Rajasthan Police Day:राजस्थान के एक ऐसे थानेदार, जिन्हें लोग संत मानकर पूजते हैं… h3>
जयपुर: सामान्य तौर पर पुलिस का रवैया आमजन के प्रति अच्छा नहीं माना जाता है। लोगों के जहन में पुलिस की छवि अच्छी नहीं होती है लेकिन राजस्थान में एक पुलिस अधिकारी ऐसे भी हैं, जो ईमानदारी की मिसाल होने के साथ लोगों में इतने लोकप्रिय हैं कि लोग उन्हें संत मानकर पूजते हैं। जयपुर में बाकायदा उनका समाधि स्थल और आश्रम बनाया गया है । यहां पर सैंकड़ों लोग रोजाना माथा टेकने आते हैं। ये थानेदार संत हैं राम सिंह भाटी, जिनका जयपुर के जगतपुर इलाके में स्थित मनोहरपुरा में श्रीराम आश्रम हैं। दिवंगत रामसिंह भाटी के जनसेवा से जुड़े कार्य और राजकीय कार्य का हर कोई दिवाना था। यही कारण है कि उनके निधन के 50 साल बाद भी लोगों के मन में उनके प्रति आस्था है। राजस्थान पुलिस दिवस पर पढ़िये एनबीटी की यह खास रिपोर्ट।
आजादी से पहले पुलिस में भर्ती हुए थे रामसिंह भाटी
स्वर्गीय संत रामसिंह भाटी जयपुर के रहने वाले थे। उनका जन्म 1889 में हुआ था। आजादी से पहले वे पुलिस में भर्ती हुए और बाद में अफसर बने। उनका कामकाज ऐसा था कि लोग उनके अनुयायी बनते गए। वे जयपुर के कई थानों में इंचार्ज रहे। ईमानदार छवि और न्याय की मूर्ति माने जाने वाले रामसिंह भाटी पुलिस सेवा से सेवानिवृत होने के बाद आध्यात्मिक जीवन में आ गए। सेवानिवृति के बाद भी उन्होंने अपने जीवन को आमजन के लिए समर्पित कर दिया।
पुलिस सेवा में नहीं होने के बावजूद उनके घर पर नियमित रूप से लोगों का हुजूम उमड़ता था। वे हर संभव लोगों की मदद किया करते थे। निस्वार्थ भाव से सेवा करते रहने के कारण 1971 में उनके निधन के बाद लोगों ने उन्हें संत की उपाधि दे दी।
आस्था को देते हुए परिजनों ने बनाया आश्रम, साल में दो बार भरता है मेला
संत रामसिंह भाटी के प्रति लोगों की आस्था को देखते हुए भाटी के परिजनों ने मनोहरपुरा में समाधि स्थल और आश्रम बना दिया। सैंकड़ों की संख्या में लोग नियमित रूप से यहां माथा टेकने आते हैं और मन्नतें मांगते हैं।
ऐसा माना जाता है कि सच्चे मन से मांगी गई सभी मुरादें संत रामसिंह भाटी जरूर पूरी करते हैं। हर साल 14 जनवरी और 3 सितम्बर को साल में दो बार संत रामसिंह आश्रम पर मेला भरता है। इस मेले में हजारों की तादात में लोग उमड़ते हैं। कई न्यायाधीश, पुलिस अधिकारी और राजनेता आश्रम में आकर संत रामसिंह भाटी की पूजा करते हैं।
1997 में ‘संत थानेदार’ पुस्तक का विमोचन
संत रामसिंह भाटी के पोते नीरज सिंह चौहान आश्रम में सेवादार हैं। चौहान बताते हैं कि लोगों में संत रामसिंहजी के प्रति बहुत आस्था है। जो भी लोग अपनी मनोकामना लेकर आश्रम में आते हैं तो उनकी तमाम मनोकामनाएं पूर्ण होती है। वर्ष 1997 में रामसिंह भाटी के जीवन पर ‘संत थानेदार’ नामक पु्स्तक का विमोचन किया गया। इस पु्स्तक में उनके जीवनकाल की कई घटनाओं का जिक्र है।
नीरज सिंह चौहान बताते हैं कि आमजन की सेवा के दौरान वे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से भिड़ जाया करते थे। एक अधिकारी के खिलाफ उन्होंने मुकदमा तक दर्ज करा दिया था।
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आजादी से पहले पुलिस में भर्ती हुए थे रामसिंह भाटी
स्वर्गीय संत रामसिंह भाटी जयपुर के रहने वाले थे। उनका जन्म 1889 में हुआ था। आजादी से पहले वे पुलिस में भर्ती हुए और बाद में अफसर बने। उनका कामकाज ऐसा था कि लोग उनके अनुयायी बनते गए। वे जयपुर के कई थानों में इंचार्ज रहे। ईमानदार छवि और न्याय की मूर्ति माने जाने वाले रामसिंह भाटी पुलिस सेवा से सेवानिवृत होने के बाद आध्यात्मिक जीवन में आ गए। सेवानिवृति के बाद भी उन्होंने अपने जीवन को आमजन के लिए समर्पित कर दिया।
पुलिस सेवा में नहीं होने के बावजूद उनके घर पर नियमित रूप से लोगों का हुजूम उमड़ता था। वे हर संभव लोगों की मदद किया करते थे। निस्वार्थ भाव से सेवा करते रहने के कारण 1971 में उनके निधन के बाद लोगों ने उन्हें संत की उपाधि दे दी।
आस्था को देते हुए परिजनों ने बनाया आश्रम, साल में दो बार भरता है मेला
संत रामसिंह भाटी के प्रति लोगों की आस्था को देखते हुए भाटी के परिजनों ने मनोहरपुरा में समाधि स्थल और आश्रम बना दिया। सैंकड़ों की संख्या में लोग नियमित रूप से यहां माथा टेकने आते हैं और मन्नतें मांगते हैं।
ऐसा माना जाता है कि सच्चे मन से मांगी गई सभी मुरादें संत रामसिंह भाटी जरूर पूरी करते हैं। हर साल 14 जनवरी और 3 सितम्बर को साल में दो बार संत रामसिंह आश्रम पर मेला भरता है। इस मेले में हजारों की तादात में लोग उमड़ते हैं। कई न्यायाधीश, पुलिस अधिकारी और राजनेता आश्रम में आकर संत रामसिंह भाटी की पूजा करते हैं।
1997 में ‘संत थानेदार’ पुस्तक का विमोचन
संत रामसिंह भाटी के पोते नीरज सिंह चौहान आश्रम में सेवादार हैं। चौहान बताते हैं कि लोगों में संत रामसिंहजी के प्रति बहुत आस्था है। जो भी लोग अपनी मनोकामना लेकर आश्रम में आते हैं तो उनकी तमाम मनोकामनाएं पूर्ण होती है। वर्ष 1997 में रामसिंह भाटी के जीवन पर ‘संत थानेदार’ नामक पु्स्तक का विमोचन किया गया। इस पु्स्तक में उनके जीवनकाल की कई घटनाओं का जिक्र है।
नीरज सिंह चौहान बताते हैं कि आमजन की सेवा के दौरान वे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से भिड़ जाया करते थे। एक अधिकारी के खिलाफ उन्होंने मुकदमा तक दर्ज करा दिया था।