RBI Monetary Policy : महंगाई की चुनौती के बावजूद आरबीआई (RBI) ने नहीं बढ़ाया रेपो रेट | RBI Monetary Policy: Despite Inflation RBI keeps policy rate unchanged | Patrika News h3>
आरबीआई ने रिकॉर्ड 11वीं बार पॉलिसी रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। महंगाई बढ़ने और ग्रोथ घटने का अनुमान देते हुए आरबीआई ने एक बार फिर पॉलिसी रेट्स – रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट और अपने एकमोडेटिव स्टैंस में कोई बदलाव नहीं किया है।
जयपुर
Published: April 08, 2022 01:51:51 pm
जयपुर। एक बार फिर रिजर्व बैंक ने पॉलिसी रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। यह लगातार 11वीं बैठक है जिसमें आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikant Das) के नेतृत्व में मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (Monetory Policy Committee) ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है।आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज एक बार फिर रेपो रेट को अपरिवर्तित रखने का ऐलान किया (REPO Rate remian unchanged)। रेपो रेट पहले की तरह 4% पर बरकरार रहेगा। वहीं रिवर्स रेपो रेट 3.35% पर बना हुआ है। इसके साथ ही इकोनॉमी के लिए अकोमडेटिव रुख बनाए रखा है, यानी फिलहाल आरबीआई को ऐसा नहीं लगता कि आगे भी इसमें कोई बदलाव करने की जरूरत है।
तरलता बढ़ाने के लिए नहीं बढ़ाई जा रही रेपो रेट आरबीआई गवर्नर ने कहा कि सिस्टम में लिक्विडिटी (Liquidity) को बनाए रखने के लिए रिवर्स रेपो रेट ना बढ़ाने का फैसला किया गया है। रेपो रेट वो दर है जिस पर बैंक आरबीआई से कामकाज के लिए शॉर्ट टर्म फंड उधार लेते हैं। जबकि रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo rate) वह दर होती है जिस पर बैंक अपने कामकाज के बाद बचा हुआ फंड रिजर्व बैंक में जमा करते हैं।
लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी (LAF) कॉरिडोर को 50 बेसिस प्वाइंट बढ़ाया इसके साथ ही rbi I ने लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी (LAF) कॉरिडोर को बढ़ाकर 50 बेसिस प्वाइंट (bps) यानी 0.50% कर दिया है। अब यह कोरोनावायरस संक्रमण के पहले के लेवल पर पहुंच गया है। वहीं एमएसएफ (मार्जिनल स्टैंडिंग फैसेलिटीज – MSF) पहले की तरह 4.25% पर बरकरार है।
दास ने बताया कि मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ने एकमत से ब्याज दरों में कोई बदलाव ना करने का फैसला किया है। कमिटी ने आखिरी बार रेट कट मई 2020 में किया गया था। बता दें, कोरोनावायरस संक्रमण के कारण फरवरी 2019 से लेकर मई 2020 तक RBI ने रेपो रेट में 2.50% की कटौती की थी। रेट घटाने से ग्रोथ को बढ़ावा मिलता है। जबकि रेट बढ़ाने से रिजर्व बैंक को महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलती है। बता दें, पिछले कुछ महीनों से महंगाई दर RBI के दायरे से बाहर है। ऐसे में इस बार एनालिस्ट्स को अनुमान था कि रिजर्व बैंक रेट बढ़ा सकता है और रेट नहीं बढ़ाने से कुछ हैरानी जरूर हुई है।
मॉनेटरी पॉलिसी ने अकोमडेटिव ही रखा नजरिया इसके साथ ही मॉनेटरी पॉलिसी (Monetory Policy) पर अपना रूख अकोमडेटिव (Accmodative stance) बना रखा है। पिछली बार 22 मई 2020 को रेपो रेट में बदलाव हुआ है। तब से रेपो रेट 4% के ऐतिहासिक लो लेवल पर बना हुआ है।
बता दें, रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी हर दो महीने पर पॉलिसी रिव्यू मीटिंग करती है। फिस्कल ईयर 2023 की यह पहली रिव्यू मीटिंग है जो 6 अप्रैल को शुरू हुई थी। तीन दिन की बैठक के बाद रिजर्व बैंक ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव ना करने का फैसला किया है।
