Opinion: ‘मुफ्त’ के वादे तो सभी कर रहे, पर सारे राजनीतिक दल कामयाबी में क्यों पिछड़ जा रहे? h3>
ओमप्रकाश अश्क, पटना। चुनावों में जीत सुनिश्चित करने के लिए राज्यों में फ्री बिजली देने, कर्ज माफी और पुरानी पेंशन योजना जैसे आकर्षक वादे राजनीतिक पार्टियां करने में अब पीछे रहना नहीं चाहतीं। दिल्ली में आम आदमी पार्टी को सत्ता ऐसे ही मुफ्त के वादों से मिली थी। उसके बाद तो यह सिलसिला ही चल पड़ा है। ऐसे वादे करने की राज्यों में होड़ लगी हुई है। साल 2014 के बाद से तो तकरीबन सभी गैर भाजपा शासित राज्यों में एक दूसरे से आगे निकलने की हड़बड़ी साफ दिखाई देती है। राज्यों पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है, पर इसकी चिंता कोई नहीं कर रहा। पहले तो यह बीमारी सिर्फ गैर भाजपा शासित राज्यों तक ही सीमित थी, पर इस बार तो मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने भी इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रख कर मुफ्त की दुकान खोल दी है। ऐसे वादों का तात्कालिक लाभ भले मिल जाए, पर इसके दूरगामी परिणाम भयावह हो सकते हैं।
मुफ्तखोरी का असर- तीन साल में 28 राज्यों की देनदारी 43 प्रतिशत बढ़ी
बजट सत्र के दौरान वित्त मंत्रालय ने जो आंकड़े जारी किए थे, उसके अध्ययन से पता चलता है कि मार्च 2020 से मार्च 2023 तक यानी तीन साल में 28 राज्यों की बकाया देनदारी 43प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है। मसलन राज्यों की बकाया देनदारियां 75 लाख करोड़ रुपये तक हो जाएंगी। मार्च 2020 में देनदारी 52 लाख करोड़ रुपये थी। मार्च 2021 तक राज्यों पर कर्ज की रकम 69.47 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई। कृषि ऋण माफी, मुफ्त की बिजली या ऐसे लोकलुभावन वादों को पूरा करने के लिए राज्य सरकारों को कर्ज लेकर अपनी जरूरतें पूरी करनी पड़ रही हैं। ऐसे ही मुफ्त के वादों के साथ कांग्रेस ने कर्नाटक में सरकार बना ली। अब जरा कर्नाटक की माली हालत जान लीजिए। पहले से ही साढ़े पांच लाख करोड़ रुपये के कर्ज में कर्नाटक डूबा हुआ है।
कर्नाटक में तो सबने मुफ्त के वादे किए, पर कामयाबी कांग्रेस को मिली
इसी साल हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने हर परिवार को 200 यूनिट मुफ्त बिजली और घर की मुखिया महिला को महीने के दो हजार रुपये देने की बात की। इसके अलावा बीपीएल परिवारों को हर महीने 10 किलो मुफ्त चावल और बेरोजगार युवाओं को 1500 से 3000 रुपये बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया तो उसे जबरदस्त कामयाबी मिली। हालांकि इस तरह के वादे करने में बीजेपी भी पीछे नहीं थी। बीजेपी ने अपने मैनिफेस्टो में वादा किया कि अनुसूचित जाति (एसी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) परिवारों को 10 हजार रुपये की फिक्स्ड डिपोजिट पांच साल के लिए कराएगी। गरीब परिवारों को साल में तीन गैस सिलेंडर मुफ्त देगी। रोजाना आधा लीटर दूध देगी। मासिक पांच किलो चावल और बाजरा भी मुफ्त दिया जाएगा। मुफ्त के वादे में कुमार स्वामी की पार्टी जेडीएस भी पीछे नहीं थी। जेडीएस ने वादा किया कि गर्भवती महिलाओं को 6 महीने तक 6 हजार रुपये दिए जाएंगे तो विधवाओं को 2500 रुपये की सहायता दी जाएगी। जेडीएस ने बीजेपी से एक कदम आगे बढ़ कर साल में 5 फ्री गैस सिलेंडर देने का वादा किया था। किसान पुत्र से लड़की की शादी होने पर उसे दो लाख रुपये की सब्सिडी देने की बात भी जेडीएस ने कही थी। आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली की परंपरा बरकरार रखते हुए 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली का वादा किया। छात्रों के लिए शहरों में मुफ्त बस यात्रा और 3000 रुपये का बेरोजगारी भत्ता देने की बात कही थी।
