One Nation One DNA का संदेश, स्नेह सम्मेलन… West UP को लेकर BJP की तैयारी, क्या मुस्लिम वोट बैंक में होगी सेंधमारी?
स्नेह सम्मेलन के आयोजन की यह योजना मुस्लिम वोट बैंक को भाजपा की तरफ आकर्षित करने की है। पार्टी सपा के कोर वोट बैंक माय (मुस्लिम+यादव) में सेंधमारी की कोशिश करती दिख रही है। यूपी चुनाव 2022 में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के गठबंधन के कारण भाजपा को इस इलाके में कड़ा मुकाबला का सामना करना पड़ा। इन सम्मेलनों के जरिए पार्टी खुद को मुस्लिम वोट बैंक के करीब दिखाने की कोशिश कर रही है। इसके कई मायने और मतलब भी निकाले जाने लगे हैं।
भाजपा का प्रयास तो सपा भी करेगी कोशिश
भारतीय जनता पार्टी के माय समीकरण में सेंधमारी की कोशिशों के बाद समाजवादी पार्टी के भी इस इलाके में एक्टिव होने की संभावना है। सपा किसी भी स्थिति में अपने जमे जमाए वोट बैंक में सेंधमारी होते नहीं देखना चाहेगी। मुस्लिम वोट बैंक को बचाए रखने के लिए सपा की होने वाली तमाम कोशिशों को भाजपा क्षेत्र में एक मुद्दे के रूप में भुना सकती है। ऐसे में इस स्नेह सम्मेलन का आयोजन भाजपा के दोनों हाथ में लड्डू के समान है। एक तरफ पार्टी उस वोट बैंक के करीब खुद को खड़ा करने की कोशिश करती दिख रही है, जिसको हमेशा भाजपा के बारे में एक अलग ही बात समझाई गई है। इस वर्ग में अन्य राजनीतिक दल भाजपा को अछूत साबित करते रहे हैं।
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पहले ही ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ का नारा देकर हर वर्ग को जोड़ने की कोशिश करती दिखी है। वहीं, योगी सरकार ने भी अल्पसंख्यकों के लिए योजनाएं तैयार की हैं। सरकारी योजनाओं में भेदभाव न किए जाने की बात स्नेह सम्मेलन के जरिए मुस्लिम वोट बैंक तक पहुंचाने की तैयारी है।
मुजफ्फरनगर से ही क्यों शुरुआत?
मुजफ्फरनगर में ठीक है एक दशक पहले वर्ष 2013 में भीषण दंगे हुए थे। इन दंगों के बाद भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी पर जोरदार हमला बोला था। पार्टी तब जाट समुदाय के साथ खड़ी दिखी थी। हालांकि, पिछले 10 वर्षों में कई बड़े मामले सामने आए। वर्ष 2019 के आम चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन ने क्षेत्र के समीकरण को बदला। किसान आंदोलन के बाद स्थिति में बड़ा बदलाव भी दिखा। ऐसे में मुजफ्फरनगर से स्नेह सम्मेलन की शुरुआत की घोषणा ने सवाल शुरू कर दिए हैं कि आखिर यहीं से इसकी क्यों शुरुआत हो रही है? यूपी भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष कुंवर बासित अली इसका जवाब देते हैं। वे कहते हैं कि हम मुस्लिम बहुल इलाके में इस तरह के कार्यक्रम की योजना तैयार कर रहे हैं।
बकौल कुंवर बासित अली, हमारी योजना संदेश को पूरे जोरदार और स्पष्ट तरीके से आम जनमानस तक पहुंचाने की है। मुजफ्फरनगर चौधरी चरण सिंह की भूमि है। उन्होंने जाट और मुस्लिम में एकता पर काम किया। समाजवादी पार्टी ने इस समीकरण को बाद में खूब भुनाया, लेकिन विभाजन की रेखा भी खींच दी। भाजपा की कोशिश तमाम वर्गों में विभाजन की रेखा को पाटकर एकता की कोशिश की है।
पश्चिमी यूपी की 14 सीटों पर पार्टी की नजर
लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भारतीय जनता पार्टी सपा-आरएलडी गठबंधन के बाद बने नए राजनीतिक समीकरण में सेंधमारी की कोशिशों में जुटी है। मुस्लिम मतदाताओं को अपनी तरफ आकर्षित किया जाना इसी की एक कड़ी माना जा रहा है। दरअसल, लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा ने पश्चिमी यूपी की सभी 14 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। 5 साल बाद 2019 में हुए चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन ने इस में से 6 सीटों पर जीत दर्ज की। भाजपा 8 सीटें ही जीत पाई। बसपा के पाले में नगीना, अमरोहा, बिजनौर और सहारनपुर लोकसभा सीटें गईं। वहीं, समाजवादी पार्टी ने मुरादाबाद और संभल लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की थी। इससे 2 साल पहले यूपी चुनाव 2017 में पश्चिमी यूपी के 24 जिलों की 126 सीटों में से 100 सीटें भाजपा के पाले में गई थी।
5 साल बाद हुए यूपी चुनाव 2022 में भाजपा ने इलाके की 85 सीटों पर ही दर्ज की। विपक्षी दलों के खाते में 41 सीटें गईं। भाजपा की कोशिश वापस सभी 14 सीटों पर जीत दर्ज करने की है। इसके लिए तमाम राजनीतिक और सामाजिक समीकरणों को साधने की कोशिश की जा रही है। स्नेह सम्मेलन का आयोजन इसी कड़ी का हिस्सा है जो अगले माह से शुरू होने वाला है। इस प्रकार के करीब 12 कार्यक्रमों का आयोजन इस इलाके में किया जाएगा।