Rajasthan News: चीता परियोजना से राजस्थान के पर्यटन क्षेत्र में हो सकता ‘चमत्कार’ h3>
जयपुर:मध्यप्रदेश के कुनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान के राजस्थान से निकटता होने कारण आगामी समय में राज्य में पर्यटन को बढ़ावा मिलने की संभावना है। ‘चीता परियोजना’ का प्रवेश बिंदु सवाई माधोपुर से सिर्फ 100 किलोमीटर दूर है। मध्य प्रदेश का कुनो राष्ट्रीय उद्यान, भारत में अफ्रीकी चीतों का नया घर बना है। नामीबिया से विमान के जरिऐ लाए गए आठ चीतों को हाल ही में कुनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़े जाने के बाद यह स्थान अपनी नई वैश्विक प्रसिद्धि का आधार बन रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीता देश में एक नया आकर्षण है और यदि उनका स्थानान्तरण सफल होता है, तो इससे राजस्थान के रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान के आसपास के क्षेत्र में एक नया सर्किट विकसित होगा।
विशेषज्ञों के अनुसार, कुनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान (KPNP) का प्रवेश बिंदु करहल राजस्थान के रणथम्भोर राष्ट्रीय उद्यान से सिर्फ 100 किलोमीटर दूर है और यहां से निकटतम रेलवे स्टेशन सवाई माधोपुर है। फेडरेशन ऑफ हॉस्पिटैलिटी एंड टूरिज्म ऑफ राजस्थान (FHTR) के कार्यकारी सदस्य बालेंदु सिंह के अनुसार ‘एक बार पार्क पूरी तरह से खुल जाने के बाद पर्यटन में निश्चित रूप से वृद्धि होगी। सवाई माधोपुर निकटतम ट्रेन जंक्शन है। साथ ही, नई दिल्ली-मुंबई मेगा हाईवे सवाईमाधोपुर से होकर गुजरेगा। यह प्रवेश द्वारों में से एक है, इसलिए निश्चित रूप से कुनो की सफलता के बाद पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी।’
पूर्व वन्यजीव वार्डन सिंह ने बताया कि अगले दो वर्षों में, बहुत से लोग इस क्षेत्र में निवेश करेंगे जिससे यहां रोजगार मिलेगा और स्थानीय लोगों के जीवन का उत्थान होगा। उन्होंने बताया कि इस बात से कोई भी समझ सकता है कि मध्य प्रदेश के करहल में जमीन की कीमत पहले 30,000 रुपये से 40,000 रुपये प्रति बीघा थी वह चीता परियोजना के कारण कई लाख में मिल रही है।
रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान के मुख्य वन और क्षेत्र निदेशक एस आर यादव ने बताया कि रणथम्भौर, कुनो राष्ट्रीय उद्यान का निकटतम स्थान है और यह एक आकर्षक पर्यटन स्थल भी है। यह एक आकलन है, लेकिन निश्चित रूप से यह एक सकारात्मक प्रभाव छोड़ेगा और आने वाले समय में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी। कुनो राष्ट्रीय उद्यान के लिए कुल 20 चीतों को मंजूरी दी गई है।
पर्यटन उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार, लगभग पांच लाख पर्यटक हर साल रणथम्भौर की यात्रा करते हैं और यहां 300 से अधिक बड़े और छोटे होटल हैं, जबकि मध्य प्रदेश का श्योपुर अपेक्षाकृत नया स्थान है जहां आतिथ्य क्षेत्र के निवेशक अपने व्यवसाय का विस्तार करने पर विचार कर रहे हैं।
इकाकी बाग के संस्थापक जयदेव सिंह राठौर ने बताया कि जब भी कोई नया आकर्षण होता है, तो उसे देखने के लिए उत्साही लोगों का एक निश्चित समूह आता है। इसलिए चीता परियोजना की सफलता के साथ आने वाले समय में नए होटल, रिसॉर्ट और संबंधित उद्योग पनपेंगे। परियोजना अभी शुरू हुई है, और लोग तभी निवेश करेंगे जब वे इसकी सफलता देखेंगे और चीतों की संख्या में वृद्धि देखेंगे।
