Putin Ukraine Invasion: यूक्रेन की जंग में ‘जीत’ हासिल कर चुकी है रूसी सेना, समझें पुतिन का एंड गेम, भारत के लिए सबक h3>
कीव: यूक्रेन में जारी भीषण जंग का आज 40वां दिन है और रूसी सेना राजधानी कीव से पीछे हटकर दोनबास के इलाके पर फोकस कर रही है। पश्चिमी देशों का दावा है कि रूस की सेना यूक्रेन में जंग हार रही है। वहीं हकीकत इससे उलट दिखाई पड़ रहा है। रक्षा मामलों के चर्चित विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने फ्रांसीसी रक्षा मंत्रालय के नक्शे के हवाले से बताया कि रूसी सेना यूक्रेन में काफी बढ़त बना चुकी है और अपने लक्ष्य के काफी करीब पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा कि पुतिन नाटो और रूस के बीच एक बफर जोन बनाना चाहते थे और उसे अब वह हासिल कर चुके हैं। आइए समझते हैं पूरा मामला…
ब्रह्मा चेलानी ने ट्वीट करके कहा, ‘छोटे देशों में बड़ी शक्तियों का हस्तक्षेप बहुत ही विनाशकारी रहा है। साल 1991 में अमेरिकी सेना ने 42 दिनों तक लगातार बमबारी करके सबसे पहले इराक के सैन्य और नागरिक आधारभूत ढांचे को तबाह कर दिया। इसके बाद अमेरिका की सेना जमीनी हमले शुरू किए। नाटो के साल 2011 के घातक युद्ध की वजह से लीबिया अभी भी एक फेल राष्ट्र है।’ उन्होंने कहा कि यूक्रेन की जंग में आज 40वां दिन है और पश्चिमी देशों के दावों के विपरीत पुतिन यूक्रेन में अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं।
‘पुतिन का अंतिम लक्ष्य नाटो के खिलाफ रणनीतिक बफर जोन बनाना’
चेलानी ने कहा कि रूस ने क्रीमिया के लिए एक जमीनी कॉरिडोर बनाने में सफलता हासिल कर ली है। रूस ने अजोव के तट पर कब्जा कर लिया है। यही नहीं रूस ने काला सागर के ज्यादातर इलाके पर कब्जा लिया है। उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि पुतिन का अंतिम लक्ष्य नाटो के खिलाफ एक रणनीतिक बफर जोन का निर्माण करना है। चेलानी ने सवाल किया कि क्या पुतिन अब काला सागर के बचे हुए इलाके पर कब्जा करने की कोशिश करेंगे? उन्होंने कहा कि किसी भी सूरत में रूस अब जमीनी कब्जे को खाली नहीं करेगा।
रक्षा विशेषज्ञ ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन लगातार चीन के उदय को मदद कर रहे हैं। इसमें कड़े प्रतिबंध लगाकर रूस को चीन का जूनियर पार्टनर बनाना शामिल है। बाइडन के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कह चुके हैं कि रूस इस रिश्ते में अब चीन का जूनियर पार्टनर बनने जा रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका लगातार रूस पर प्रतिबंध लगा रहा है जिससे वह चीन की तरफ जाने को मजबूर होगा। अमेरिका ने यह भी कहा है कि भारत एक रणनीतिक पार्टनर के रूप में रूस पर भरोसा नहीं कर सकता है।
‘अमेरिका के अपने हितों पर कुठाराघात कर रहे हैं बाइडन’
