Raj Thackeray: मुसलमानों के वोट…शिवाजी के भगवा झंडे का हरे झंडे से युद्ध, क्या राज ठाकरे ने चुन ली है बीजेपी की राह? h3>
मुंबई : साल 2005 में बाला साहेब ठाकरे ने अपने बेटे उद्धव ठाकरे को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया तो राज ठाकरे नाराज हो गए। उन्होंने 2006 में शिवसेना से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS)। एमएनएस बनाने के बाद राज ठाकरे लगातार पार्टी को खड़ा करने के लिए काम करते रहे। हालांकि शिवसेना के बराबर वह अपनी पार्टी खड़ी नहीं कर सके। हिंदुत्व की राह पर चलने वाली शिवसेना पर अब हिंदुत्व छोड़ने के आरोप लग रहे हैं तो राज ठाकरे इसे भुनाने निकल पड़े हैं। लगभग 16 साल के बाद वह हिंदुत्व की राजनीति में वापस लौट रहे हैं। 54 वर्ष से हिंदूवाद की राजनीति कर रही शिवसेना ने जैसे ही बीजेपी का दामन छोड़कर एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन करके सरकार बनाई और अपना रास्ता बदला, राज ठाकरे ने इस रास्ते को पकड़ लिया।
राज ठाकरे ने इसकी शुरुआत भगवा झंडे को लॉन्च करके की। उनके झंडे पर छत्रपति शिवाजी महाराज की राजमुद्रा लगी है। नीचे बड़े अक्षरों में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना लिखा गया है। इसमें संस्कृत में लिखा है, “प्रतिपच्चंद्रलेखेव वर्धिष्णुर्विश्ववंदिता, शाहसुनोः शिवस्यैषा मुद्रा। इस झंडे का रंग भगवा है। अब इस झंडे को बुलंद करके राज ठाकरे हिंदुत्व की राह पर निकल पड़े हैं।
‘पवार शिवाजी का नाम लेंगे तो मुस्लिमों के वोट नहीं मिलेंगे
शरद पवार कह रहें है कि मैं अपनी भूमिका बदलता हूं। कब मैंने अपनी भूमिका बदली? पाकिस्तानी कलाकारों को देश से किसने भगाया.. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने। आजाद मैदान दंगे में जब पुलिस बहनों को मारा पीटा गया.. पत्रकारों की गाड़ियां जलाई गई.. तब कोई नहीं बोला। उस वक्त सिर्फ MNS ने मोर्चा निकाला था। राज ठाकरे ने आगे कहा कि पता ही नहीं चलता है कि ये( संजय राउत) शिवसेना के है या एनसीपी के। शरद पवार कभी भी अपनी सभा में शिवाजी महाराज का नाम नहीं लेते हैं। अगर शिवाजी का नाम लिया तो मुसलमानों के वोट नहीं मिलेगा। शदर पवार को ऐसा डर लगता है। पवार शाहू, फुले और आंबेडकर का नाम लेते हैं। राज ठाकरे ने कहा कि शिवाजी महाराज ने भगवा झंडा हाथ में लिया। लेकिन शरद पवार नास्तिक हैं। वो धर्म को नहीं मानते हैं, इसलिए वो जाति की राजनीति करते हैं। शरद पवार को छत्रपति शिवाजी महाराज के भगवा झंडे का हरे झंडे के खिलाफ युद्ध नहीं दिखा।
लाउडस्पीकर पर उद्धव सरकार को अल्टीमेटम
नमाज के लिए रास्ते और फुटपाथ क्यों चाहिए? घर पर पढ़िए। प्रार्थना आपकी है हमें क्यों सुना रहे हो। अगर इन्हें हमारी बात समझ नहीं आती तो आपकी मस्जिद के सामने हनुमान चालीसा बजाएंगे। राज्य सरकार को हम कहते हैं कि हम इस मुद्दे से पीछे नहीं हटेंगे आपको जो करना है करो। उन्होंने कहा कि ऐसा कौन सा धर्म है जो दूसरे धर्म को तकलीफ देता है। हम होम डिपार्टमेंट को कहना चाहते हैं हमें दंगे नहीं चाहिए। 3 तारीख तक सभी लाउडस्पीकर मस्जिद से हटने चाहिए हमारी तरफ से कोई तकलीफ़ नहीं होगी।
रमजान के बीच मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने का विवाद
मुंबई के शिवाजी पार्क में दो अप्रैल को एक रैली को संबोधित करते हुए राज ठाकरे ने कहा, ‘मस्जिदों में लाउडस्पीकर इतनी तेज आवाज में क्यों बजाया जाता है? अगर इसे नहीं रोका गया, तो मस्जिदों के बाहर तेज आवाज में हनुमान चालीसा बजाने वाले स्पीकर लगाए जाएंगे।’
राज ठाकरे बीजेपी के लाउडस्पीकर बने हैं। हिंदुत्व हमारी रगों में है, हमें राज हिंदुत्व न सिखाएं। ईडी की रेड से बचने के लिए वो शोर मचा रहे हैं।
संजय राउत , शिवसेना प्रवक्ता
बीजेपी के साथ जाना ही विकल्प?
