Nidhi Kesarwani Suspension: दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे में 20 करोड़ मुआवजा देकर खेला भ्रष्टाचार का खेल, पूर्व डीएम निधि सस्पेंड…ऐसे खुला पूरा मामला h3>
अखंड प्रताप सिंह, गाजियाबाद: दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे (Delhi-Meerut Expressway) में भूमि अधिग्रहण में तय कीमत से 20 करोड़ रुपये से अधिक का मुआवजा देकर अधिकारियों ने भ्रष्टाचार का खेल खेला था। तत्कालीन मंडलायुक्त प्रभात कुमार की रिपोर्ट पर सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने जीरो टॉलरेंस नीति के तहत तत्कालीन डीएम निधि केसरवानी को संस्पेंड (Nidhi Kesarwani Suspend) किए जाने के साथ ही केंद्र सरकार को विभागीय कार्रवाई के लिए लिखा है। तत्कालीन डीएम निधि केसरवानी इस समय केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर स्वास्थ्य मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर तैनात हैं। 2004 बैच की आईएएस निधि केसरवानी जिले में 20 जुलाई 2016 से 28 अप्रैल 2017 तक डीएम के पद पर तैनात थी। वह मणिपुर कैडर की हैं।
निधि केसरवानी पर आरोप है कि दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे के तय किए गए अवॉर्ड राशि से छह गुना अधिक मुआवजा का भुगतान किया गया है। जबकि तत्कालीन डीएम विमल कुमार शर्मा ने अवॉर्ड राशि से दस गुना तक अधिक मुआवजा दिया है। भूमि अधिग्रहण में मुआवजे के भुगतान में अधिकारियों ने 20 करोड़ रुपये से अधिक का भ्रष्टाचार का खेल खेला गया है। फिलहाल तत्कालीन डीएम निधि केसरवानी के वर्तमान ऑफिस में फोन करके बात करने का प्रयास किया गया। लेकिन उनके पर्सनल असिस्टेंट अशोक कुमार ने निधि केसरवानी के ऑफिस में नहीं होने की बात कही।
ऐसे हुआ था मामले का खुलासा
अधिकारी बताते हैं कि डीएमई के भूमि अधिग्रहण में नाहल, कुशलिया, डासना और रसूलपुर सिकरोड़ क्षेत्र की जमीन अधिग्रहण में भ्रष्टाचार का खेल हुआ। जमीन का अधिग्रहण 2011-12 में 71.14 हेक्टेयर की हुई। 2013 में यहां अवॉर्ड घोषित किया गया था। 2016 में क्षेत्र के 23 किसानों ने मंडलायुक्त से शिकायत की थी। उनका कहना था कि उनकी जमीन एक्सप्रेस-वे में अधिग्रहीत की गई है, लेकिन उन्हें मुआवजा नहीं मिला है। तत्कालीन मंडलायुक्त प्रभात कुमार ने अपने स्तर पर जांच कराई। जांच में इस खेल का पता चला। तत्कालीन मंडलायुक्त ने सितंबर 2017 में जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी। रिपोर्ट में दो आईएएस अधिकारी और एक पीसीएस अधिकारी के शामिल होने की बात कही गई है।
नियमों के खिलाफ खरीदी जमीन
जांच में पता चला कि डीएमई की भूमि अधिग्रहण की धारा-3 (डी) हो चुकी थी। इसके बाद भी किसानों को गुमराह करते हुए जमीन को अधिकारियों के रिश्तेदार और परिजनों ने खरीदा जबकि इस धारा की कार्रवाई के बाद संबंधित क्षेत्र में जमीन की खरीद-फरोख्त पर रोक लग जाती है। आरोप है कि फिर एडीएम भू अर्जन और डीएम ने मिलीभगत करते हुए दस गुना तक मुआवजा ले लिया। सारे घोटाले में गाजियाबाद के तत्कालीन डीएम विमल शर्मा व निधि केसरवानी की भूमिका को भी संदिग्ध माना गया है। आर्बिट्रेशन के 8 ऐसे मामलों को पकड़ा गया है जो विमल शर्मा व केसरवानी की कोर्ट में तय हुए और करीब 10 गुना तक मुआवजा दिया गया है।
