Prashant Kishor News : प्रशांत किशोर कांग्रेस में नहीं आने वाले, क्या राहुल गांधी को पहले से पता था? h3>
नई दिल्ली: सियासी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस में शामिल होने से इनकार कर दिया है। 26 अप्रैल को बाकायदे ट्वीट कर उन्होंने अपने फैसले की जानकारी दी। हालांकि कोई था जिसे पहले ही अंदाजा हो गया था कि PK कांग्रेस में नहीं आने वाले। पार्टी सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि राहुल गांधी ने पहले दिन ही इसकी भविष्यवाणी कर दी थी। कई नेताओं को लग रहा था कि चुनावी रणनीतिकार दूसरी पार्टियों से फायदा उठाने के लिए कांग्रेस का इस्तेमाल करना चाहते हैं। प्रशांत किशोर से जुड़े सूत्र बताते हैं कि वैसे, संदेह और गलतफहमियां दोनों तरफ थीं। पीके को एंपावर्ड एक्शन कमेटी में चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन उन्होंने पेशकश ठुकरा दी।
एक मौका उन्हें दिया गया था कि आप भी कांग्रेस के यज्ञ में शामिल हो जाइए। पता नहीं, क्या कारण है कि वह इसमें शामिल नहीं हुए। उनके क्या कारण रहे होंगे, वह ही बताएंगे… कांग्रेस पार्टी के खिड़की, दरवाजे खुले रहते हैं। सबकी सलाह सुनते हैं। हम एक जीवंत संगठन हैं… कभी खिड़की, दरवाजे बंद नहीं रखते।
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा
आठ बार PK को कांग्रेस में लाने की कोशिश
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि पीके को कांग्रेस में शामिल होने का प्रस्ताव दो दिन पहले ही दिया गया था और उन्होंने मना कर दिया। हम नहीं जानते क्यों? सूत्रों ने कहा कि पीके कांग्रेस अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के राजनीतिक सचिव बनना चाहते थे। सूत्रों ने कहा, ‘राहुल गांधी ने पहले दिन ही कह दिया था कि पीके नहीं आएंगे, यह पहली बार नहीं है जब उन्हें पार्टी में पद ऑफर किया गया है।’ कुछ लोगों ने कहा कि यह आठवीं बार था जब चुनावी रणनीतिकार के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर बातचीत हुई।
नेताओं को लग रहा था वह भरोसेमंद नहीं
सूत्रों ने कहा कि पीके ने ही अपना प्रजेंटेशन देने के लिए कांग्रेस नेताओं से संपर्क साधा था। राहुल गांधी का मूड भांपकर पीके ने कथिततौर पर प्रियंका गांधी के साथ बैठक पर जोर दिया था। प्रशांत किशोर के प्लान की समीक्षा करने वाले समूह में चिदंबरम भी थे। कमेटी में कई कांग्रेस नेताओं ने उनके प्रस्तावों पर गंभीरता से विचार किया लेकिन वे पीके पर भरोसा नहीं कर पा रहे थे। पीके के प्रस्ताव की समीक्षा करने वाले ग्रुप में शामिल कई नेताओं को लग रहा था कि वह भरोसेमंद नहीं हैं और कांग्रेस के प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करना चाहते थे।
अपने ग्रुप I-PAC से दूरी बनाने और कांग्रेस के साथ अपनी विशिष्टता बनाए रखने को लेकर उठे सवालों पर प्रशांत किशोर ने कहा था कि वह आईपैक के बड़े शेयरहोल्डर नहीं हैं और समूह ऐसा कुछ नहीं करेगा जो वह उसे नहीं करने को कहेंगे।
राहुल बैठक में नहीं आए, विदेश चले गए
प्रशांत किशोर के करीबी सूत्रों ने दावा किया कि उन्हें इस बात पर संदेह था कि कांग्रेस लीडरशिप उनके प्रस्ताव पर विचार करने के लिए कड़े फैसले लेगा। उन्हें लगा कि कांग्रेस और उसका नेतृत्व उनके प्लान के पूरी तरह सपोर्ट में नहीं था। उसी समय राहुल गांधी के विदेश दौरे ने संदेह को गहरा कर दिया। पीके के करीबी सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी कांग्रेस के भीतर बड़े फैसले लेने वाले चुनिंदा लोगों में से हैं और वह इस पहल से दूर ही दिखे। वह मुश्किल से किसी बैठक में शामिल हुए। उन्होंने पहले से निर्धारित अपने विदेश दौरे को तवज्जो दी जबकि पार्टी को लेकर बड़े फैसले के लिए वह इसे स्थगित भी कर सकते थे।
