Pakistan Political Crisis: अमेरिका और रूस के बीच फंसा पाकिस्तान, अपने ‘दोस्त’ की हालत देख टेंशन में क्यों आ गया चीन

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Pakistan Political Crisis: अमेरिका और रूस के बीच फंसा पाकिस्तान, अपने ‘दोस्त’ की हालत देख टेंशन में क्यों आ गया चीन

Pakistan Political Crisis: अमेरिका और रूस के बीच फंसा पाकिस्तान, अपने ‘दोस्त’ की हालत देख टेंशन में क्यों आ गया चीन

नई दिल्ली:पाकिस्तान में इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर (Imran Khan no-trust Vote) सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद संसद का अहम सत्र शुरू है। पाकिस्तान के इतिहास में इमरान खान ऐसे पहले प्रधानमंत्री होंगे जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव के जरिए (First time in Pakistan’s History) हटाया जा सकता है। इसकी संभावना काफी अधिक है। पाकिस्तान में जो कुछ भी हो रहा है वह सिर्फ वहां की राजनीति की वजह से नहीं हो रहा है। इमरान खान तो यह बात चिल्ला- चिल्ला कर कह रहे हैं। सदन के भीतर तो पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने सीधे-सीधे अमेरिका (America) का नाम ले लिया। वहीं दूसरी ओर विपक्ष जिसके हाथ में सत्ता आने की पूरी संभावना है उसे अमेरिका का करीबी कहा जा रहा है। वहीं इस पूरे घटनाक्रम पर सबसे अधिक चीन (China) की नजर है जो रूस-यूक्रेन की लड़ाई में खुलकर रूस के साथ है। चीन का महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पाकिस्तान में चल रहा है और अमेरिका से उसका छत्तीस का आंकड़ा किसी से छिपा नहीं है। ऐसे में यह तय है कि पाकिस्तान में नई सरकार आने के बाद सबसे अधिक चीन की टेंशन बढ़ने वाली है।

विदेशी साजिश, सदन में अमेरिका का नाम

इमरान खान ने अपनी कुर्सी हिलते देख हाल के दिनों धमकी भरे खत के बारे में बात करनी शुरू कर दी और दावा किया कि उन्हें हटाने की एक विदेशी साजिश रची गई। इमरान खान ने पिछले दिनों राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में अपने उन आरोपों को दोहराया कि एक अमेरिकी राजनयिक ने पाकिस्तान में शासन परिवर्तन की धमकी दी थी। एक पत्र का हवाला दिया और विपक्ष पर निशाना साधते-साधते कहीं और भी निशाना साध रहे थे। लेकिन शनिवार खुलकर पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने नेशनल असेंबली में अमेरिका का नाम लिया।

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पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि मैं पटल पर लाना चाहता हूं कि अमेरिका के NSA ने हमारे NSA को कॉल कर रूस न जाने के लिए कहा। मुझे बताएं कि ऐसा कहां होता है कि एक संप्रभु देश को उसके द्विपक्षीय दौरे से रोका जाए। कुरैशी पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के रूस दौरे के संबंध में यह बात कह रहे थे। इमरान खान के रूस दौरे की काफी चर्चा थी। रूस- यूक्रेन की लड़ाई का असर वहां से दूर एशिया के इस मुल्क पर पड़ता साफ दिख रहा है।

पाकिस्तान में नई सरकार, टेंशन में चीन

पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष और नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता 70 वर्षीय शहबाज शरीफ, जो नए प्रधानमंत्री के लिए विपक्ष के उम्मीदवार हैं और संभावना है कि वह पाकिस्तान के अगले पीएम होंगे। पाकिस्तान की आर्मी जिसका रोल वहां की राजनीति में शुरू से ही काफी अहम रहा है और नई सरकार में भी उसका दखल होगा। उस आर्मी के चीफ ने यूक्रेन पर रूस के हमले को त्रासदी बताया है और इमरान खान के बयान से अलग बयान इस मसले पर दिया। इस बयान को अमेरिका-पाकिस्तान के संबंधों और नई कूटनीति से जोड़कर देखा गया। नई सरकार जो सत्ता संभालेगी उस पर चीन की भी पूरी नजर है और उसकी ओर से काफी संभलकर बयान जारी किया गया है।

चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि बदलती राजनीतिक स्थिति इस्लामाबाद के साथ बीजिंग के करीबी संबंधों को प्रभावित नहीं कर सकती है। चीन हमेशा दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने के सिद्धांत का पालन करता है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाओ लिजियान ने कहा कि चीन और पाकिस्तान सदाबहार रणनीतिक साझेदार हैं। इतिहास ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि चाहे अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य कैसा भी हो और घरेलू हालात बदल जाएं, चीन और पाकिस्तान के संबंध हमेशा अटूट और मजबूत रहेंगे।

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चीन ने पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को अटूट और मजबूत बताते हुए कि इस्लामाबाद में बढ़ते राजनीतिक संकट से सदाबहार सहयोगी के साथ 60 अरब डॉलर वाली सीपीईसी परियोजनाओं पर समग्र सहयोग प्रभावित नहीं होगा। बलूचिस्तान प्रांत में पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिनजियांग से जोड़ने वाले 60 अरब डॉलर के सीपीईसी के तहत चीन कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का निर्माण कर रहा है। पूरे हालात को देखकर यह कहा जा सकता है कि चीन को पाकिस्तान के राजनीतिक हालात से ज्यादा चिंता अमेरिका के कदम की है।

रूस-चीन-इमरान की तिकड़ी में अमेरिका की एंट्री

यह बात किसी से छिपी नहीं है कि एक ओर अमेरिका है तो दूसरी और चीन और रूस। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद रूस और अमेरिका आमने-सामने हैं तो वहीं चीन और अमेरिका के बीच लंबे समय से तनातनी जारी है। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद चीन का उसे पूरा समर्थन हासिल है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा में UNHRC से रूस के बाहर करने के लिए हुई वोटिंग में रूस के पक्ष में चीन पूरी तरह साथ खड़ा नजर आया। वहीं इमरान खान भी रूस और चीन के साथ पूरी तरह खड़े नजर आए और यह अब खुलकर कहा जा रहा है कि अमेरिका की वजह से ऐसा हुआ।

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वहीं रूस की ओर से जारी बयान में कहा गया कि पाकिस्तान के हालिया राजनीतिक घटनाक्रम में अमेरिका ने न केवल पाकिस्तान के अंदरूनी मामलों में दखल देने की कोशिश की साथ ही इमरान खान को भी सबक सिखाने की कोशिश की। रूस की ओर से इमरान खान के मॉस्को दौरा को लेकर और कई बातें कही गई। पाकिस्तान में नई सरकार बनने के बाद अमेरिका की पूरी कोशिश रहेगी कि वो अपने पाले में पाकिस्तान को रखे और सेना के बयान से ऐसे संकेत मिलने भी शुरू हो गए हैं।



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