Rajasthan: अपनों पर मेहरबान रहीं BJP और Congress की सरकारें, ‘पतली गली’ से चहेते अफसरों को यूं बनाया IAS h3>
जयपुर: जिनके हाथ में सत्ता की बागडोर होती है वे अपने चहेतों को उपकृत जरूर करते हैं। राजनैतिक नियुक्तियों का मामला हो या फिर आईएएस अफसर बनाने का। जब जिसे मौका मिला, तब सरकारें अपने चहेते अफसरों पर भरपूर मेहरबान रही। हाल ही में राजस्थान हाईकोर्ट राज्य सेवा से अतिरिक्त अन्य सेवाओं के अफसरों को आईएएस में पदोन्नत करने पर अंतरिम रोक लगा दी है। हाईकोर्ट के इस आदेश से कई नेताओं के नजदीकी या रिश्तेदार अफसरों का आईएएस बनने सपना अधूरा रह गया है।
पहले आईएएस बनने के तीन तरीकों को समझें
जैसा कि आप जानते हैं कि आईएएस बनने के तीन तरीके हैं। पहला तरीके में यूपीएससी के जरिए चयन होता है। दूसरे तरीके में आरएएस अफसर प्रमोट होकर आईएएस बनते हैं और तीसरा तरीका यह है कि विशेष परिस्थितियों में राज्य सरकार राज्य सेवा के अतिरिक्त अन्य सेवाओं के अफसरों को भी आईएएस में प्रमोट करने का प्रस्ताव केन्द्रीय कार्मिक विभाग को भेजती है। राज्य सरकार द्वारा भेजे गए पैनल के अफसरों का केन्द्रीय कार्मिक विभाग में इंटरव्यू होता है । इसके बाद रिक्त पदों के हिसाब में आईएएस में पदोन्न करने का नोटिफिकेशन जारी किया जाता है। राजस्थान में डायरेक्ट आईएएस का कोटा 66.67 प्रतिशत है। आरएएस से प्रमोट होने वाले अफसरों का कोटा 33.33 प्रतिशत है और विशेष परिस्थितियों में अन्य सेवा के अफसरों को राज्य सेवा के अफसरों के कोटे यानी 33.33 प्रतिशत के 15 प्रतिशत अफसरों को आईएएस बनाया जा सकता है।
गजेटेड ऑफिसर नहीं उन्हें भी बनाया IAS
आईएएस बनने के तीसरे तरीके को सरकारों ने रिजर्व कोटा मान लिया और अपने चहेते अफसरों को आईएएस बनाया जाने लगा। सरकार चाहे भाजपा की हो या कांग्रेस की। राज्य सेवा के अफसर (आरएएस) नहीं होने के बावजूद भी अन्य सरकारी अधिकारियों को भी आईएएस में प्रमोट किया जाने लगा। यानी विशेष परिस्थितियों में आईएएस बनाने का जो नियम है। उस नियम को सरकार ने अपनों को उपकृत करने का हथियार बना लिया। हैरानी की बात यह कि कुछ ऐसे अफसरों को भी आईएएस बना दिया गया जो गजेटेड ऑफिसर (राजपत्रित अधिकारी) भी नहीं हैं।
गहलोत सरकार ने 6 और वसुंधरा राजे सरकार ने 5 चहेतों को बनाया आईएएस
दिसंबर 2018 में प्रदेश में अशोक गहलोत की सरकार बनी। पिछले साढे 4 साल में सरकार ने 6 ऐसे अफसरों को आईएएस बनाया जो राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अफसर नहीं थे। इनमें डॉ. घनश्याम बैरवा, सीताराम जाट, हेमपुष्पा शर्मा, शरद मेहरा, महेन्द्र खड़गावत और ओमप्रकाश बैरवा शामिल हैं। इसी तरह पूर्ववर्ती भाजपा शासन में वसुंधरा राजे भी अपनों पर मेहरबान रही। राजे के 2013 से 2018 के कार्यकाल में 5 अफसरों को आईएएस में पदोन्नत किया गया जो राज्य सेवा के अफसर नहीं थे। इन अफसरों में जाकिर हुसैन, राजेन्द्र भट्ट, महावीर प्रसाद, नरेश कुमार ठकराल और सुधीर कुमार शर्मा शामिल हैं। इन 11 अफसरों में से जाकिर हुसैन सेवानिवृत हो चुके हैं जबकि अन्य 10 अफसर वर्तमान में आईएएस हैं और विभिन्न पदों पर सुशोभित हैं।
इन अफसरों पर क्यों मेहरबान रही सरकारें
