Rajasthan News: पटाखों से 12 लोगों ने गंवाई एक आंख की रोशनी, दाेनों आंखों से नहीं देख पाएगा एक बच्चा | 12 people, including 10 kids, in Rajasthan lose eyesight due to firecracker accidents | News 4 Social h3>
रोशनी के त्योहार दिवाली पर दस मासूम समेत 13 लोगों की दुनिया में अंधेरा छा गया। इनके अलावा 200 से ज्यादा लोग पटाखों से झुलसकर इलाज के लिए सवाई मानसिंह अस्पताल, ट्रोमा सेंटर, कांवटिया, जयपुरिया व गणगौरी समेत अन्य सरकारी व निजी अस्पताल में पहुंचे। इनमें ज्यादातर बच्चे शामिल है। इनमें कई मरीज अभी भी बर्न वार्ड, पॉलीट्रोमा वार्ड व आई वार्ड में भर्ती है।
इस संबंध में एसएमएस अस्पताल नेत्ररोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पंकज शर्मा ने बताया कि दो दिन में ओपीडी में पटाखों से झुलसकर 60 लोग आए थे। इनको प्राथमिक उपचार के बाद घर भेज दिया गया। वहीं 10 बच्चों समेत 13 लोग गंभीर रूप से घायल होकर आए थे। पटाखे जलाते वक्त हुई लापरवाही से इनकी आंखों में बारूद घुसा और उन्हें दिखना बंद हो गया।
इन 13 मरीजों की आंखों की सर्जरी हुई। जिसमें 12 मरीजोंं को एक-एक आंख की रोशनी गंवानी पड़ी। इसमें 10 बच्चे शामिल है। वहीं 15 वर्षीय अमित की दोनों आंखों की रोशनी चली गई। क्योंकि उसकी आंख में बारूद घुसने की वजह से काफी नुकसान हो गया था। इसलिए सर्जरी के बाद भी उसकी आंखों की रोशनी लौटाने में कामयाब नहीं हो पाए। चिकित्सकों के अनुसार उसे झुंझुनू के गोरीर गांव से लेकर आए थे। बताया जा रहा है कि वह इकलौता बेटा है।
कई मरीजों को उपचार के बाद मिली छुट्टी
एसएमएस अस्पताल के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आर.के जैन ने बताया कि दोनों दिन इमरजेंसी में कुल 67 मरीज पटाखों से घायल होकर आए थे। जिसमें से 56 को ड्रेसिंग के बाद छुट्टी दे गई थी लेकिन 11 मरीजों को चेहरा, हाथ, पांव समेत अन्य अंग पटाखों से ज्यादा झुलसने केे कारण भर्ती किया गया। वे उपचाररत है।
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वहीं, एसएमएस अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में दो दिन में पटाखों से झुलसकर या घायल होकर करीब 30 मरीज पहुंचे। ट्रोमा सेंटर के प्रभारी डॉ. अनुराग धाकड़ ने बताया कि घायल मरीजों के चेहरे, हाथ, पांव, पीठ समेत कई जगह घाव हो गए थे। उन्हें उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई थी, लेकिन 18 वर्षीय अजय का पटाखे की वजह से चेहरा झुलस गया। इसलिए उसे अभी भी पॉलीट्रोमा में भर्ती रखा गया है।