छूट दिए जाने के क्या नुकसान
सुशील कुमार मोदी के मुताबिक, ‘एग्जेंप्ट सप्लाइज के मामले में इनपुट टैक्स क्रेडिट उपलब्ध नहीं होने के कारण ऐसे मामलों में टैक्स छूट प्रतिकूल रहेगी। ये एग्जेंप्शंस इन उत्पादों के उत्पादन में लगे इनपुट पर टैक्स क्रेडिट में इनकार की ओर ले जाएंगे। यह अनिवार्य रूप से इन उत्पादों की अंतिम कीमत में वृद्धि की ओर ले जाएगा क्योंकि इनपुट टैक्सेज, बिक्री मूल्य में शामिल रहेंगे। आगे चलकर 5 फीसदी जीएसटी वाले सामान की कीमत में वृद्धि 12 फीसदी जीएसटी वाले सामान की कीमत में वृद्धि से ज्यादा हो जाएगी। इस प्रकार फाइनल प्रॉडक्ट्स को छूट देना कोई रास्ता नहीं है।’
सुशील कुमार मोदी के अनुसार, ‘यह भी सुझाव है कि पूरी सप्लाई चेन- दवाओं, इक्विपमेंट व वैक्सीन के लिए इनपुट और आउटपुट, ऐसे उत्पादों की बिक्री- को छूट दी जा सकती है। तर्क दिया जा रहा है कि अगर इनपुट्स को भी छूट दी जाती है, तो सेट-ऑफ का सवाल ही नहीं उठेगा। लिहाजा ऐसे मामलों में कीमत में कोई वृद्धि नहीं होगी। आउटपुट को छूट देना आसान है लेकिन इनपुट को छूट देने में समस्या पैदा हो सकती है क्योंकि इनपुट आमतौर पर नॉन कोविड मैनेजमेंट प्रॉडक्ट्स के लिए भी इस्तेमाल होते हैं। इनपुट्स के लिए एकमुश्त छूट से अनापेक्षित उत्पादों को भी राहत मिलेगी, जिससे राजस्व हानि होगी।’
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सशर्त छूट क्या होगी कारगर?
मोदी के मुताबिक, ‘सशर्त छूट में मैन्युफैक्चरर को कोविड-प्रबंधन उत्पादों और अन्य वस्तुओं के बीच इनपुट को विभाजित करने की आवश्यकता होगी। सशर्त छूट के तहत इनपुट को केवल उस सीमा तक छूट दी जाती है, जितनी का उपयोग कोविड-प्रबंधन उत्पादों के निर्माण के लिए किया जाता है। सामान्य मैन्युफैक्चरिंग प्रॉसेस में विभिन्न उत्पादों को बनाने के लिए कितना कॉमन इनपुट इस्तेमाल होता है, इसका पता लगाना मुश्किल है। इसके लिए विभाजन के नियमों की जरूरत होगी जो न केवल अनुपालन का बोझ बढ़ाएंगे बल्कि विवाद की संभावना के साथ टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन के लिए परेशानियां भी खड़ी करेंगे।’
किन विकल्पों पर किया जा सकता है विचार
इसके बजाय, इस तरह के उत्पादों पर कर की दर को काफी कम करने पर विचार किया जा सकता है, जैसा कि डीम्ड निर्यात आपूर्ति के मामले में किया गया है। डीम्ड निर्यात आपूर्ति में आउटपुट 0.1% + 0.1% की दर से कर को आकर्षित करता है। शून्य के अतिरिक्त कोई भी पॉजिटिव टैक्स रेट इनपुट टैक्स क्रेडिट से मनाही या रिवर्सल की ओर नहीं ले जाएगी और मैन्युफैक्चरर कानूनी रूप से टैक्स इन्वर्जन के मामले में क्रेडिट की मांग कर सकेगा। टैक्स इन्वर्जन से अर्थ है, जहां ऐसे उत्पादों के निर्माण के लिए आवश्यक इनपुट पर कर की दर, उन उत्पादों की बिक्री पर कर की दर से अधिक हो। अगर ऐसा किया जाता है तो टैक्स फाइनल प्रॉडक्ट के साथ नहीं लगेगा और कीमत नहीं बढ़ेगी।
‘एक दूसरा विकल्प जीरो रेटिंग कोविड मैनेजमेंट प्रॉडक्ट्स का भी है। इसमें न केवल उत्पादों को कर से छूट दी जाएगी, बल्कि ऐसे उत्पादों के निर्माण के लिए आवश्यक इनपुट की खरीद पर भुगतान किया गया कर भी मैन्युफैक्चरर को वापस कर दिया जाएगा। इस तरह जीरो रेटिंग के जरिए कोविड मैनेजमेंट प्रॉडक्ट्स पर से सभी टैक्स हट जाएंगे ओर कीमत कम करने में मदद मिलेगी। लेकिन इसके लिए कानून में बदलाव करना होगा।’
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जीरो रेटिंग की भी कुछ परेशानियां
सुशील कुमार मोदी आगे कहते हैं कि हालांकि जीरो रेटिंग भी वैसी ही परेशानियां खड़ी कर सकती है, जैसा कि इनपुट्स को टैक्स से पूरी तरह छूट देने के मामले में परेशानियां हैं। इसकी वजह है कि केवल कोविड-प्रबंधन उत्पादों के निर्माण में उपयोग किए जाने वाले इनपुट की खरीद पर चुकाए गए कर को ही रिफंड किया जाएगा। इसके लिए ऐसे इनपुट टैक्स क्रेडिट का पता लगाने के लिए सटीक नियम बनाने की आवश्यकता होगी। ऐसे मामले में, निर्माता के लिए प्रॉडक्ट के अंतिम बिक्री मूल्य में कमी के रूप में इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उपभोक्ता को देना अनिवार्य रहेगा। इस पर नेशनल एंटी प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी द्वारा करीब से नजर रखे जाना जरूरी होगा और संशोधित कीमतों को वास्तविक कीमत के साथ पैकेट पर अलग से उल्लिखित करने की जरूरत पड़ सकती है। यह भी एक अतिरिक्त अनुपालन बोझ होगा।
बहरहाल जीएसटी काउंसिल को कोविड रिलीफ मैटेरियल/कोविड मिटीगेशन प्रॉडक्ट्स पर टैक्स में राहत को लेकर कोई भी अंतिम निर्णय लेने से पहले सभी फायदों और नुकसान पर गंभीरता से विचार की जरूरत है।
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