दरअसल, पीके कांग्रेस में अपने लिए सीनियर पोस्ट या कह लीजिए नंबर 2 जैसी हैसियत चाहते थे, जैसे वह नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार और अमरिंदर सिंह के साथ सीधे टच में रहे थे। वह चाहते थे कि सीधे सोनिया गांधी को रिपोर्ट करें और देश की सबसे पुरानी पार्टी को लेकर अपने प्रस्ताव को लागू करने के लिए उन्हें पूरी छूट मिले। हालांकि प्लान फेल हो गया।
एक मौका उन्हें दिया गया था कि आप भी कांग्रेस के यज्ञ में शामिल हो जाइए। पता नहीं, क्या कारण है कि वह इसमें शामिल नहीं हुए। उनके क्या कारण रहे होंगे, वह ही बताएंगे… कांग्रेस पार्टी के खिड़की, दरवाजे खुले रहते हैं। सबकी सलाह सुनते हैं। हम एक जीवंत संगठन हैं… कभी खिड़की, दरवाजे बंद नहीं रखते।
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा
आठ बार PK को कांग्रेस में लाने की कोशिश
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि पीके को कांग्रेस में शामिल होने का प्रस्ताव दो दिन पहले ही दिया गया था और उन्होंने मना कर दिया। हम नहीं जानते क्यों? सूत्रों ने कहा कि पीके कांग्रेस अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के राजनीतिक सचिव बनना चाहते थे। सूत्रों ने कहा, ‘राहुल गांधी ने पहले दिन ही कह दिया था कि पीके नहीं आएंगे, यह पहली बार नहीं है जब उन्हें पार्टी में पद ऑफर किया गया है।’ कुछ लोगों ने कहा कि यह आठवीं बार था जब चुनावी रणनीतिकार के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर बातचीत हुई।
नेताओं को लग रहा था वह भरोसेमंद नहीं
सूत्रों ने कहा कि पीके ने ही अपना प्रजेंटेशन देने के लिए कांग्रेस नेताओं से संपर्क साधा था। राहुल गांधी का मूड भांपकर पीके ने कथिततौर पर प्रियंका गांधी के साथ बैठक पर जोर दिया था। प्रशांत किशोर के प्लान की समीक्षा करने वाले समूह में चिदंबरम भी थे। कमेटी में कई कांग्रेस नेताओं ने उनके प्रस्तावों पर गंभीरता से विचार किया लेकिन वे पीके पर भरोसा नहीं कर पा रहे थे। पीके के प्रस्ताव की समीक्षा करने वाले ग्रुप में शामिल कई नेताओं को लग रहा था कि वह भरोसेमंद नहीं हैं और कांग्रेस के प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करना चाहते थे।
अपने ग्रुप I-PAC से दूरी बनाने और कांग्रेस के साथ अपनी विशिष्टता बनाए रखने को लेकर उठे सवालों पर प्रशांत किशोर ने कहा था कि वह आईपैक के बड़े शेयरहोल्डर नहीं हैं और समूह ऐसा कुछ नहीं करेगा जो वह उसे नहीं करने को कहेंगे।
राहुल बैठक में नहीं आए, विदेश चले गए
प्रशांत किशोर के करीबी सूत्रों ने दावा किया कि उन्हें इस बात पर संदेह था कि कांग्रेस लीडरशिप उनके प्रस्ताव पर विचार करने के लिए कड़े फैसले लेगा। उन्हें लगा कि कांग्रेस और उसका नेतृत्व उनके प्लान के पूरी तरह सपोर्ट में नहीं था। उसी समय राहुल गांधी के विदेश दौरे ने संदेह को गहरा कर दिया। पीके के करीबी सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी कांग्रेस के भीतर बड़े फैसले लेने वाले चुनिंदा लोगों में से हैं और वह इस पहल से दूर ही दिखे। वह मुश्किल से किसी बैठक में शामिल हुए। उन्होंने पहले से निर्धारित अपने विदेश दौरे को तवज्जो दी जबकि पार्टी को लेकर बड़े फैसले के लिए वह इसे स्थगित भी कर सकते थे।
दरअसल, पीके कांग्रेस में अपने लिए सीनियर पोस्ट या कह लीजिए नंबर 2 जैसी हैसियत चाहते थे, जैसे वह नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार और अमरिंदर सिंह के साथ सीधे टच में रहे थे। वह चाहते थे कि सीधे सोनिया गांधी को रिपोर्ट करें और देश की सबसे पुरानी पार्टी को लेकर अपने प्रस्ताव को लागू करने के लिए उन्हें पूरी छूट मिले। हालांकि प्लान फेल हो गया।