Pakistan News : जनरल बाजवा का वह ‘इंडिया डॉक्ट्रिन’, जिस पर इमरान खान के जाते ही जुट जाएगी पाक सेना

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Pakistan News : जनरल बाजवा का वह ‘इंडिया डॉक्ट्रिन’, जिस पर इमरान खान के जाते ही जुट जाएगी पाक सेना

Pakistan News : जनरल बाजवा का वह ‘इंडिया डॉक्ट्रिन’, जिस पर इमरान खान के जाते ही जुट जाएगी पाक सेना

नई दिल्ली: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) के लिए मुश्किल वक्त चल रहा है। अर्थव्यवस्था का बुरा हाल है, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार चरम पर है, विदेश नीति लड़खड़ा रही है और इस कारण आवाम में भारी गुस्सा है। उग्र प्रदर्शन हुए हैं और अब नैशनल असेंबली में इमरान की किस्मत का फैसला विश्वास मत पर टिका हुआ है। पाकिस्तान में काम कर चुके आईबी के पूर्व अधिकारी अविनाश मोहनानी ने पाकिस्तान के हालात पर एक लेख लिखा है। हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स में उन्होंने लिखा कि जनता में गुस्सा फैलने के चलते विपक्षी दलों के गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (PDM) ने इमरान सरकार को हटाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। इसी गठबंधन ने पाकिस्तान की संसद में अविश्वास प्रस्ताव रखा है। PDM साल 2020 से ही इमरान सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए अभियान चला रहा है।

बस 10 मिले, तो इमरान सरकार गिर जाएगी
विपक्षी गठबंधन के पास नैशनल असेंबली में 172 के जादुई आंकड़े को छूने के लिए केवल 10 सदस्यों की जरूरत है। अगर ये 10 सदस्य उसे मिल जाते हैं तो सरकार गिर जाएगी। मोहनानी लिखते हैं कि पीडीएम लगातार इमरान खान के करीबी सहयोगियों पाकिस्तान मुस्लिम लीग-क्यू (4 सदस्य) और मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (7 सदस्य) समेत कुछ निर्दलीयों के संपर्क में है। इमरान की मुश्किल यहीं पर खत्म नहीं होती। उनकी अपनी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के एक दर्जन से ज्यादा सदस्य नाराज चल रहे हैं और वे सरकार के खिलाफ वोट कर सकते हैं। दरअसल, ये सभी सदस्य इमरान के खिलाफ वोट देने से पहले डीजी आईएसआई के फोन कॉल का इंतजार कर रहे हैं।

इमरान को खल रही हमीद की कमी
ऐसी मुश्किल परिस्थिति में इमरान खान को निश्चित तौर पर पूर्व डीजी आईएसआई लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद की कमी खल रही होगी, जिन्होंने विरोधियों के प्रहार से बचाने में उनकी मदद की थी। हमीद को उम्मीद थी कि मौजूदा आर्मी चीफ के विस्तारित कार्यकाल के समाप्त होने पर इमरान उन्हें अगला सेना प्रमुख बनाएंगे। इमरान ने उनका तबादला कर आईएसआई के चीफ से पेशावर का कोर कमांडर बना दिया। इमरान के इस फैसले ने ताबूत में आखिरी कील ठोक दी और सेना की नाराजगी मोल ले ली। हालांकि यह एक वजह नहीं है जिसके कारण सेना उन्हें हटाना चाहती है।

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…तो पाक फौज की ये है सबसे बड़ी टेंशन
पाकिस्तान की सेना को लग रहा है कि इमरान सरकार की नाकामी से जनता की नजरों में उसकी छवि खराब हो जाएगी। लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज में एक कार्यक्रम के दौरान 14 मार्च को पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल बाजवा ने कहा था, ‘… आपको पता नहीं है कि इमरान खान कौन हैं।’ इससे यह संकेत मिलने लगा था कि सेना और सरकार के बीच सबकुछ ठीक नहीं है।

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बुशरा बीबी के चक्कर में इमरान की प्रतिष्ठा खराब!
दरअसल, पाक फौज को लगता है कि इमरान को उन मुद्दों की कम समझ है जिसका सामना पाकिस्तान को करना पड़ रहा है और वह केवल धार्मिकता के आधार पर साधारण समाधान ही खोज पाते हैं। पाक फौज के इस तरह का नजरिया बनाने की अपनी वजह है। दरअसल, ऐसी खबरें आई हैं कि इमरान के महत्वपूर्ण फैसले के पीछे उनकी पत्नी का जादू-टोना आधार बनता है। हाल में विपक्ष ने भी आरोप लगाया था कि खुद को पीर बताने वाली बुशरा बीबी इमरान खान के घर बनी गाला में मुर्गे जलाकर जिन्‍नों को खुश कर रही हैं। बुशरा बीबी ऊर्फ पिंकी पीर इमरान खान की पार्टी में ‘गॉडमदर’ का दर्जा रखती हैं।