आरबीआई ने घटा दिया GDP का अनुमान रिजर्व बैंक ने फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में GDP ग्रोथ का अनुमान घटाकर 7.2% रहने का अनुमान जताया है। RBI के गवर्नर दास ने पहले फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में ग्रोथ रेट 7.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। इसके साथ ही आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में महंगाई के अनुमान को 4.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.7 कर दिया है। बता दें इंडियन इकनॉमी की ग्रोथ पर कोरोना की महामारी का असर पड़ा है। हालांकि, अब इकोनॉमी में रिकवरी के संकेत दिख रहे हैं। वित्त वर्ष 2021-22 की दिसंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 5.4 फीसदी रही। सितंबर तिमाही में ग्रोथ रेट 8.5 फीसदी थी।
महंगाई RBI के कंट्रोल से बाहर, पहली तिमाही में 6.3 प्रतिशत का अनुमान फरवरी में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 6.07% पहुंच गई थी जो एक महीना पहले जनवरी में 6.01% थी। RBI का टारगेट महंगाई दर को 4% से 6% के बीच में बनाकर रखने की है। वित्त वर्ष 2022-23 में आरबीआई ने महंगाई दर के 5.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। सबसे अधिक महंगाई मौजूदा वित्त वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। फिस्कल ईयर 2023 में RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक 6 बार होगी। अगली बैठक 6 जून से 8 जून को होने वाली है
महंगाई को नहीं मान रहा आरबीआई बड़ा जोखिम रिजर्व बैंक ने रिकॉर्ड लगातार 11वीं बैठक में रेपो रेट (Repo Rate) और रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) को पुराने स्तर पर बरकरार रखा है। इससे साफ पता चलता है कि सेंट्रल बैंक (Central Bank) अभी भी महंगाई (Inflation) को कोई बड़ा जोखिम नहीं मान रहा है और इकोनॉमिक ग्रोथ (Economic Growth) को सपोर्ट देना उसकी प्रॉयरिटी में है।
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आरबीआई ने रिकॉर्ड 11वीं बार पॉलिसी रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। महंगाई बढ़ने और ग्रोथ घटने का अनुमान देते हुए आरबीआई ने एक बार फिर पॉलिसी रेट्स – रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट और अपने एकमोडेटिव स्टैंस में कोई बदलाव नहीं किया है।
जयपुर
Published: April 08, 2022 01:51:51 pm
जयपुर। एक बार फिर रिजर्व बैंक ने पॉलिसी रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। यह लगातार 11वीं बैठक है जिसमें आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikant Das) के नेतृत्व में मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (Monetory Policy Committee) ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है।आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज एक बार फिर रेपो रेट को अपरिवर्तित रखने का ऐलान किया (REPO Rate remian unchanged)। रेपो रेट पहले की तरह 4% पर बरकरार रहेगा। वहीं रिवर्स रेपो रेट 3.35% पर बना हुआ है। इसके साथ ही इकोनॉमी के लिए अकोमडेटिव रुख बनाए रखा है, यानी फिलहाल आरबीआई को ऐसा नहीं लगता कि आगे भी इसमें कोई बदलाव करने की जरूरत है।
तरलता बढ़ाने के लिए नहीं बढ़ाई जा रही रेपो रेट आरबीआई गवर्नर ने कहा कि सिस्टम में लिक्विडिटी (Liquidity) को बनाए रखने के लिए रिवर्स रेपो रेट ना बढ़ाने का फैसला किया गया है। रेपो रेट वो दर है जिस पर बैंक आरबीआई से कामकाज के लिए शॉर्ट टर्म फंड उधार लेते हैं। जबकि रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo rate) वह दर होती है जिस पर बैंक अपने कामकाज के बाद बचा हुआ फंड रिजर्व बैंक में जमा करते हैं।
