Pollution Delhi News: दिल्ली में सांस लेना मतलब जिंदगी के 12 साल कम! यह स्टडी डरा रही है

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Pollution Delhi News: दिल्ली में सांस लेना मतलब जिंदगी के 12 साल कम! यह स्टडी डरा रही है

Pollution Delhi News: दिल्ली में सांस लेना मतलब जिंदगी के 12 साल कम! यह स्टडी डरा रही है

कारण भी समझ लीजिए

अध्ययन में बताया गया है कि डब्ल्यूएचओ की पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की निर्धारित सीमा की स्थिति में होने वाली जीवन प्रत्याशा की तुलना में हवा में मौजूद सूक्ष्म कणों से होने वाला प्रदूषण (पीएम 2.5) औसत भारतीय की जीवन प्रत्याशा को 5.3 वर्ष कम कर देता है। AQLI के अनुसार दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है और अगर प्रदूषण का मौजूदा स्तर बरकरार रहा, तो एक करोड़ 80 लाख लोगों की जीवन प्रत्याशा डब्यूएचओ की निर्धारित सीमा के सापेक्ष औसतन 11.9 साल और राष्ट्रीय दिशानिर्देश के सापेक्ष 8.5 वर्ष कम होने की आशंका है। अध्ययन में कहा गया है, ‘यहां तक कि क्षेत्र के सबसे कम प्रदूषित जिले – पंजाब के पठानकोट – में भी सूक्ष्म कणों का प्रदूषण डब्ल्यूएचओ की सीमा से सात गुना अधिक है और यदि मौजूदा स्तर बरकरार रहता है तो वहां जीवन प्रत्याशा 3.1 साल कम हो सकती है।’

रिपोर्ट में कहा गया है कि कण (पार्टिकुलेट मैटर) प्रदूषण समय के साथ बढ़ा है और 1998 से 2021 तक भारत में औसत वार्षिक कण प्रदूषण 67.7 प्रतिशत बढ़ा, जिससे औसत जीवन प्रत्याशा 2.3 साल कम हो गई। इसमें कहा गया कि 2013 से 2021 तक दुनिया में प्रदूषण वृद्धि में से 59.1 फीसदी के लिए भारत जिम्मेदार था। देश के सबसे प्रदूषित क्षेत्र- उत्तरी मैदानों में अगर प्रदूषण का मौजूदा स्तर बरकरार रहा, तो 52 करोड़ 12 लाख लोग या देश की आबादी के 38.9 प्रतिशत हिस्से की जीवन प्रत्याशा औसतन आठ साल कम होने की आशंका है। स्टडी के मुताबिक इस क्षेत्र में प्रदूषण का कारण संभवत: यह है कि यहां जनसंख्या घनत्व देश के बाकी हिस्सों से लगभग तीन गुना अधिक है यानी यहां गाड़ियां, घर और कृषि स्रोतों से अधिक प्रदूषण होता है।

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अर्थशास्त्र के ‘मिल्टन फ्रीडमैन विशिष्ट सेवा प्रोफेसर’ और अध्ययन में शामिल माइकल ग्रीनस्टोन ने कहा, ‘वायु प्रदूषण का वैश्विक जीवन प्रत्याशा पर तीन-चौथाई प्रभाव केवल छह देशों – बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान, चीन, नाइजीरिया और इंडोनेशिया में पड़ता है, जहां लोग प्रदूषित हवा में सांस लेने के कारण अपने जीवन के एक से 6 साल से ज्यादा समय गंवा देते हैं।’ सरकार ने ‘प्रदूषण के खिलाफ युद्ध छेड़ते हुए’ 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया था। एनसीएपी का लक्ष्य राष्ट्रीय स्तर पर 2017 की तुलना में 2024 तक कण प्रदूषण को 20 से 30 प्रतिशत तक कम करना रखा गया और उन 102 शहरों पर ध्यान केंद्रित किया गया जो भारत के राष्ट्रीय वार्षिक औसत पीएम 2.5 मानक को पूरा नहीं कर रहे थे। सरकार के नए लक्ष्य के अनुसार 2025-26 तक 131 शहरों में प्रदूषण को 2017 की तुलना में 40 प्रतिशत तक कम करना है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर इस संशोधित लक्ष्य को हासिल कर लिया गया, तो इन शहरों के कुल वार्षिक औसत पीएम 2.5 में 2017 की तुलना में 21.9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की कमी आएगी, जिससे इन 131 शहरों में रह रहे नागरिकों की जीवन प्रत्याशा में 2.1 साल का सुधार होगा और पूरे भारत में लोगों की जीवन प्रत्याशा में 7.9 महीने की बढ़ोतरी होगी। इन 131 शहरों में से 38 शहर भारत के उत्तरी मैदानों के हैं।

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