एडीएम भूअर्जन के बेटे ने खरीदी जमीन
मंडलायुक्त की जांच में पता चला था कि तत्कालीन एडीएम भूअर्जन के बेटे शिवांगा राठौर ने गांव नाहल कुशलिया में सितंबर 2013 को 1582.19 रुपये प्रति वर्ग मीटर से जमीन खरीदी थी। जमीन को 1235.18 रुपये प्रति वर्ग मीटर के रेट से अवार्ड किया था। अधिग्रहण की अधिसूचना 7 अगस्त 2012 को हो चुकी थी। जमीन को जमीन एक करोड़ 78 लाख पांच हजार 539 रुपये में खरीदी गई और आर्बिट्रेशन के बाद इसका मूल्य 9 करोड़ 36 लाख 77,449 बना। ऐसे में इन्हें सात करोड़ 58 लाख 71 हजार 910 रुपये का लाभ हुआ। अमीन संतोष कुमार की पत्नी लोकेश बेनीवाल, मामा रनवीर सिंह व पुत्र दीपक तथा पुत्र वधू दिव्या आदि ने नाहल में 9 खसरा नंबरों की जमीन अधिसूचना जारी होने के बाद खरीदी।
इस जमीन को 3 करोड़ 54 लाख 20 हजार 442 रुपये में खरीदा गया। इसका मुआवजा बना 14 करोड़ 91 लाख 85 हजार 429 रुपये, फायदा हुआ 11 करोड़ 37 लाख 64 हजार 987 रुपये का। दलाल इदरीश, यूसूफ और शाहिद ने रसूलपुर सिकरोड़ में जमीन 2 करोड़ 56 लाख 16 हजार 500 सौ में खरीदी और आर्बिट्रेशन के बाद 4 करोड़ 74 लाख 98 हजार 75 रुपये प्राप्त किए। दो करोड़ 18 लाख 82 हजार 250 रुपये का लाभ हुआ।
जमीन की वजह से अटका है दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे
जांच के बाद अड़ंगा लग जाने से दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे का करीब छह किमी का निर्माण अटका गया था। चार गांव डासना, कुशलिया, नाहल और रसूलपुर सिकरोड में करीब 19 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण अटका है। छह एकड़ जमीन दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे में जानी है। यहां एक्सप्रेस-वे का तीन किमी का हिस्सा इसमें फंसा है। प्रोजेक्ट इसकी वजह से करीब 6 महीने से अधिक समय तक लेट हुआ था।
कुछ ऐसे जारी किया गया मुआवजा
क्रेता
आर्बिट्रेटर तिथि
अवॉर्ड
आर्बिट्रेशन दर
शिवांग राठौर विमल शर्मा
15 जनवरी 2016
617.59
6500
रनवीर सिंह विमल शर्मा
4 जुलाई 2016
1235.18
5577
दिव्या सिंह निधि केसरवानी
6 फरवरी 2017
1235.18
6515
दीपक सिंह निधि केसरवानी
6 फरवरी 2017
1482.00
6515
इदरीस ताज निधि केसरवानी
6 फरवरी 2017
1235.18
6500
लोकेश बेनीवाल विमल शर्मा
4 जुलाई 2016
1235.18
5577
शाहिद, शमीम निधि केसरवानी
6 फरवरी 2017
1235.18
6500
यूसुफ , इमरान निधि केसरवानी
6 फरवरी 2017
1235.18
6500
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ऐसे हुआ था मामले का खुलासा
अधिकारी बताते हैं कि डीएमई के भूमि अधिग्रहण में नाहल, कुशलिया, डासना और रसूलपुर सिकरोड़ क्षेत्र की जमीन अधिग्रहण में भ्रष्टाचार का खेल हुआ। जमीन का अधिग्रहण 2011-12 में 71.14 हेक्टेयर की हुई। 2013 में यहां अवॉर्ड घोषित किया गया था। 2016 में क्षेत्र के 23 किसानों ने मंडलायुक्त से शिकायत की थी। उनका कहना था कि उनकी जमीन एक्सप्रेस-वे में अधिग्रहीत की गई है, लेकिन उन्हें मुआवजा नहीं मिला है। तत्कालीन मंडलायुक्त प्रभात कुमार ने अपने स्तर पर जांच कराई। जांच में इस खेल का पता चला। तत्कालीन मंडलायुक्त ने सितंबर 2017 में जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी। रिपोर्ट में दो आईएएस अधिकारी और एक पीसीएस अधिकारी के शामिल होने की बात कही गई है।
