Piyush Mishra Birthday: पीयूष मिश्रा की वो 10 बेहतरीन शायरी, जिसने आम जिंदगी को अल्फाज दिए h3>
पीयूष मिश्रा (Piyush Mishra), एक बेहतरीन ऐक्टर, शानदार सिंगर, गजब के डायरेक्टर और उन सब से इतर एक ऐसे शायर, जिन्होंने उन भावनाओं को अल्फाज दिए, जिसे हम-आप कहना तो चाहते हैं लेकिन शब्दों में पिरो नहीं पाते। पीयूष मिश्रा का जन्म 13 जनवरी 1963 (Piyush Mishra Birthday) को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ। परिवार मिडिल क्लास था। सपने थे। सपनों को पूरा करने के लिए पीयूष मिश्रा ने खूब स्ट्रगल किया। आर्थिक हालत ठीक नहीं थी, तो पूरा परिवार बुआ तारादेवी मिश्रा के घर जाकर रहने लगा। बुआ के कोई संतान नहीं थी। पीयूष को ही उन्होंने अपना बेटा माना। नाम पहले प्रियकांत शर्मा था। जब दसवीं में पढ़ाई कर रहे थे तब नाम बदलकर पीयूष मिश्रा हो गया। पीयूष ने 1983 से 1986 तक नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से ग्रेजुएशन किया।
शराब, शादी और फिर शब्द बनने लगी जुबान
पीयूष मिश्रा ने 20 साल दिल्ली में रहकर थिएटर्स किए। 1995 में पीयूष की शादी तमिल आर्किटेक्ट प्रिया नारायणन से हुई। शराब की लत से परिवार परेशान रहा। पीयूष खुद एक इंटरव्यू में कहते हैं कि शराब तो सिर्फ एक बहाना था, असलियत में वह नैतिक रूप से भ्रष्ट हो चुके थे। न तो पत्नी की चिंता थी और न ही बच्चों की। लेकिन वक्त बदले, जज्बात बदले और पीयूष मिश्रा ने अपने दिल की आवाज को शब्दों का रूप देने में महारथ हासिल कर ली। पेश है, उनकी लिखी और कही गईं वो 10 शायरी, जिसे पढ़कर (10 Best Shayari of Piyush Mishra) आप भी कहीं न कहीं खुद को उनमें ढूंढ़ने लगेंगे।
“अजीब दस्तूर है मोहब्बत का, रुठ कोई जाता है, टूट कोई जाता है।”
“इलाइची के दानों सा मुकद्दर है अपना, महक उतनी ही बिखरी पीसे गए जितना।”
“हल्की-फुल्की सी है जिंदगी, बोझ तो केवल ख्वाहिशों का है।”
“शुक्र करो कि हम दर्द सहते हैं, लिखते नहीं, वरना कागजों पर लफ्जों के जनाजे उठते।”
“कैसे करें हम खुद को तेरे प्यार के काबिल, जब हम आदतें बदलते हैं, तुम शर्तें बदल देती हो।”
“औकात नहीं थी जमाने में जो मेरी कीमत लगा सके, कमबख्त इश्क में क्या गिरे, मुफ्त में नीलाम हो गए।”
“आज मैंने फिर जज्बात भेजे, आज तुमने फिर अल्फाज ही समझे।”
“ख्वाहिशों को जेब में रखकर निकला कीजिए, जनाब, खर्चा बहुत होता है मंजिलों को पाने में।”
“न जाने कब खर्च हो गए पता ही नहीं चला, वो लम्हे जो छुपाकर रखे थे जीने के लिए।”
“दर्द की बारिश में हम अकेले ही थे, जब बरसीं खुशियां, ना जाने भीड़ कहां से आ गई।”
नए वेब शो ‘मत्स्य कांड’ के बहाने पीयूष मिश्रा ने जिंदगी को लेकर दी सीख
पीयूष मिश्रा ने 20 साल दिल्ली में रहकर थिएटर्स किए। 1995 में पीयूष की शादी तमिल आर्किटेक्ट प्रिया नारायणन से हुई। शराब की लत से परिवार परेशान रहा। पीयूष खुद एक इंटरव्यू में कहते हैं कि शराब तो सिर्फ एक बहाना था, असलियत में वह नैतिक रूप से भ्रष्ट हो चुके थे। न तो पत्नी की चिंता थी और न ही बच्चों की। लेकिन वक्त बदले, जज्बात बदले और पीयूष मिश्रा ने अपने दिल की आवाज को शब्दों का रूप देने में महारथ हासिल कर ली। पेश है, उनकी लिखी और कही गईं वो 10 शायरी, जिसे पढ़कर (10 Best Shayari of Piyush Mishra) आप भी कहीं न कहीं खुद को उनमें ढूंढ़ने लगेंगे।
“अजीब दस्तूर है मोहब्बत का, रुठ कोई जाता है, टूट कोई जाता है।”
“इलाइची के दानों सा मुकद्दर है अपना, महक उतनी ही बिखरी पीसे गए जितना।”
“हल्की-फुल्की सी है जिंदगी, बोझ तो केवल ख्वाहिशों का है।”
“शुक्र करो कि हम दर्द सहते हैं, लिखते नहीं, वरना कागजों पर लफ्जों के जनाजे उठते।”
“कैसे करें हम खुद को तेरे प्यार के काबिल, जब हम आदतें बदलते हैं, तुम शर्तें बदल देती हो।”
“औकात नहीं थी जमाने में जो मेरी कीमत लगा सके, कमबख्त इश्क में क्या गिरे, मुफ्त में नीलाम हो गए।”
“आज मैंने फिर जज्बात भेजे, आज तुमने फिर अल्फाज ही समझे।”
“ख्वाहिशों को जेब में रखकर निकला कीजिए, जनाब, खर्चा बहुत होता है मंजिलों को पाने में।”
“न जाने कब खर्च हो गए पता ही नहीं चला, वो लम्हे जो छुपाकर रखे थे जीने के लिए।”
“दर्द की बारिश में हम अकेले ही थे, जब बरसीं खुशियां, ना जाने भीड़ कहां से आ गई।”
नए वेब शो ‘मत्स्य कांड’ के बहाने पीयूष मिश्रा ने जिंदगी को लेकर दी सीख