दिल्ली, पंजाब, हिमाचल, कर्नाटक के बाद अब एमपी में फ्री के वादे
हिमाचल प्रदेश में जब विधानसभा के चुनाव हुए तो कांग्रेस ने जनता से 10 ऐसे वादे किए, जो किसी को भी लुभा सकता है। कांग्रेस का सबसे आकर्षक वादा था पुरानी पेंशन योजना की बहाली का। आम जनता के लिए 300 यूनिट तक बिजली फ्री करने का वादा भी कांग्रेस ने किया था। हिमाचल में कांग्रेस के अलावा प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी ने वायदों का ऐसा कोई आकर्षक पैकेज आफर नहीं किया। कांग्रेस वहां जीत गई तो लोगों ने यही माना कि मुफ्त का असर है। दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक के बाद अब मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने हैं। हिमाचल और कर्नाटक में मुफ्त की रेवड़ियां बांटने के वादे का सुफल देख कर कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में भी वही पैटर्न रिपीट करने की तैयारी की है। औपचारिक मैनिफेस्टो पार्टी बाद में जारी करेगी, लेकिन पहले ही उसने मिनी मैनिफेस्टो जारी कर दिया है। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा है कि सत्ता मिली तो 500 रुपये में गैस सिलिंडेर देंगे। कांग्रेस की सरकार बनते ही महिलाओं को 1500 रुपये दिए जाएंगे। कमलनाथ पहले ही कह चुके हैं कि सरकार बनते ही पुरानी पेंशन योजना लागू की जाएगी। किसानों के कर्ज माफ करने की तो कांग्रेस पक्की गारंटी दे रही है।
सब मुफ्त बांट रहे, फिर बीजेपी क्यों पीछे रहेगी, एमपी में दरियादिली
बीजेपी ने भी अब समझ लिया है कि ‘मुफ्त’ के बिना चुनावी जंग जीतना अब आसान नहीं है। मध्यप्रदेश में अभी शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली बीजेपी की सरकार है। हाल ही में सीएम चौहान ने महिलाओं के लिए लाडली बहना योजना शुरू की है। इस योजना के तहत महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपये मिलेंगे। पीएम किसान कल्याण योजना और सीएम किसान कल्याण योजना के तहत पहले से ही किसानों को सालाना 10 हजार रुपये मिल रहे हैं। मध्य प्रदेश में गरीबों को मुख्यमंत्री भू-आवासीय अधिकार योजना के तहत मुफ्त प्लाट भी मिल रहा है। गरीबों को मुफ्त में राशन तो कोविड काल से ही मिल रहा है। महाराष्ट्र में बीजेपी की गठबंधन वाली सरकार ने भी किसानों को अतिरिक्त लाभ दिया है।
(ये लेखक के निजी विचार हैं)
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मुफ्तखोरी का असर- तीन साल में 28 राज्यों की देनदारी 43 प्रतिशत बढ़ी
बजट सत्र के दौरान वित्त मंत्रालय ने जो आंकड़े जारी किए थे, उसके अध्ययन से पता चलता है कि मार्च 2020 से मार्च 2023 तक यानी तीन साल में 28 राज्यों की बकाया देनदारी 43प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है। मसलन राज्यों की बकाया देनदारियां 75 लाख करोड़ रुपये तक हो जाएंगी। मार्च 2020 में देनदारी 52 लाख करोड़ रुपये थी। मार्च 2021 तक राज्यों पर कर्ज की रकम 69.47 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई। कृषि ऋण माफी, मुफ्त की बिजली या ऐसे लोकलुभावन वादों को पूरा करने के लिए राज्य सरकारों को कर्ज लेकर अपनी जरूरतें पूरी करनी पड़ रही हैं। ऐसे ही मुफ्त के वादों के साथ कांग्रेस ने कर्नाटक में सरकार बना ली। अब जरा कर्नाटक की माली हालत जान लीजिए। पहले से ही साढ़े पांच लाख करोड़ रुपये के कर्ज में कर्नाटक डूबा हुआ है।
कर्नाटक में तो सबने मुफ्त के वादे किए, पर कामयाबी कांग्रेस को मिली
