Pakistan Political Crisis: पाकिस्तान में दोहराई जा रही नेपाल वाली कहानी! ओली की चाल हो गई थी फेल, क्या इमरान की गलेगी दाल? h3>
नई दिल्ली: पाकिस्तान (Pakistan) की सियासत के लिए रविवार का दिन खास रहा। पिछले कई दिनों से यह सवाल था कि क्या होगा इमरान की कुर्सी रहेगी या जाएगी। इस सवाल का जवाब मिला भी और नहीं भी। इमरान खान (Imran Khan) की ओर से ऐसा बाउंसर फेंका गया जिसका जवाब वहां की विपक्षी पार्टियां (Pakistan Opposition Parties) खोजने में लगी हैं। इमरान खान राजनीति से पहले क्रिकेट (Cricket) के माहिर खिलाड़ी रहे हैं। क्रिकेट के लिहाज से आज के दिन को देखा जाए तो एक झटके में यह कहा जाएगा कि इमरान ने अंपायर को मिलाकर फैसला अपने हक में करा लिया। वहीं दूसरी ओर विरोधी टीम यानी विपक्ष है जिसको अब फील्ड अंपायर से नहीं बल्कि थर्ड अंपायर के फैसले का इंतजार है। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। यह सब कुछ वैसे ही हो रहा जैसे कुछ समय पहले पड़ोसी देश नेपाल (Nepal) में हुआ था। पाकिस्तान और नेपाल की तुलना राजनीति के लिहाज से नहीं की जा सकती लेकिन नेपाल के तत्कालीन पीएम ओली ने एक चाल चली थी कुछ वैसी ही चाल इमरान ने भी चली है।
पाकिस्तान में अब आगे क्या, चुनाव या आएगा कोई सुप्रीम फैसला
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने प्रधानमंत्री इमरान खान की सलाह पर रविवार को नेशनल असेंबली भंग कर दी। सत्ता बचाने की कवायद में जुटे खान ने इससे कुछ मिनटों पहले उन्हें नए सिरे चुनाव कराने की सलाह दी थी। सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री फारुख हबीब ने कहा कि राष्ट्रपति अल्वी ने प्रधानमंत्री की सलाह पर नेशनल असेंबली भंग कर दी है। उन्होंने कहा कि चुनाव 90 दिनों के भीतर कराए जाएंगे। इससे पहले 342 सदस्यीय संसद में बहुमत गंवा चुके प्रधानमंत्री खान ने नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी द्वारा संसद के हंगामेदार सत्र को स्थगित किए जाने के बाद देश को संबोधित किया।
डिप्टी स्पीकर ने सत्ता बदलने की कोशिश और विदेशी षडयंत्र को नाकाम कर दिया। मुल्क नए चुनावों के लिए तैयार रहे। अविश्वास प्रस्ताव असल में एक विदेशी एजेंडा है।
इमरान खान
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर के विवादास्पद फैसले को विपक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। निचले सदन को भंग किये जाने के उपरांत देश की ताजा राजनीतिक स्थिति का प्रधान न्यायाधीश ने संज्ञान लिया है। प्रधान न्यायाधीश बंदियाल शीर्ष अदालत पहुंचे, जिसे विशेष रूप से रविवार को छुट्टी वाले दिन असामान्य घटनाक्रम के मद्देनजर खोला गया था। सुप्रीम कोर्ट की ओर से सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है और सोमवार इस पर सुनवाई होगी। सवाल इसके बाद खड़े होते हैं कि क्या इमरान खान के साथ कुछ वैसा न हो जाए जैसा नेपाल में ओली के साथ हुआ था। ऐसा हुआ तो पाकिस्तान के इतिहास में भी पहली बार होगा।
क्या थी नेपाल में ओली की चाल, कैसे पड़ गया था दांव उल्टा
दिसंबर 2020 की बात है जब नेपाल के तत्कालीन पीएम ओली को यह पता चल चुका था कि विपक्षी पार्टियों के साथ मिलकर उनका प्रतिद्वंदी धड़ा अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है। इसी कारण उन्होंने आनन-फानन में संसद को भंग करने की सिफारिश कर दी। पार्टी के अंदर से ही विरोध झेल रहे नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने संसद के मौजूदा सदन को भंग करने का फैसला किया। मंत्रिमंडल की तरफ से सदन को भंग करने की औपचारिक सिफारिश राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी को की गई, जिसे उन्होंने मंजूर कर लिया है। राष्ट्रपति ने ऐलान किया है कि चुनाव 30 अप्रैल से 10 मई के बीच दो चरणों में कराए जाएंगे।
