Nitin Gadkari: नितिन गडकरी के मन में क्या चल रहा है, क्यों याद आये रिचर्ड निक्सन?

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Nitin Gadkari: नितिन गडकरी के मन में क्या चल रहा है, क्यों याद आये रिचर्ड निक्सन?

Nitin Gadkari: नितिन गडकरी के मन में क्या चल रहा है, क्यों याद आये रिचर्ड निक्सन?

मुंबई: ‘जब कोई व्यक्ति पराजित होता है तो वह खत्म नहीं होता लेकिन जब वह हार मान लेता है तो वह खत्म हो जाता है’ अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के इस वाक्य को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Central Minister Nitin Gadkari) ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा। गडकरी ने यह भी कहा, ‘ इसलिए किसी को भी इस्तेमाल करो और फेंको के दौर में शामिल नहीं होना चाहिए। दिन अच्छे हो या बुरे, जब एकबार किसी का हाथ थाम लें, तो उसे थामें रहें। उगते सूरज की पूजा ना करें। गडकरी ने यह बात उद्यमियों की एक बैठक के दौरान कही। उन्होंने यह भी कहा कि जो कोई भी व्यवसाय, सामाजिक कार्य या राजनीति में है, उसके लिए मानवीय संबंध सबसे बड़ी ताकत है। बता दें कि गडकरी को हाल में संसदीय बोर्ड से हटा दिया गया है। अब उनके इस बयान के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।

मोदी की लीडरशिप को खुली चुनौती
महाराष्ट्र की राजनीति को करीब से जानने वाले डॉ. सुरेश माने से एनबीटी ऑनलाइन की टीम ने गडकरी के बयान का सियासी मतलब समझने का प्रयास किया। माने ने बताया कि गडकरी के बयान का सीधा मतलब है, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लीडरशिप को खुली चुनौती देना’। उन्होंने कहा कि गडकरी बार-बार यह संकेत दे रहे हैं कि वो हार मानने वाले नहीं हैं। वो मोदी की लीडरशिप को चैलेंज देने के मूड में हैं। गडकरी का हालिया बयान उसी कड़ी का हिस्सा है। हम यह कह सकते हैं कि गडकरी बीजेपी की सेंट्रल लीडरशिप और मोदी को खुली चुनौती दे रहे हैं।

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इसी मुद्दे पर हमने वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार सचिन परब से बातचीत की। परब ने बताया कि महाराष्ट्र की राजनीति में गडकरी को मुखरता से अपनी बात कहने वाला नेता माना जाता है। उन्हें जो कहना होता है वह सीधे बिना किसी लाग-लपेट के अपनी बात कह देते हैं। परब ने बताया कि गडकरी ने महाराष्ट्र की राजनीति से लेकर केंद्र में पैर जमाने तक काफी संघर्ष किया है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि फिलहाल केंद्रीय लीडरशिप के साथ उनकी जम नहीं रही है। गडकरी इसके पहले भी बेखौफ होकर अपनी बात कहते रहे हैं। यह उनका चिरपरिचित अंदाज है।

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मुंडे और गडकरी के बीच शीत युद्ध
परब बताते हैं कि महाराष्ट्र में बीजेपी में प्रमोद महाजन के बाद दिवंगत गोपीनाथ मुंडे और नितिन गडकरी के बीच में जबरदस्त शीत युद्ध था। जिसमें अक्सर मुंडे खेमा गडकरी पर हावी रहता था लेकिन गडकरी अपना काम करते रहे। महाराष्ट्र बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने। उस दौरान भी यह कहा गया था कि विधानपरिषद का सदस्य राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं होना चाहिए। जिसके बाद उन्होंने लोकसभा का चुनाव जीतकर दिखाया। हालांकि तब और अब के हालात में काफी अंतर आ चुका है।

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परब ने कहा कि गडकरी यह बातें संघ के भरोसे नहीं बल्कि खुद के दम पर कह रहे होंगे। वो एक जमीनी नेता हैं नागपुर में वो कभी स्कूटर की सवारी करते हैं देखे जाते हैं तो कभी अकेले ही नागपुर में गलियों चहलकदमी करते हुए। यह उनका तरीका है। शायद यह बात भी उन्होंने इसी अंदाज में कही होगी। अपने बयान के जरिये गडकरी यह जताने की कोशिश कर रहे होंगे कि वो घुटने टेकने वालों में से नहीं हैं।

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