दास ने बताया कि मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ने एकमत से ब्याज दरों में कोई बदलाव ना करने का फैसला किया है। कमिटी ने आखिरी बार रेट कट मई 2020 में किया गया था। बता दें, कोरोनावायरस संक्रमण के कारण फरवरी 2019 से लेकर मई 2020 तक RBI ने रेपो रेट में 2.50% की कटौती की थी। रेट घटाने से ग्रोथ को बढ़ावा मिलता है। जबकि रेट बढ़ाने से रिजर्व बैंक को महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलती है। बता दें, पिछले कुछ महीनों से महंगाई दर RBI के दायरे से बाहर है। ऐसे में इस बार एनालिस्ट्स को अनुमान था कि रिजर्व बैंक रेट बढ़ा सकता है और रेट नहीं बढ़ाने से कुछ हैरानी जरूर हुई है।
मॉनेटरी पॉलिसी ने अकोमडेटिव ही रखा नजरिया इसके साथ ही मॉनेटरी पॉलिसी (Monetory Policy) पर अपना रूख अकोमडेटिव (Accmodative stance) बना रखा है। पिछली बार 22 मई 2020 को रेपो रेट में बदलाव हुआ है। तब से रेपो रेट 4% के ऐतिहासिक लो लेवल पर बना हुआ है।
बता दें, रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी हर दो महीने पर पॉलिसी रिव्यू मीटिंग करती है। फिस्कल ईयर 2023 की यह पहली रिव्यू मीटिंग है जो 6 अप्रैल को शुरू हुई थी। तीन दिन की बैठक के बाद रिजर्व बैंक ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव ना करने का फैसला किया है।
आरबीआई ने घटा दिया GDP का अनुमान रिजर्व बैंक ने फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में GDP ग्रोथ का अनुमान घटाकर 7.2% रहने का अनुमान जताया है। RBI के गवर्नर दास ने पहले फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में ग्रोथ रेट 7.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। इसके साथ ही आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में महंगाई के अनुमान को 4.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.7 कर दिया है। बता दें इंडियन इकनॉमी की ग्रोथ पर कोरोना की महामारी का असर पड़ा है। हालांकि, अब इकोनॉमी में रिकवरी के संकेत दिख रहे हैं। वित्त वर्ष 2021-22 की दिसंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 5.4 फीसदी रही। सितंबर तिमाही में ग्रोथ रेट 8.5 फीसदी थी।
महंगाई RBI के कंट्रोल से बाहर, पहली तिमाही में 6.3 प्रतिशत का अनुमान फरवरी में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 6.07% पहुंच गई थी जो एक महीना पहले जनवरी में 6.01% थी। RBI का टारगेट महंगाई दर को 4% से 6% के बीच में बनाकर रखने की है। वित्त वर्ष 2022-23 में आरबीआई ने महंगाई दर के 5.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। सबसे अधिक महंगाई मौजूदा वित्त वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। फिस्कल ईयर 2023 में RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक 6 बार होगी। अगली बैठक 6 जून से 8 जून को होने वाली है
महंगाई को नहीं मान रहा आरबीआई बड़ा जोखिम रिजर्व बैंक ने रिकॉर्ड लगातार 11वीं बैठक में रेपो रेट (Repo Rate) और रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) को पुराने स्तर पर बरकरार रखा है। इससे साफ पता चलता है कि सेंट्रल बैंक (Central Bank) अभी भी महंगाई (Inflation) को कोई बड़ा जोखिम नहीं मान रहा है और इकोनॉमिक ग्रोथ (Economic Growth) को सपोर्ट देना उसकी प्रॉयरिटी में है।
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