जबकि नेपाल के विधान में ही सदन को भंग करने का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में विपक्षी दलों ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के फैसले को पलटते हुए संसद के निचले सदन को बहाल कर दिया है। कोर्ट ने इसके साथ ही सरकार को अगले 13 दिनों के भीतर सदन का सत्र बुलाने का आदेश दिया। नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली विश्वासमत हार गए। प्रधानमंत्री ओली की ओर से पेश विश्वास प्रस्ताव के समर्थन में केवल 93 मत मिले जबकि 124 सदस्यों ने इसके खिलाफ मत दिया। जिस किरकिरी से बचने के लिए ओली ने चाल चली वह कामयाब नहीं हुई और वापस विश्वासमत में सरकार चली गई। इमरान खान के साथ क्या होगा यह अब बहुत हद तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा।
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पाकिस्तान में अब आगे क्या, चुनाव या आएगा कोई सुप्रीम फैसला
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने प्रधानमंत्री इमरान खान की सलाह पर रविवार को नेशनल असेंबली भंग कर दी। सत्ता बचाने की कवायद में जुटे खान ने इससे कुछ मिनटों पहले उन्हें नए सिरे चुनाव कराने की सलाह दी थी। सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री फारुख हबीब ने कहा कि राष्ट्रपति अल्वी ने प्रधानमंत्री की सलाह पर नेशनल असेंबली भंग कर दी है। उन्होंने कहा कि चुनाव 90 दिनों के भीतर कराए जाएंगे। इससे पहले 342 सदस्यीय संसद में बहुमत गंवा चुके प्रधानमंत्री खान ने नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी द्वारा संसद के हंगामेदार सत्र को स्थगित किए जाने के बाद देश को संबोधित किया।
डिप्टी स्पीकर ने सत्ता बदलने की कोशिश और विदेशी षडयंत्र को नाकाम कर दिया। मुल्क नए चुनावों के लिए तैयार रहे। अविश्वास प्रस्ताव असल में एक विदेशी एजेंडा है।
इमरान खान
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर के विवादास्पद फैसले को विपक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। निचले सदन को भंग किये जाने के उपरांत देश की ताजा राजनीतिक स्थिति का प्रधान न्यायाधीश ने संज्ञान लिया है। प्रधान न्यायाधीश बंदियाल शीर्ष अदालत पहुंचे, जिसे विशेष रूप से रविवार को छुट्टी वाले दिन असामान्य घटनाक्रम के मद्देनजर खोला गया था। सुप्रीम कोर्ट की ओर से सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है और सोमवार इस पर सुनवाई होगी। सवाल इसके बाद खड़े होते हैं कि क्या इमरान खान के साथ कुछ वैसा न हो जाए जैसा नेपाल में ओली के साथ हुआ था। ऐसा हुआ तो पाकिस्तान के इतिहास में भी पहली बार होगा।
क्या थी नेपाल में ओली की चाल, कैसे पड़ गया था दांव उल्टा
दिसंबर 2020 की बात है जब नेपाल के तत्कालीन पीएम ओली को यह पता चल चुका था कि विपक्षी पार्टियों के साथ मिलकर उनका प्रतिद्वंदी धड़ा अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है। इसी कारण उन्होंने आनन-फानन में संसद को भंग करने की सिफारिश कर दी। पार्टी के अंदर से ही विरोध झेल रहे नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने संसद के मौजूदा सदन को भंग करने का फैसला किया। मंत्रिमंडल की तरफ से सदन को भंग करने की औपचारिक सिफारिश राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी को की गई, जिसे उन्होंने मंजूर कर लिया है। राष्ट्रपति ने ऐलान किया है कि चुनाव 30 अप्रैल से 10 मई के बीच दो चरणों में कराए जाएंगे।
जबकि नेपाल के विधान में ही सदन को भंग करने का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में विपक्षी दलों ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के फैसले को पलटते हुए संसद के निचले सदन को बहाल कर दिया है। कोर्ट ने इसके साथ ही सरकार को अगले 13 दिनों के भीतर सदन का सत्र बुलाने का आदेश दिया। नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली विश्वासमत हार गए। प्रधानमंत्री ओली की ओर से पेश विश्वास प्रस्ताव के समर्थन में केवल 93 मत मिले जबकि 124 सदस्यों ने इसके खिलाफ मत दिया। जिस किरकिरी से बचने के लिए ओली ने चाल चली वह कामयाब नहीं हुई और वापस विश्वासमत में सरकार चली गई। इमरान खान के साथ क्या होगा यह अब बहुत हद तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा।