Ravi Shastri News: 7 मिस्ड कॉल्स और ‘छिन’ गई कॉमेंटेटर की जॉब… रवि शास्त्री ने बताया कैसे एक दिन में बने टीम डायरेक्टर

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Ravi Shastri News: 7 मिस्ड कॉल्स और ‘छिन’ गई कॉमेंटेटर की जॉब… रवि शास्त्री ने बताया कैसे एक दिन में बने टीम डायरेक्टर


Ravi Shastri News: 7 मिस्ड कॉल्स और ‘छिन’ गई कॉमेंटेटर की जॉब… रवि शास्त्री ने बताया कैसे एक दिन में बने टीम डायरेक्टर

नई दिल्ली: भारत के पूर्व ऑलराउंडर रवि शास्त्री (Ravi Shastri) का भारतीय टीम (Team India) के मुख्य कोच के रूप में चार साल से अधिक का शानदार कार्यकाल रहा। शास्त्री के पास जॉन राइट या गैरी कर्स्टन की तरह दिखाने के लिए आईसीसी ट्रॉफी तो नहीं है, लेकिन दो बार ऑस्ट्रेलिया में और एक बार इंग्लैंड में (भारत ने 2-1 से आगे था, जब आखिरी मैच स्थगित किया गया।) ऐतिहासिक सफलत उनके खाते में है। इस तरह शास्त्री के कार्यकाल के दौरान भारत को टेस्ट क्रिकेट में जबर्दस्त सफलता मिली।

वह टीम इंडिया का कोच बनने से पहले टीम निदेशक (टीम डायरेक्टर) के तौर पर दो बार काम किया था। एक बार संक्षेप में 2007 में बांग्लादेश दौरे के दौरान और दूसरा 2014 से दो वर्ष तक के लिए। उन्होंने ‘द गार्जियन’ को दिए इंटरव्यू में बताया है कि किस तरह वह कॉमेंट्री के दौरान उन्हें अचानक बीसीसीआई से कॉल बाता है और अगले ही दिन टीम डायरेक्टर पद संभालने को कहा गया।

उन्होंने कहा- मैं भारत के इंग्लैंड दौरे (2014) के दौरान ओवल में कॉमेंट्री कर रहा था और छह या सात कॉल आए। मैं अटेंड नहीं कर पाया। मैंने अपने मोइबल पर इनते मिस कॉल्स देखे तो सोचने लगा कि आखिर क्या है? बोर्ड ने मुझसे कहा- हम चाहते हैं कि आप कल से किसी भी कीमत पर पद संभालें। मैंने उनसे कहा कि मुझे अपने परिवार और व्यावसायिक भागीदारों (कमर्शियल पार्टनर्स) से बात करनी होगी, लेकिन उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि वे इसे सुलझा लेंगे। इस तरह मैं कॉमेंट्री से सीधे टीम से जुड़ा। आप देखेंगे कि जब मैं वनड के दौरान टीम से जुड़ा तो मैं जींस और लोफर्स में था। तुरंत मेरी नौकरी बदल गई थी।

टीम निदेशक के रूप में शास्त्री के दो साल के कार्यकाल के बाद भारत के पूर्व कप्तान अनिल कुंबले को 2016 में मुख्य कोच के रूप में नियुक्त किया गया था। महान क्रिकेटर ने 2017 चैंपियंस ट्रॉफी के बाद पद छोड़ दिया। शास्त्री तब मुख्य कोच बने। वह 2021 में टी-20 विश्व कप तक इस पद पर बने रहे।

शास्त्री ने बताया कि उनके लिए सबसे बड़ा एजेंडा यही था कि टीम इंडिया विदेशों में टेस्ट जीते। उन्होंने कहा, ‘हमारे पास स्लिंगर्स (डॉगस्टिक्स के साथ कोच) भी थे जो नेट्स में 16 गज की दूरी से 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद को फेंकते थे। प्लेयर्स के पास कोई चारा नहीं था। हर कोई प्रॉसेस से गुजर रहा है मैं यह सुनिश्चित करने के लिए स्टंप के पीछे खड़ा था। कोई फर्क नहीं पड़ता कि खिलाड़ी कौन है? उससे सभी को गुजरना पड़ा। ठीक ऐसा ही गेंदबाजों के साथ भी किया गया, क्योंकि हम जानते थे स्पिनर्स के साथ आप इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में नहीं जीत सकते।



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