इसके अलावा सेना पाक पंजाब के मुख्यमंत्री उसमान बुजदार को हटाना चाहती थी। हाल में उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव के डर से इस्तीफा दे दिया। सेना की नजर में वह भ्रष्ट और पद संभालने के योग्य नहीं हैं। पाक पंजाब वही प्रांत है जहां से सेना में 70 फीसदी भर्तियां होती हैं।
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इमरान ने चीन, अमेरिका, सऊदी सबको नाराज किया
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखें तो इमरान खान ने चीन, अमेरिका और सऊदी अरब के साथ पाकिस्तान के संबंधों को खराब कर दिया जबकि तीनों उसके लिए काफी महत्वपूर्ण थे। चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे से संबंधित इमरान के फैसले से चीन नाराज है। समझा जाता है कि चीनी कंपनियों ने उस समय नेताओं को घूस दिया था। अब इमरान उसकी फाइलें खोल रहे हैं। इतना ही नहीं, चीन पाकिस्तान से इसलिए भी नाराज है क्योंकि वह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से लोन लेने के लिए सभी CPEC कॉन्ट्रैक्ट की जानकारी दे रहा है।

उधर, सऊदी अरब इसलिए नाराज हो गया क्योंकि इमरान खान ने तुर्की और मलेशिया की मदद से मुस्लिम देशों का एक अलग समूह बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें पाकिस्तान ने ईरान को शामिल करने का प्लान बनाया है जो सऊदी का धुर विरोधी है। दरअसल, इमरान को लगता है कि सऊदी के प्रभाव वाला OIC कश्मीर मसले पर पाकिस्तान के रवैये को सपोर्ट नहीं कर रहा है। इमरान ने एक गलती नहीं की। उन्होंने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों के निकलने के बाद कुछ ऐसे बेवजह बयान दिए जिससे बाइडन प्रशासन नाराज हो गया। हाल में उन्होंने पाकिस्तान में मौजूद यूरोपीय संघ के 22 राजदूतों पर भी बरस पड़े। जनसभा में उन्होंने यह बात कही कि यूरोपीय संघ के राजदूत उनसे यूक्रेन के खिलाफ रूस के हमले की निंदा करने को कह रहे हैं।

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सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इमरान खान ने जनरल बाजवा या सेना के उस विजन को नहीं माना जिसके तहत कश्मीर मसले को रोकते हुए पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए भारत के साथ संबंधों को सामान्य बनाया जाए। 24-25 फरवरी 2021 को एलओसी और जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के सीजफायर पर सहमत होने के बाद जनरल बाजवा का बयान आया था। इसके बाद पाकिस्तान की सरकार के कॉटन और चीनी भारत से आयात करने की कोशिशों में इमरान ने अड़चन पैदा कर दी। कैबिनेट मीटिंग में इमरान ने कह दिया कि जब तक जम्मू-कश्मीर में पुरानी स्थिति बहाल नहीं होती है, भारत के साथ कारोबार बहाल नहीं किया जाएगा।

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ऐसा लगता है कि इमरान खान ने यह रुख इसलिए अपनाया जिससे वह लोकप्रियता बटोर सकें और अगले लोकसभा चुनाव में वापसी कर सकें। वह लगातार पाकिस्तान को रियासत-ए-मदीना बनाने की बातें करते आ रहे हैं, हो सकता है इससे धार्मिक तबका खुश हो जाए लेकिन एक बड़ी आबादी दो जून की रोटी के लिए संघर्ष कर रही है और वह इस तरह के ऐलान से खुश नहीं होने वाली। अमेरिका और यूरोपीय संघ के खिलाफ उनका सख्त रुख सेना और बिजनस समुदाय को पसंद नहीं आया। पाकिस्तान के कारोबारी अपना सामान यूरोपीय देशों को निर्यात करते हैं और उन्हें तवज्जो भी मिलती है। उन्हें आयात शुल्क नहीं देना होता।

अगर इमरान अविश्वास प्रस्ताव हार जाते हैं तो PDM की तरफ से शाहबाज शरीफ अगले प्रधानमंत्री बन सकते हैं। सेना अपने प्रभाव को फिर से बढ़ाएगी। ऐसे में भारत पर बाजवा डॉक्ट्रिन पर काम होगा। वैसे भी, आर्थिक तरक्की के लिए दोनों देशों के हित में यह होगा कि वे किसी भी मौके को न गंवाएं। आजादी के 75 साल बाद क्षेत्र के लोगों को शांति के साथ खुशहाली की तरफ जाने का पूरा अवसर मिलना चाहिए।

क्या है बाजवा डॉक्ट्रीन
दरअसल, जनरल बाजवा पाकिस्तान के अब तक के आर्मी चीफ की तुलना में भारत के संबंध में नरम रुख के लिए जाने जाते हैं। उनका मानना है कि क्षेत्र में पड़ोसी देश से संबंध अच्छे होने चाहिए जिससे आर्थिक तरक्की हासिल की जा सके। उन्होंने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को क्षेत्र की सुरक्षा से जोड़ा है। उन्होंने कहा है कि इन दोनों को अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता। बाजवा कहते रहे हैं कि भारत और पाकिस्तान में विवाद को सुलझाने का एकमात्र तरीका बातचीत है।



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