किसानों के मुद्दे पर संसद के दोनों सदन स्थगित, भारी हंगामे के बीच कृषि मंत्री ने दिया ये बड़ा बयान

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किसानों के मुद्दे पर संसद के दोनों सदन स्थगित, भारी हंगामे के बीच कृषि मंत्री ने दिया ये बड़ा बयान

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र में विपक्ष का हंगामा लगातार जारी है. जिसके बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार किसानों के मुद्दे पर बातचीत के लिए तैयार है. लेकिन विपक्ष सिर्फ हंगामे पर अड़ा है. उन्होंने कहा कि हंगामे के माध्यम से सिर्फ सबका समय बर्बाद किया जा रहा है. कृषि मंत्री ने कहा कि अगर किसानों के मुद्दे पर चर्चा हो रही होती, तो अबतक आधा समय बीत भी चुका होता. बता दें कि संदन के दोनों सदन हंगामे की वजह से बाधित हो रहे हैं. राज्यसभा की कार्यवाही को पूरे दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया है, तो लोकसभा की कार्यवाही शाम 7 बजे तक के लिए स्थगित की जा चुकी है.

लोकसभा की कार्यवाही बाधित

विवादों में घिरे तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी पार्टियों के सदस्यों के हंगामे के कारण मंगलवार को लोकसभा की कार्यवाही आरंभ होने के कुछ मिनट बाद ही शाम पांच बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. हालांकि बाद में भी सदन में हंगामा चलता रहा, जिसके बाद लोकसभा की कार्यवाही 7 बजे तक स्थगित कर दी गई है. इससे पहले, संसद के बजट सत्र के तीसरे दिन लोकसभा की कार्यवाही आरंभ होने के साथ ही कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक के सदस्य अध्यक्ष के आसन के निकट आकर नारेबाजी करने लगे. वे तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे थे. शिवसेना और शिरोमणि अकाली दल के सदस्य भी कृषि कानूनों का विरोध करते नजर आए. सदन में हंगामे के बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रश्नकाल आरंभ कराया और सदस्यों से अपने स्थान पर जाने की अपील की. बिरला ने कहा, सभी सदस्यों को पर्याप्त समय दूंगा. जो विषय आप उठा रहे हैं, उस पर बोलने का मौका दूंगा. पिछली बार आपने कहा था कि प्रश्नकाल नहीं हुआ है और लोकतंत्र की हत्या हो रही है. इस बार प्रश्नकाल हो रहा है. प्रश्नकाल के बाद मैं चर्चा कराने के लिए तैयार हूं.’उनकी अपील के बाद भी सदन में स्थिति ज्यों की त्यों बनी रही।

राज्यसभा में भी हंगामा, सदन पूरे दिन के लिए स्थगित

राज्यसभा में कांग्रेस के नेतृत्व में विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने मंगलवार को दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के मुद्दे पर सदन में तुरंत चर्चा कराने की मांग करते हुए हंगामा किया जिसकी वजह से उच्च सदन की बैठक तीन बार के स्थगन के बाद अंतत: पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई. सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदस्यों से कहा कि वे एक दिन बाद, बुधवार को राष्ट्रपति अभिभाषण पर होने वाली चर्चा में अपनी बात रख सकते हैं. इससे पहले शून्यकाल शुरू होने पर सभापति ने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए उन्हें नियम 267 के तहत नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय, द्रमुक के तिरूचि शिवा, वाम सदस्य ई करीम और विनय विश्वम सहित कई सदस्यों के नोटिस मिले हैं. इस नियम के तहत सदन का सामान्य कामकाज स्थगित कर जरूरी मुद्दे पर चर्चा की जाती है. सभापति ने कहा कि किसानों के मुद्दे पर सदस्य अपनी बात कल राष्ट्रपति अभिभाषण पर चर्चा के दौरान रख सकते हैं. उन्होंने सदस्यों से संक्षिप्त में अपनी बात कहने को कहा. सुखेंदु शेखर राय, करीम, विनय विश्वम, शिवा के अलावा राजद के मनोज झा, बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा, सपा के रामगोपाल यादव आदि सदस्यों ने किसानों के आंदोलन का जिक्र किया और इस पर चर्चा कराने की मांग की. सभापति ने शून्यकाल में व्यवस्था देते हुए कहा कि इस मुद्दे को कल राष्ट्रपति अभिभाषण पर चर्चा के दौरान उठाया जा सकता है। कुछ विपक्षी दलों के सदस्य नाराजगी जाहिर करते हुए सदन से वाकआउट कर गए.

संसदीय कार्य मंत्री का बयान

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सदस्यों ने स्वयं ही प्रश्नकाल की मांग की थी. उन्होंने कहा, ‘अब प्रश्नकाल चल रहा है लेकिन वे इसमें हिस्सा नहीं ले रहे हैं. कल राष्ट्रपति अभिभाषण पर चर्चा के दौरान सदस्यों को अपनी बात रखने का पूरा मौका मिलेगा.’ सदस्यों ने कहा कि सदन पर अन्नदाता की परेशानियों के मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जन सरोकार से जुड़े मुद्दों पर सदन में चर्चा होनी चाहिए. इस दौरान सभापति नायडू ने कहा कि वह सदस्यों की चिंता समझते हैं और राष्ट्रपति अभिभाषण में भी इस मुद्दे का जिक्र किया गया है. दिए गए नोटिसों को अस्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि परिपाटी है कि अभिभाषण पर पहले लोकसभा में चर्चा शुरू होती है. इसलिए यहां इस पर कल चर्चा शुरू होगी जिसमें सदस्य अपनी बातों को विस्तार से रख सकते हैं. इसके बाद विपक्ष के कई सदस्य वाकआउट कर गए. कुछ देर बाद ये सदस्य सदन में आए और किसानों के मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए हंगामा करने लगे. (इनपुट-भाषा के साथ)

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