गहलोत सरकार द्वारा केन्द्रीय कार्मिक विभाग को भेजे गए 10 अफसरों ने दिसंबर 2020 में इंटरव्यू दिया था। दो महीने बाद मार्च 2021 में केन्द्रीय कार्मिक विभाग ने 4 अफसरों को आईएएस बनाने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया। यानी गहलोत सरकार के 4 चहेते अफसर एक साथ आईएएस में पदोन्न हो गए। इनमें डॉ. घनश्याम बैरवा, सीताराम जाट, हेमपुष्पा शर्मा और शरद मेहरा शामिल हैं। डॉ. घनश्याम बैरवा मंत्री ममता भूपेश के पति हैं जबकि शरद मेहरा पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के रिश्तेदार हैं। कृषि सेवा के अफसर रहे सीताराम जाट एक जाट नेता के नजदीकी हैं जबकि हेमपुष्पा शर्मा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार रहे गोविन्द शर्मा की बहन हैं।
इसी तरह गहलोत सरकार की सिफारिश पर केन्द्रीय कार्मिक विभाग ने मार्च 2022 में भी सांख्यिकी सेवा के अफसर ओमप्रकाश बैरवा और अभिलेखागार सेवा के महेन्द्र खड़गावत को आईएएस में पदोन्नत किया था। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के दौरान कॉपरेटिव सर्विस के राजेन्द्र भट्ट को आईएएस में पदोन्नत किया था। राजेन्द्र भट्ट जयपुर के एक प्रतिष्ठित मंदिर के महंत के दामाद हैं।
जानिए उपकृत अफसर कहां कहां पोस्टेड हैं
पूर्व मुख्यमत्री वसुंधरा राजे सरकार में आईएएस बने राजेन्द्र भट्ट वर्तमान में उदयपुर के प्संभागीय आयुक्त हैं। इसी तरह महावीर प्रसाद रेवेन्यू बोर्ड अजमेर में रजिस्ट्रार हैं। नरेश कुमार ठकराल फाइनेंस डिपार्टमेंट में सचिव हैं जबकि सुधीर कुमार शर्मा उद्योग विभाग में प्रबंध निदेशक हैं। गहलोत सरकार में आईएएस में पदोन्नत हुए सभी 6 अधिकारी भी अलग अलग पदों पर विराजमान हैं। मंत्री ममता भूपेश के पति डॉ. घनश्याम बैरवा श्रम विभाग के आयुक्त हैं जबकि हेमपुष्पा शर्मा फाइनेंस डिपार्मेंट में संयुक्त सचिव है। शरद मेहरा नवगठित जिले डीग के विशेषाधिकारी (ओएसडी), ओमप्रकाश बैरवा नवगठित जिले खैरथल के विशेषाधिकारी, सीताराम जाट नवगठित कुचामन डीडवाना जिले के विशेषाधिकारी और महेन्द्र खड़गावत पुरातत्व विभाग के निदेशक हैं। (रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़, जयपुर)
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पहले आईएएस बनने के तीन तरीकों को समझें
जैसा कि आप जानते हैं कि आईएएस बनने के तीन तरीके हैं। पहला तरीके में यूपीएससी के जरिए चयन होता है। दूसरे तरीके में आरएएस अफसर प्रमोट होकर आईएएस बनते हैं और तीसरा तरीका यह है कि विशेष परिस्थितियों में राज्य सरकार राज्य सेवा के अतिरिक्त अन्य सेवाओं के अफसरों को भी आईएएस में प्रमोट करने का प्रस्ताव केन्द्रीय कार्मिक विभाग को भेजती है। राज्य सरकार द्वारा भेजे गए पैनल के अफसरों का केन्द्रीय कार्मिक विभाग में इंटरव्यू होता है । इसके बाद रिक्त पदों के हिसाब में आईएएस में पदोन्न करने का नोटिफिकेशन जारी किया जाता है। राजस्थान में डायरेक्ट आईएएस का कोटा 66.67 प्रतिशत है। आरएएस से प्रमोट होने वाले अफसरों का कोटा 33.33 प्रतिशत है और विशेष परिस्थितियों में अन्य सेवा के अफसरों को राज्य सेवा के अफसरों के कोटे यानी 33.33 प्रतिशत के 15 प्रतिशत अफसरों को आईएएस बनाया जा सकता है।
गजेटेड ऑफिसर नहीं उन्हें भी बनाया IAS
आईएएस बनने के तीसरे तरीके को सरकारों ने रिजर्व कोटा मान लिया और अपने चहेते अफसरों को आईएएस बनाया जाने लगा। सरकार चाहे भाजपा की हो या कांग्रेस की। राज्य सेवा के अफसर (आरएएस) नहीं होने के बावजूद भी अन्य सरकारी अधिकारियों को भी आईएएस में प्रमोट किया जाने लगा। यानी विशेष परिस्थितियों में आईएएस बनाने का जो नियम है। उस नियम को सरकार ने अपनों को उपकृत करने का हथियार बना लिया। हैरानी की बात यह कि कुछ ऐसे अफसरों को भी आईएएस बना दिया गया जो गजेटेड ऑफिसर (राजपत्रित अधिकारी) भी नहीं हैं।
