PHOTO: 123 साल पहले बनी है पटना NIT की बिल्डिंग, तस्वीरें हैरान कर देंगी आपको

21
PHOTO: 123 साल पहले बनी है पटना NIT की बिल्डिंग, तस्वीरें हैरान कर देंगी आपको

PHOTO: 123 साल पहले बनी है पटना NIT की बिल्डिंग, तस्वीरें हैरान कर देंगी आपको


बिल्डिंग की कुछ तस्वीरें हम आपको दिखा रहे हैं। लकड़ी की छत और सीढ़ी आपको दिख जाएगी। इस कॉलेज का नया परिसर बिहटा में प्रस्तावित है। उसका डिजाइन भी नीचे तस्वीरों में देख सकते हैं। बिल्डिंग काफी पुरानी है। आज भी बिल्डिंग को सरकार की ओर से मेंटेन करके रखा गया है।

पटना एनआईटी की शानदार बिल्डिंग

एनआईटी यानी राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान पटना 28 जनवरी 2004 को नाम बदलकर बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग कर दिया गया। एनआईटी पटना 1886 में स्थापित हुआ। एनआईटी पटना भारत का छठा सबसे पुराना इंजीनियरिंग संस्थान बना है। स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम को बाद में 1978 में स्नातकोत्तर स्तर तक बढ़ा दिया गया।

तस्वीरें आज भी मन मोह लेती है

तस्वीरें आज भी मन मोह लेती है

संस्थान को विज्ञान, इंजीनियरिंग प्रौद्योगिकी और मानविकी में उच्च स्तरीय शिक्षा प्रशिक्षण, अनुसंधान और विकास प्रदान करने के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में भी घोषित किया गया है। यह UG (B.Tech), PG (M.Tech) और Ph.D कार्यक्रमों में अपने अनुभवी संकाय के माध्यम से अच्छी तरह से सुसज्जित है। प्रयोगशालाओं के साथ इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के अपने संबंधित क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और मूल्य प्रदान कर रहा है।

बिल्डिंग में लोहे के खंभे लगाये गये हैं

बिल्डिंग में लोहे के खंभे लगाये गये हैं

NIT, पटना का यह भवन 1900 ई में बनकर तैयार हुआ था। इसके बाहर वाले बालकनी के खंभे लोहे के हैं। अभी भी इन खंभों की स्थिति काफी अच्छी है।एनआईटी के छात्र पिछले कई वर्षों से अपनी मेहनत और प्रतिभा के दम पर सफलता का परचम लहराते आ रहे हैं। संस्थान के छात्रों का प्लेसमेंट रिकॉर्ड काफी अच्छा है।

बिल्डिंग अंग्रेजों के जमाने की है

बिल्डिंग अंग्रेजों के जमाने की है

एनआईटी पटना संस्थान गांधी घाट के पीछे पवित्र गंगा नदी के दक्षिण तट पर स्थित है। गांधी घाट गंगा नदी में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अस्थियों के विसर्जन से जुड़ा है। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान पटना को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में घोषित किया गया है और एमएचआरडी, भारत सरकार की ओर से संचालित पूरी तरह स्वायत्त संस्थान है।

बाद के दिनों में होता रहा विकास

बाद के दिनों में होता रहा विकास

बदलते वक्त के साथ एनआईटी कैंपस में बदलाव होते रहे। बिल्डिंग के कई स्ट्रक्चर नये बनाये गये। आज की तारीख में पुरानी बिल्डिंग भी नई जैसी दिखती है। एक बार आप पटना कैंपस का दौरा करते हैं तो कैंपस आपका मन मोह लेगा। एनआईटी पटना ने 1886 में प्लीडर्स सर्वे ट्रेनिंग स्कूल की स्थापना के साथ अपनी शुरुआत की, जिसे बाद में 1924 में बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग पटना में पदोन्नत किया गया। इसने इस संस्थान को भारत का 6वां सबसे पुराना इंजीनियरिंग संस्थान बना दिया।

बिहटा में बनकर तैयार हो रहा एनआईटी का नया कैंपस

बिहटा में बनकर तैयार हो रहा एनआईटी का नया कैंपस

बिहटा में एनआईटी का 125 एकड़ में कैंपस बनाया जाएगा। सीपीडब्ल्यूडी की ओर से ही एनआईटी के कैंपस और भवनों का निर्माण किया जा रहा है। बिहटा में एनआईटी के प्रशासनिक भवन से लेकर अलग-अलग ब्रांचों के विभाग, लैब, वर्कशॉप, रिसर्च सेंटर तथा खेल का मैदान सहित बनाये गये हैं।

क्लासरूम काफी आकर्षक है

क्लासरूम काफी आकर्षक है

नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से कम से कम बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज को डेवलप करने की मांग की थी। उन्तोहोंने कहा था कि अभी यहां 4,500 छात्र पढ़ रहे है और हम चाहेंगे की यहां 9000 बच्चें हो जाए। इस कॉलेज को आगे बढ़ाने के लिए राज्य सरकार से जितना मदद की जरूरत होगी हम करेंगे। पटना का एनआईटी देश में सबसे बड़ा होगा। और जब यह होगा तो हमें बहुत खुशी होगी।

गैलरी की तस्वीरें छात्रों को खींचती है

गैलरी की तस्वीरें छात्रों को खींचती है

नीतीश कुमार जब यहां कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे तब उन्होंने कहा था कि जब पढ़ते थे तब कोई लड़की नहीं पढ़ती थी। पूरे कॉलेज में छात्रों की संख्या मात्र 500 थी। कोई महिला आती थी तो बच्चा के साथ ही शिक्षक भी देखने लगते थे। हमने इंजीनियरिंग और मेडिकल हर क्षेत्र में महिला को आगे आने का मौका दिया है।

लकड़ी के फ्लोर और लकड़ी की सीढ़ी

लकड़ी के फ्लोर और लकड़ी की सीढ़ी

बिल्डिंग मेे लकड़ी के फ्लोर और लकड़ी के छत आज भी आकर्षण का केंद्र है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसी संस्थान से पढ़े हैं। एनआईटी पटना के पूर्ववर्ती छात्र समिति का वार्षिक मिलन समारोह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बार भी सम्मलित हुए। इस बार नीतीश कुमार का एनआईटी कॉलेज में 50 वर्ष पूरे हो जाने पर गोल्डन जुबली वर्ष भी मनाया गया। इस अवसर पर साल 1962-63, 1973 एवं 1992-93 नामांकन बैच के अभियन्ताओं को डायमंड जुबली, गोल्डेल जुबली एवं सिल्वर जुबली सदस्यों के रूप में सम्मानित किया गया।

बिहार की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News