नियमों के खिलाफ खरीदी जमीन
जांच में पता चला कि डीएमई की भूमि अधिग्रहण की धारा-3 (डी) हो चुकी थी। इसके बाद भी किसानों को गुमराह करते हुए जमीन को अधिकारियों के रिश्तेदार और परिजनों ने खरीदा जबकि इस धारा की कार्रवाई के बाद संबंधित क्षेत्र में जमीन की खरीद-फरोख्त पर रोक लग जाती है। आरोप है कि फिर एडीएम भू अर्जन और डीएम ने मिलीभगत करते हुए दस गुना तक मुआवजा ले लिया। सारे घोटाले में गाजियाबाद के तत्कालीन डीएम विमल शर्मा व निधि केसरवानी की भूमिका को भी संदिग्ध माना गया है। आर्बिट्रेशन के 8 ऐसे मामलों को पकड़ा गया है जो विमल शर्मा व केसरवानी की कोर्ट में तय हुए और करीब 10 गुना तक मुआवजा दिया गया है।
एडीएम भूअर्जन के बेटे ने खरीदी जमीन
मंडलायुक्त की जांच में पता चला था कि तत्कालीन एडीएम भूअर्जन के बेटे शिवांगा राठौर ने गांव नाहल कुशलिया में सितंबर 2013 को 1582.19 रुपये प्रति वर्ग मीटर से जमीन खरीदी थी। जमीन को 1235.18 रुपये प्रति वर्ग मीटर के रेट से अवार्ड किया था। अधिग्रहण की अधिसूचना 7 अगस्त 2012 को हो चुकी थी। जमीन को जमीन एक करोड़ 78 लाख पांच हजार 539 रुपये में खरीदी गई और आर्बिट्रेशन के बाद इसका मूल्य 9 करोड़ 36 लाख 77,449 बना। ऐसे में इन्हें सात करोड़ 58 लाख 71 हजार 910 रुपये का लाभ हुआ। अमीन संतोष कुमार की पत्नी लोकेश बेनीवाल, मामा रनवीर सिंह व पुत्र दीपक तथा पुत्र वधू दिव्या आदि ने नाहल में 9 खसरा नंबरों की जमीन अधिसूचना जारी होने के बाद खरीदी।
इस जमीन को 3 करोड़ 54 लाख 20 हजार 442 रुपये में खरीदा गया। इसका मुआवजा बना 14 करोड़ 91 लाख 85 हजार 429 रुपये, फायदा हुआ 11 करोड़ 37 लाख 64 हजार 987 रुपये का। दलाल इदरीश, यूसूफ और शाहिद ने रसूलपुर सिकरोड़ में जमीन 2 करोड़ 56 लाख 16 हजार 500 सौ में खरीदी और आर्बिट्रेशन के बाद 4 करोड़ 74 लाख 98 हजार 75 रुपये प्राप्त किए। दो करोड़ 18 लाख 82 हजार 250 रुपये का लाभ हुआ।
जमीन की वजह से अटका है दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे
जांच के बाद अड़ंगा लग जाने से दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे का करीब छह किमी का निर्माण अटका गया था। चार गांव डासना, कुशलिया, नाहल और रसूलपुर सिकरोड में करीब 19 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण अटका है। छह एकड़ जमीन दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे में जानी है। यहां एक्सप्रेस-वे का तीन किमी का हिस्सा इसमें फंसा है। प्रोजेक्ट इसकी वजह से करीब 6 महीने से अधिक समय तक लेट हुआ था।
कुछ ऐसे जारी किया गया मुआवजा
क्रेता | आर्बिट्रेटर तिथि | अवॉर्ड | आर्बिट्रेशन दर |
शिवांग राठौर विमल शर्मा | 15 जनवरी 2016 | 617.59 | 6500 |
रनवीर सिंह विमल शर्मा | 4 जुलाई 2016 | 1235.18 | 5577 |
दिव्या सिंह निधि केसरवानी | 6 फरवरी 2017 | 1235.18 | 6515 |
दीपक सिंह निधि केसरवानी | 6 फरवरी 2017 | 1482.00 | 6515 |
इदरीस ताज निधि केसरवानी | 6 फरवरी 2017 | 1235.18 | 6500 |
लोकेश बेनीवाल विमल शर्मा | 4 जुलाई 2016 | 1235.18 | 5577 |
शाहिद, शमीम निधि केसरवानी | 6 फरवरी 2017 | 1235.18 | 6500 |
यूसुफ , इमरान निधि केसरवानी | 6 फरवरी 2017 | 1235.18 | 6500 |