गहलोत सरकार ने 6 और वसुंधरा राजे सरकार ने 5 चहेतों को बनाया आईएएस
दिसंबर 2018 में प्रदेश में अशोक गहलोत की सरकार बनी। पिछले साढे 4 साल में सरकार ने 6 ऐसे अफसरों को आईएएस बनाया जो राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अफसर नहीं थे। इनमें डॉ. घनश्याम बैरवा, सीताराम जाट, हेमपुष्पा शर्मा, शरद मेहरा, महेन्द्र खड़गावत और ओमप्रकाश बैरवा शामिल हैं। इसी तरह पूर्ववर्ती भाजपा शासन में वसुंधरा राजे भी अपनों पर मेहरबान रही। राजे के 2013 से 2018 के कार्यकाल में 5 अफसरों को आईएएस में पदोन्नत किया गया जो राज्य सेवा के अफसर नहीं थे। इन अफसरों में जाकिर हुसैन, राजेन्द्र भट्ट, महावीर प्रसाद, नरेश कुमार ठकराल और सुधीर कुमार शर्मा शामिल हैं। इन 11 अफसरों में से जाकिर हुसैन सेवानिवृत हो चुके हैं जबकि अन्य 10 अफसर वर्तमान में आईएएस हैं और विभिन्न पदों पर सुशोभित हैं।
इन अफसरों पर क्यों मेहरबान रही सरकारें
गहलोत सरकार द्वारा केन्द्रीय कार्मिक विभाग को भेजे गए 10 अफसरों ने दिसंबर 2020 में इंटरव्यू दिया था। दो महीने बाद मार्च 2021 में केन्द्रीय कार्मिक विभाग ने 4 अफसरों को आईएएस बनाने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया। यानी गहलोत सरकार के 4 चहेते अफसर एक साथ आईएएस में पदोन्न हो गए। इनमें डॉ. घनश्याम बैरवा, सीताराम जाट, हेमपुष्पा शर्मा और शरद मेहरा शामिल हैं। डॉ. घनश्याम बैरवा मंत्री ममता भूपेश के पति हैं जबकि शरद मेहरा पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के रिश्तेदार हैं। कृषि सेवा के अफसर रहे सीताराम जाट एक जाट नेता के नजदीकी हैं जबकि हेमपुष्पा शर्मा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार रहे गोविन्द शर्मा की बहन हैं।
इसी तरह गहलोत सरकार की सिफारिश पर केन्द्रीय कार्मिक विभाग ने मार्च 2022 में भी सांख्यिकी सेवा के अफसर ओमप्रकाश बैरवा और अभिलेखागार सेवा के महेन्द्र खड़गावत को आईएएस में पदोन्नत किया था। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के दौरान कॉपरेटिव सर्विस के राजेन्द्र भट्ट को आईएएस में पदोन्नत किया था। राजेन्द्र भट्ट जयपुर के एक प्रतिष्ठित मंदिर के महंत के दामाद हैं।
जानिए उपकृत अफसर कहां कहां पोस्टेड हैं
पूर्व मुख्यमत्री वसुंधरा राजे सरकार में आईएएस बने राजेन्द्र भट्ट वर्तमान में उदयपुर के प्संभागीय आयुक्त हैं। इसी तरह महावीर प्रसाद रेवेन्यू बोर्ड अजमेर में रजिस्ट्रार हैं। नरेश कुमार ठकराल फाइनेंस डिपार्टमेंट में सचिव हैं जबकि सुधीर कुमार शर्मा उद्योग विभाग में प्रबंध निदेशक हैं। गहलोत सरकार में आईएएस में पदोन्नत हुए सभी 6 अधिकारी भी अलग अलग पदों पर विराजमान हैं। मंत्री ममता भूपेश के पति डॉ. घनश्याम बैरवा श्रम विभाग के आयुक्त हैं जबकि हेमपुष्पा शर्मा फाइनेंस डिपार्मेंट में संयुक्त सचिव है। शरद मेहरा नवगठित जिले डीग के विशेषाधिकारी (ओएसडी), ओमप्रकाश बैरवा नवगठित जिले खैरथल के विशेषाधिकारी, सीताराम जाट नवगठित कुचामन डीडवाना जिले के विशेषाधिकारी और महेन्द्र खड़गावत पुरातत्व विभाग के निदेशक हैं। (रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़, जयपुर)