चेलानी ने कहा कि बाइडन प्रशासन चीन और रूस के बीच गठजोड़ को मजबूत करके अमेरिका के अपने हितों पर कुठाराघात कर रहे हैं। इसमें अमेरिका का वैश्विक उदय शामिल है। इससे पहले अमेरिका के उप एनएसए दलीप सिंह ने अपने नई दिल्ली के दौरे के दौरान कहा था कि भारत ऐसी उम्मीद न लगाए कि रूस उसकी मदद करेगा यदि चीन की ओर एलएसी पर कोई उल्लंघन होगा। उन्होंने भारत को चेताते हुए कहा था कि जब चीन नियंत्रण रेखा का उल्लंघन करेगा तब रूस भारत की मदद करेगा ऐसा नहीं है। चीन और रूस अब नो लिमिट्स पार्टनरशिप में हैं।
यूक्रेन में रणनीतिक बफर जोन बनाने में रूस सफल
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ब्रह्मा चेलानी ने ट्वीट करके कहा, ‘छोटे देशों में बड़ी शक्तियों का हस्तक्षेप बहुत ही विनाशकारी रहा है। साल 1991 में अमेरिकी सेना ने 42 दिनों तक लगातार बमबारी करके सबसे पहले इराक के सैन्य और नागरिक आधारभूत ढांचे को तबाह कर दिया। इसके बाद अमेरिका की सेना जमीनी हमले शुरू किए। नाटो के साल 2011 के घातक युद्ध की वजह से लीबिया अभी भी एक फेल राष्ट्र है।’ उन्होंने कहा कि यूक्रेन की जंग में आज 40वां दिन है और पश्चिमी देशों के दावों के विपरीत पुतिन यूक्रेन में अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं।
‘पुतिन का अंतिम लक्ष्य नाटो के खिलाफ रणनीतिक बफर जोन बनाना’
चेलानी ने कहा कि रूस ने क्रीमिया के लिए एक जमीनी कॉरिडोर बनाने में सफलता हासिल कर ली है। रूस ने अजोव के तट पर कब्जा कर लिया है। यही नहीं रूस ने काला सागर के ज्यादातर इलाके पर कब्जा लिया है। उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि पुतिन का अंतिम लक्ष्य नाटो के खिलाफ एक रणनीतिक बफर जोन का निर्माण करना है। चेलानी ने सवाल किया कि क्या पुतिन अब काला सागर के बचे हुए इलाके पर कब्जा करने की कोशिश करेंगे? उन्होंने कहा कि किसी भी सूरत में रूस अब जमीनी कब्जे को खाली नहीं करेगा।
रक्षा विशेषज्ञ ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन लगातार चीन के उदय को मदद कर रहे हैं। इसमें कड़े प्रतिबंध लगाकर रूस को चीन का जूनियर पार्टनर बनाना शामिल है। बाइडन के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कह चुके हैं कि रूस इस रिश्ते में अब चीन का जूनियर पार्टनर बनने जा रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका लगातार रूस पर प्रतिबंध लगा रहा है जिससे वह चीन की तरफ जाने को मजबूर होगा। अमेरिका ने यह भी कहा है कि भारत एक रणनीतिक पार्टनर के रूप में रूस पर भरोसा नहीं कर सकता है।
‘अमेरिका के अपने हितों पर कुठाराघात कर रहे हैं बाइडन’
चेलानी ने कहा कि बाइडन प्रशासन चीन और रूस के बीच गठजोड़ को मजबूत करके अमेरिका के अपने हितों पर कुठाराघात कर रहे हैं। इसमें अमेरिका का वैश्विक उदय शामिल है। इससे पहले अमेरिका के उप एनएसए दलीप सिंह ने अपने नई दिल्ली के दौरे के दौरान कहा था कि भारत ऐसी उम्मीद न लगाए कि रूस उसकी मदद करेगा यदि चीन की ओर एलएसी पर कोई उल्लंघन होगा। उन्होंने भारत को चेताते हुए कहा था कि जब चीन नियंत्रण रेखा का उल्लंघन करेगा तब रूस भारत की मदद करेगा ऐसा नहीं है। चीन और रूस अब नो लिमिट्स पार्टनरशिप में हैं।
यूक्रेन में रणनीतिक बफर जोन बनाने में रूस सफल