एक क्लिक में पढ़िये, आरूषि-हेमराज हत्याकांड की कहानी

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एक क्लिक में पढ़िये, आरूषि-हेमराज हत्याकांड की कहानी
एक क्लिक में पढ़िये, आरूषि-हेमराज हत्याकांड की कहानी

दिल्ली से सटे नोएडा में 9 साल पहले एक मर्डर हुआ था, मर्डर ने पूरे देश को झकझोंर कर रख दिया था। जी हाँ, आज तक इस मर्डर की कहानी सुलझ नहीं पाई है। ऐसा नहीं है कि केस की जांच नहीं हुई या फिर मामलें को हल्के में लिया गया बल्कि मामलें को पूरी गंभीरता से लिया गया था, लेकिन आज से 9 साल पहले उठा वो सवाल आज भी बरकरार है कि आरूषि और हेमराज का कातिल कौन है? आइये एक नजर में पढ़ते है पूरी कहानी….

16 मई 2008 को आरूषि की लाश उसके ही बेडरूम में मिलती है, जिसके बाद पूरा देश सदमें में आ गया था। जी हाँ, आरूषि का मर्डर उसके ही घर में हुआ था, लेकिन घरवालों को कुछ पता ही नहीं चला। इतना ही नहीं उसी रात को घर के नौकर की भी हत्या हो गई थी, लेकिन उसकी लाश छत पर अगले दिन मिलती है।

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हत्या के आरोप में आरूषि के पिता को 23 मई 2008 को गिरफ्तार कर लिया गया था, जिसके बाद सीबीआई ने मामला अपने हाथ में लिया।

मामले में आये थे कुछ ऐसे यू-टर्न…

जब सीबीआई ने आरूषि के पिता को गिरफ्तार कर लिया था तो जुलाई में डासना जेल से आरूषि के पिता को जमानत मिल गई थी। जिसके बाद मामला कुछ यूं हुआ कि कृष्णा, राजकुमार और विजय मंडल को लोअर कोर्ट से जमानत मिली। और इस समय तक सीबीआई 90 दिन तक चार्जशीट फाइल नहीं कर सकी, जिसकी वजह से सीबीआई को हार का सामना करना पड़ा। इसके आगे मामलें में आये थे कई मोड़….

 

2009 में सीबीआई ने बनाई दूसरी टीम….
आपको बता दें कि सीबीआई ने इस केस को गंभीरता से लेते हुए दूसरी टीम का गठन किया। 2010 के दिसंबर में सीबीआई ने आरूषि हत्याकांड में अदालत में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी। इसके बाद भी सीबीआई को ज्यादा कुछ हासिल नहीं हुआ था, लेकिन कहानी में नया मोड़ एक साल बाद आया जब लोअर कोर्ट ने 2011 में आरूषि हत्या कांड में उसके माता पिता को दोषी ठहरा दिया था।

2013 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी….

आपको बता दें कि आरूषि हेमराज कांड में आरूषि के माता पिता को सीबीआई कोर्ट ने उम्रकैद की सजा 2013 में सुनाई थी।

2014 में याचिका दायर की…

आरूषि के माता पिता 2104 में हाईकोर्ट में याचिका डाली, जिसके बाद से ही उन्हें भरोसा था कि कोर्ट उन्हें जरूर राहत देगा।

2017 में हाईकोर्ट से मिली बड़ी राहत…..

आपको बता दें कि 12 अक्टूबर, 2017 को कोर्ट ने कहा कि मौजूदा सबूतों और गवाह के आधार पर राजेश तलवार और नूपुर तलवार को आरुषि की हत्या का दोषी नहीं माना जा सकता है। यही कारण है कि हाई कोर्ट ने मामलें में दोनों को बरी देने का आदेश दिया है।

अब आगे क्या….

अगर माता पिता दोषी नहीं है तो फिर कौन है दोषी? क्या सीबीआई कोर्ट अपनी याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खट-खटाएगा। हालांकि, मामलें की नये सिरे जांच से शुरू की जाएगी।