पार्टी के एक कार्यक्रम में महाराष्ट्र के महाराष्ट्र सीएम उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा। उन्होंने कहा राज्य की जनता ने शिवसेना को इसलिए नहीं चुना था कि वह एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाए। उद्धव ठाकरे ने जनता के साथ गद्दारी की है। गद्दारी करने वाले नेताओं को जनता ही सबक सिखाएगी। वह मंच से भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ कुछ नहीं बोल रहे। इसके इतर उन्होंने यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ और पीएम नरेंद्र मोदी के हिंदुत्व की तारीफ की।
बालासाहेब के प्रयोग को दोहराया
सब जानते हैं कि राज ठाकरे की राजनीतिक शिक्षा-दीक्षा उनके चाचा दिवंगत शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के सानिध्य में हुई है। खुद बालासाहेब राजनीति का यह प्रयोग कर चुके हैं। शुरुआत में उनकी भूमिका भी कांग्रेसपूरक थी। कांग्रेस के साथ मिलकर ही बालासाहेब ने मुंबई में वामपंथियों और समाजवादियों के खिलाफ लड़कर शिवसेना की राजनीतिक जमीन तैयार की थी। तत्कालीन दौर में शिवसेना को ठाणे महानगर पालिका और बाद में मुंबई महानगर पालिका की जो सत्ता मिली, वह उस समय कांग्रेस की मदद का ही परिणाम था। कुछ लोगों को मानना है कि अब राज ठाकरे बीजेपी को साथ लेकर महाराष्ट्र में बाला साहेब का प्रयोग दोहराना चाहते हैं।
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मुंबई के शिवाजी पार्क में दो अप्रैल को एक रैली को संबोधित करते हुए राज ठाकरे ने कहा, ‘मस्जिदों में लाउडस्पीकर इतनी तेज आवाज में क्यों बजाया जाता है? अगर इसे नहीं रोका गया, तो मस्जिदों के बाहर तेज आवाज में हनुमान चालीसा बजाने वाले स्पीकर लगाए जाएंगे।’
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बालासाहेब के प्रयोग को दोहराया
सब जानते हैं कि राज ठाकरे की राजनीतिक शिक्षा-दीक्षा उनके चाचा दिवंगत शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के सानिध्य में हुई है। खुद बालासाहेब राजनीति का यह प्रयोग कर चुके हैं। शुरुआत में उनकी भूमिका भी कांग्रेसपूरक थी। कांग्रेस के साथ मिलकर ही बालासाहेब ने मुंबई में वामपंथियों और समाजवादियों के खिलाफ लड़कर शिवसेना की राजनीतिक जमीन तैयार की थी। तत्कालीन दौर में शिवसेना को ठाणे महानगर पालिका और बाद में मुंबई महानगर पालिका की जो सत्ता मिली, वह उस समय कांग्रेस की मदद का ही परिणाम था। कुछ लोगों को मानना है कि अब राज ठाकरे बीजेपी को साथ लेकर महाराष्ट्र में बाला साहेब का प्रयोग दोहराना चाहते हैं।
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