Raghuram Rajan: रघुराम राजन ने बताया भारत में किस आधार पर बनती हैं पॉलिसी, सुझाया किस तरह की होनी चाहिए व्यवस्था

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Raghuram Rajan: रघुराम राजन ने बताया भारत में किस आधार पर बनती हैं पॉलिसी, सुझाया किस तरह की होनी चाहिए व्यवस्था

Raghuram Rajan: रघुराम राजन ने बताया भारत में किस आधार पर बनती हैं पॉलिसी, सुझाया किस तरह की होनी चाहिए व्यवस्था

नई दिल्ली: हमारे देश में शुरुआती दौर के लीडर इंडिविजुल्स पर फोकस किया करते थे। डॉक्टर अंबेडकर ने कहा था कि संविधान ने गांव को खत्म कर दिया है और इंडिविजुल्स को एक यूनिट माना है। हालांकि, संविधान ने और कई पॉलिसी ने धर्म, भाषा, जाति के आधार पर बने ग्रुप्स को भी बेहद अहम माना है। जैसे भारत के राज्य भाषा के आधार पर बने हैं। वहीं तमाम शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में भी अनुसूचित जाति के लोगों को आरक्षण मिलता है। इसके अलावा अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों को भी आरक्षण मिलता है।

राजनीतिक रूप से ऑर्गेनाइज होने के चलते इंडिविजुअल से फोकस हटकर समूहों की ओर मुड़ गया है। वहीं इसका एक सकारात्मक पहलू ये है कि अंडरप्रिविलेज्ड ग्रुप अपने वोट की ताकत के चलते बार्गेन कर पाते हैं। इन सब के चलते असमानता बढ़ी है। जैसे एक ही जाति के कुछ लोग गांव में रहकर लोकल सरकारी स्कूल में ठीक से नहीं पढ़ सके हों, वहीं दूसरे लोग शहर में अच्छी शिक्षा पा रहे हों। स्कूलिंग की क्वालिटी बेहतर करने के मुद्दे पर किसी भी जाति के लोगों का एक होना बहुत ही मुश्किल है।

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इन सब की वजह से होता ये है कि किसी ग्रुप के सबसे पिछड़े सदस्यों को सबसे कम फायदा मिलता है। आज के वक्त में जाट और पाटिदार भी आरक्षण चाह रहे हैं और राज्य भी अपने यहां के लोगों के लिए नौकरियां रिजर्व कर रहे हैं। ग्रुप्स को टारगेट करने वाली पॉलिसी से ग्रुप को फायदे मिलते हैं, ना कि इंडिविजुअल्स की हालात में कोई सुधार आता है। सामाजिक और आर्थिक दोनों को अलग-अलग करते हुए चीजों को देखने को जरूरत है और दोनों मामलों में अलग-अलग तरीके से डील करना होगा। जब किसी जाति को लगातार भेदभाव का सामना करना पड़ता है तो उसकी पहचान जाति के आधार पर देखनी चाहिए। ऐसे में सरकार उसे रिजर्वेशन जैसे आर्थिक सपोर्ट दे सकती है।

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वहीं दूसरी ओर बाकी लोगों को आर्थिक आधार पर देखना चाहिए। यहां राज्यों को दोहरा दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। राज्यों को इंडिविजुअल्स को बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा मुहैया करानी चाहिए, जबकि सरकारी फायदे सिर्फ उन लोगों को देने चाहिए जो वास्तव में आर्थिक रूप से कमजोर हैं।

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