Nitish statement is Bihar out of India reminded as High Court quashes Haryana 75 Private Sector jobs reservation – बिहार देश से बाहर है क्या- हाईकोर्ट से रद्द हुई हरियाणा में 75% लोकल को नौकरी तो याद आई नीतीश की बात, बिहार न्यूज

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Nitish statement is Bihar out of India reminded as High Court quashes Haryana 75 Private Sector jobs reservation – बिहार देश से बाहर है क्या- हाईकोर्ट से रद्द हुई हरियाणा में 75% लोकल को नौकरी तो याद आई नीतीश की बात, बिहार न्यूज

Nitish statement is Bihar out of India reminded as High Court quashes Haryana 75 Private Sector jobs reservation – बिहार देश से बाहर है क्या- हाईकोर्ट से रद्द हुई हरियाणा में 75% लोकल को नौकरी तो याद आई नीतीश की बात, बिहार न्यूज

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हरियाणा में प्राइवेट नौकरी में स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत नौकरी देने के आरक्षण कानून को हाईकोर्ट ने शुक्रवार को असंवैधानिक बताकर रद्द कर दिया है। राज्य के अंदर नौकरी में इस तरह की डोमिसाइल नीति कई राज्यों में लागू है। हरियाणा में बीजेपी सरकार ने 2020 में यह कानून बनाया था जिस पर पहले रोक लगी थी और अब इसे अंततः रद्द कर दिया गया है। इस फैसले के साथ बिहार की शिक्षक भर्ती में राज्य से बाहर के लोगों को शामिल होने की इजाजत देने को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बयान फिर से चर्चा में आ गया है जब उन्होंने कहा था कि बिहार देश से बाहर है क्या।

बिहार में 170461 पदों पर पहले दौर की शिक्षक भर्ती में 120336 टीचर कैंडिडेट सेलेक्ट हुए थे। पहले दौर में खाली रह गए पदों को जोड़कर दूसरे दौर की भर्ती की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है और उसमें भी बिहार से बाहर के कैंडिडेट शामिल हो सकेंगे। दूसरे दौर में लगभग सवा लाख पदों पर बहाली होगी। नीतीश ने 2020 में एनडीए सरकार की वापसी के बाद कैबिनेट में फैसला लिया था कि प्राथमिक शिक्षक भर्ती में सिर्फ बिहार के लोग शामिल हो सकेंगे। इस फैसले को इस साल जून में महागठबंधन सरकार की कैबिनेट ने देश के सभी नागरिकों के लिए खोल दिया। सरकार को अंदेशा था कि अगर दूसरे राज्य के कैंडिडेट कोर्ट चले गए तो यह बहाली रद्द हो जाएगी क्योंकि ये रोक संविधान से मिले समानता के अधिकार का उल्लंघन करता।

बिहार देश से बाहर है क्या? शिक्षक बहाली में दूसरे राज्यों के बेरोजगारों को नौकरी मिलने पर बोले नीतीश

नीतीश कैबिनेट ने जब बिहार से बाहर के कैंडिडेट को परीक्षा में शामिल होने की इजाजत दी तो डोमिसाइल नीति में बदलाव को लेकर भारी हंगामा हुआ था। विपक्षी दलों ने इसे बिहार के बेरोजगारों के साथ हकमारी करार दिया था। राज्य के कैंडिडेट्स ने सरकार से 2020 की शिक्षक बहाली नीति के तहत भर्ती को सिर्फ बिहार के लोगों के लिए सीमित करने की मांग की थी। लेकिन तब नीतीश सरकार ना सिर्फ अपने फैसले पर अड़ी रही बल्कि बिहार से बाहर के लोगों को भर्ती में शामिल होने देने के निर्णय का बचाव किया और कहा कि संविधान का अनुच्छेद 16 जन्म और निवास के आधार पर देश के नागरिक को परीक्षा में भेदभाव से बचाता है। मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने तब कहा था कि बिहार में 1994, 1999 और 2000 में आयोजित शिक्षक भर्ती परीक्षा में भी यही नियम था।

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राजनीति होनी थी, वो हुई। तेजस्वी यादव ने 2020 के विधानसभा चुनाव में वादा किया था कि उनकी सरकार आई तो नौकरी में बिहार के लोगों को 85 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। तेजस्वी के डिप्टी सीएम रहते सीएम नीतीश की सरकार ने 2020 का फैसला पलटकर बिहार के बाहर के लोगों को यहां नौकरी करने का मौका दिया। विपक्षी दलों ने तेजस्वी के पुराने भाषण और नीतीश के खुद के फैसले को पलटने की बात उठाकर खूब हमला किया लेकिन सरकार टस से मस नहीं हुई।

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2 नवंबर को गांधी मैदान में जब 25 हजार शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिया जा रहा था तो नीतीश ने विपक्ष से पूछा कि बिहार देश से बाहर है क्या। उन्होंने कहा था कि पूरा देश एक है और ये तो अच्छी बात है कि दूसरे राज्य के लोग बिहार की परीक्षा में सफल हुए हैं। नीतीश ने याद दिलाया था कि बिहार के लोग भी दूसरे राज्य में सफल होते हैं। बिहार में पहले दौर की शिक्षक बहाली में सेलेक्ट हुए 120336 कैंडिडेट में करीब 14000 दूसरे राज्य के हैं। 88 परसेंट बिहार और 12 परसेंट दूसरे राज्य के कैंडिडेट सेलेक्ट हुए। दूसरे राज्य के 12 परसेंट कैंडिडेट में 14 राज्यों के लोग शामिल हैं। इन राज्यों में यूपी, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड, हरियाणा, केरल, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, असम, पंजाब और उत्तराखंड शामिल है।

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