हालांकि, पर्यटक संचालक और वन्यजीव फोटोग्राफर, आदित्य डिकी सिंह को लगता है कि ‘चीता पर्यटन’ के बारे में बात करना और राजस्थान पर्यटन पर इसका तत्काल प्रभाव पड़ने के बारे कहना बहुत जल्दबाजी होगी। जयदेव सिंह ने बताया कि कम से कम एक साल के लिए लोगों को कुनो राष्ट्रीय उद्यान में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह अभी निश्चित नहीं है कि ये चीते अपने बाड़ों से बाहर आएंगे या नहीं। कुनो में पर्यटकों के आने और इसके राजस्थान पर्यटन पर प्रभाव के बारे में बात करना जल्दबाजी होगी।
गौरतलब है कि 17 सितंबर को, नामीबिया से विमान के जरिये लाए गए आठ चीतों (पांच मादा और तीन नर) को कुनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा गया, जिससे श्योपुर जिला स्थित अभयारण्य की दुनिया के नक्शे पर पहचान बनी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्यान में बने विशेष बाड़े में इन चीतों को छोड़ा था।
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पूर्व वन्यजीव वार्डन सिंह ने बताया कि अगले दो वर्षों में, बहुत से लोग इस क्षेत्र में निवेश करेंगे जिससे यहां रोजगार मिलेगा और स्थानीय लोगों के जीवन का उत्थान होगा। उन्होंने बताया कि इस बात से कोई भी समझ सकता है कि मध्य प्रदेश के करहल में जमीन की कीमत पहले 30,000 रुपये से 40,000 रुपये प्रति बीघा थी वह चीता परियोजना के कारण कई लाख में मिल रही है।
रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान के मुख्य वन और क्षेत्र निदेशक एस आर यादव ने बताया कि रणथम्भौर, कुनो राष्ट्रीय उद्यान का निकटतम स्थान है और यह एक आकर्षक पर्यटन स्थल भी है। यह एक आकलन है, लेकिन निश्चित रूप से यह एक सकारात्मक प्रभाव छोड़ेगा और आने वाले समय में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी। कुनो राष्ट्रीय उद्यान के लिए कुल 20 चीतों को मंजूरी दी गई है।
पर्यटन उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार, लगभग पांच लाख पर्यटक हर साल रणथम्भौर की यात्रा करते हैं और यहां 300 से अधिक बड़े और छोटे होटल हैं, जबकि मध्य प्रदेश का श्योपुर अपेक्षाकृत नया स्थान है जहां आतिथ्य क्षेत्र के निवेशक अपने व्यवसाय का विस्तार करने पर विचार कर रहे हैं।
इकाकी बाग के संस्थापक जयदेव सिंह राठौर ने बताया कि जब भी कोई नया आकर्षण होता है, तो उसे देखने के लिए उत्साही लोगों का एक निश्चित समूह आता है। इसलिए चीता परियोजना की सफलता के साथ आने वाले समय में नए होटल, रिसॉर्ट और संबंधित उद्योग पनपेंगे। परियोजना अभी शुरू हुई है, और लोग तभी निवेश करेंगे जब वे इसकी सफलता देखेंगे और चीतों की संख्या में वृद्धि देखेंगे।
हालांकि, पर्यटक संचालक और वन्यजीव फोटोग्राफर, आदित्य डिकी सिंह को लगता है कि ‘चीता पर्यटन’ के बारे में बात करना और राजस्थान पर्यटन पर इसका तत्काल प्रभाव पड़ने के बारे कहना बहुत जल्दबाजी होगी। जयदेव सिंह ने बताया कि कम से कम एक साल के लिए लोगों को कुनो राष्ट्रीय उद्यान में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह अभी निश्चित नहीं है कि ये चीते अपने बाड़ों से बाहर आएंगे या नहीं। कुनो में पर्यटकों के आने और इसके राजस्थान पर्यटन पर प्रभाव के बारे में बात करना जल्दबाजी होगी।
गौरतलब है कि 17 सितंबर को, नामीबिया से विमान के जरिये लाए गए आठ चीतों (पांच मादा और तीन नर) को कुनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा गया, जिससे श्योपुर जिला स्थित अभयारण्य की दुनिया के नक्शे पर पहचान बनी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्यान में बने विशेष बाड़े में इन चीतों को छोड़ा था।