इसी साल हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने हर परिवार को 200 यूनिट मुफ्त बिजली और घर की मुखिया महिला को महीने के दो हजार रुपये देने की बात की। इसके अलावा बीपीएल परिवारों को हर महीने 10 किलो मुफ्त चावल और बेरोजगार युवाओं को 1500 से 3000 रुपये बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया तो उसे जबरदस्त कामयाबी मिली। हालांकि इस तरह के वादे करने में बीजेपी भी पीछे नहीं थी। बीजेपी ने अपने मैनिफेस्टो में वादा किया कि अनुसूचित जाति (एसी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) परिवारों को 10 हजार रुपये की फिक्स्ड डिपोजिट पांच साल के लिए कराएगी। गरीब परिवारों को साल में तीन गैस सिलेंडर मुफ्त देगी। रोजाना आधा लीटर दूध देगी। मासिक पांच किलो चावल और बाजरा भी मुफ्त दिया जाएगा। मुफ्त के वादे में कुमार स्वामी की पार्टी जेडीएस भी पीछे नहीं थी। जेडीएस ने वादा किया कि गर्भवती महिलाओं को 6 महीने तक 6 हजार रुपये दिए जाएंगे तो विधवाओं को 2500 रुपये की सहायता दी जाएगी। जेडीएस ने बीजेपी से एक कदम आगे बढ़ कर साल में 5 फ्री गैस सिलेंडर देने का वादा किया था। किसान पुत्र से लड़की की शादी होने पर उसे दो लाख रुपये की सब्सिडी देने की बात भी जेडीएस ने कही थी। आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली की परंपरा बरकरार रखते हुए 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली का वादा किया। छात्रों के लिए शहरों में मुफ्त बस यात्रा और 3000 रुपये का बेरोजगारी भत्ता देने की बात कही थी।
दिल्ली, पंजाब, हिमाचल, कर्नाटक के बाद अब एमपी में फ्री के वादे
हिमाचल प्रदेश में जब विधानसभा के चुनाव हुए तो कांग्रेस ने जनता से 10 ऐसे वादे किए, जो किसी को भी लुभा सकता है। कांग्रेस का सबसे आकर्षक वादा था पुरानी पेंशन योजना की बहाली का। आम जनता के लिए 300 यूनिट तक बिजली फ्री करने का वादा भी कांग्रेस ने किया था। हिमाचल में कांग्रेस के अलावा प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी ने वायदों का ऐसा कोई आकर्षक पैकेज आफर नहीं किया। कांग्रेस वहां जीत गई तो लोगों ने यही माना कि मुफ्त का असर है। दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक के बाद अब मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने हैं। हिमाचल और कर्नाटक में मुफ्त की रेवड़ियां बांटने के वादे का सुफल देख कर कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में भी वही पैटर्न रिपीट करने की तैयारी की है। औपचारिक मैनिफेस्टो पार्टी बाद में जारी करेगी, लेकिन पहले ही उसने मिनी मैनिफेस्टो जारी कर दिया है। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा है कि सत्ता मिली तो 500 रुपये में गैस सिलिंडेर देंगे। कांग्रेस की सरकार बनते ही महिलाओं को 1500 रुपये दिए जाएंगे। कमलनाथ पहले ही कह चुके हैं कि सरकार बनते ही पुरानी पेंशन योजना लागू की जाएगी। किसानों के कर्ज माफ करने की तो कांग्रेस पक्की गारंटी दे रही है।
सब मुफ्त बांट रहे, फिर बीजेपी क्यों पीछे रहेगी, एमपी में दरियादिली
बीजेपी ने भी अब समझ लिया है कि ‘मुफ्त’ के बिना चुनावी जंग जीतना अब आसान नहीं है। मध्यप्रदेश में अभी शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली बीजेपी की सरकार है। हाल ही में सीएम चौहान ने महिलाओं के लिए लाडली बहना योजना शुरू की है। इस योजना के तहत महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपये मिलेंगे। पीएम किसान कल्याण योजना और सीएम किसान कल्याण योजना के तहत पहले से ही किसानों को सालाना 10 हजार रुपये मिल रहे हैं। मध्य प्रदेश में गरीबों को मुख्यमंत्री भू-आवासीय अधिकार योजना के तहत मुफ्त प्लाट भी मिल रहा है। गरीबों को मुफ्त में राशन तो कोविड काल से ही मिल रहा है। महाराष्ट्र में बीजेपी की गठबंधन वाली सरकार ने भी किसानों को अतिरिक्त लाभ दिया है।
(ये लेखक के निजी विचार हैं)