NEWS4SOCIALएक्सप्लेनर- कंपनियों को कंगाल करने वाली हिंडनबर्ग होगी बंद: कौन है इसका मालिक नाथन एंडरसन, जो अडाणी के पीछे पड़ा था h3>
25 जनवरी 2023। अमेरिकी इन्वेस्टमेंट रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट पब्लिश की। रिपोर्ट का टाइटल था-
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दुनिया का तीसरा सबसे अमीर आदमी किस तरह कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा धोखा कर रहा है।
इस रिपोर्ट में भारत के अडाणी ग्रुप पर हैसियत से ज्यादा कर्ज लेने, शेयर मार्केट और इन्वेस्टमेंट में हेराफेरी का आरोप लगाया गया। इसके बाद अडाणी ग्रुप को करीब 7 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
अब हिंडनबर्ग रिसर्च बंद होने जा रही है। 15 जनवरी 2025 की देर रात कंपनी के मालिक नाथन एंडरसन ने ये ऐलान किया। उन्होंने कहा-
कंपनी बंद करने का फैसला काफी बातचीत और सोच कर लिया है। हमने उन एम्पायर्स को हिला दिया, जिन्हें हिलाने की जरूरत थी।
NEWS4SOCIALएक्सप्लेनर में जानेंगे कि हिंडनबर्ग कंपनी क्यों बंद हो रही है और इसकी पूरी कहानी…
सवाल-1: आखिर क्यों हिंडनबर्ग बंद होने जा रही है?
जवाब: हिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर नाथन एंडरसन ने 15 जनवरी 2025 की देर रात एक नोट जारी किया, लेकिन इसे बंद करने की खास वजह नहीं बताई। उन्होंने लिखा, ‘कोई खास बात नहीं है, कोई खास खतरा नहीं, कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं और कोई बड़ा व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है।’
वॉल स्ट्रीट जर्नल को दिए इंटरव्यू में एंडरसन ने कहा, ‘मुझे लगता है कि मैंने और हिंडनबर्ग ने वो सब हासिल कर लिया है जो हमने टारगेट किया था। पब्लिक और प्राइवेट मार्केट में धोखाधड़ी, हेराफेरी जैसे मुद्दों का पता लगाकर बिजनेस बनाना मुमकिन है। मुझे उम्मीद है कि हम जल्द ही कंपनी से जुड़ी चीजें साझा करेंगे, ताकि दूसरे लोग हिंडनबर्ग की स्ट्रैटजी का इस्तेमाल कर सकें।’
एंडरसन ने कहा, ‘मैंने पिछले 8 साल में ज्यादा समय या तो किसी लड़ाई में या अगली लड़ाई की तैयारी में बिताया है। अब मैं अपने शौक पूरे करने, घूमने, अपनी मंगेतर और बच्चे के साथ समय बिताने के लिए उत्सुक हूं। मैंने फ्यूचर के लिए काफी पैसा कमा लिया है।’
15 जनवरी 2025 की देर रात हिंडनबर्ग की वेबसाइट पर नाथन एंडरसन का नोट पब्लिश किया गया।
सवाल-2: हिंडनबर्ग कब शुरू हुई और ये क्या काम करती थी?
जवाब: फाइनेंस और डेटा एनालिस्ट की नौकरी करते हुए नाथन एंडरसन समझ चुके थे कि शेयर मार्केट और कंपनियों में काफी कुछ ऐसा हो रहा है जो आम लोगों की समझ से बाहर है। नतीजतन एंडरसन के दिमाग में फाइनेंशियल रिसर्च कंपनी शुरू करने का आइडिया आया। इसका परिणाम 2017 में दिखा जब एंडरसन ने हिंडनबर्ग नाम से इस कंपनी की शुरुआत की।
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, हिंडनबर्ग में ब्लूमबर्ग और सीएनएन जैसे मीडिया ऑर्गनाइजेशन के पूर्व पत्रकार और एनालिस्ट काम करते थे। पूरी टीम में कुल 11 लोग थे, जो 6 महीने या उससे ज्यादा समय में एक डिटेल्ड रिसर्च रिपोर्ट तैयार करते थे।
हिंडनबर्ग को करीब 10 अमीर निवेशक फर्में पैसा देती थीं। इनमें से कुछ हिंडनबर्ग के साथ मार्केट में पैसा भी लगाती थीं। हालांकि एंडरसन ने अपने इन्वेस्टर्स के नाम बताने से इनकार कर दिया था। उन्होंने अपनी फर्म के बारे में कहा, ‘यह एक सफल फर्म बन गई है, लेकिन शुरुआत में यह अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल था कि इससे कुछ भी हासिल होगा।’
सवाल-3: हिंडनबर्ग के फाउंडर नाथन एंडरसन कौन हैं?
जवाब: 39 साल के नाथन एंडरसन एक प्रोफेसर और एक नर्स के बेटे हैं। उनका बचपन अमेरिका के कनेक्टिकट राज्य के एक छोटे शहर में गुजरा। कनेक्टिकट यूनिवर्सिटी से उन्होंने इंटरनेशनल बिजनेस सब्जेक्ट में ग्रेजुएशन किया। कॉलेज के दौरान कुछ समय के लिए एंडरसन इजराइल में रहे। यहां उन्होंने हिब्रू यूनिवर्सिटी में क्लास लेते हुए पैरामेडिक स्टाफ के तौर पर काम किया।
कॉलेज के बाद एंडरसन ने नौकरी तलाशी। ‘फैक्टसेट’ नाम की फाइनेंशियल एनालिटिक्स कंपनी में पहली नौकरी शुरू हुई। यहां वो कंपनी के क्लाइंट्स को सेल्स और टेक्निकल सलाह देते थे। बाद में उन्होंने अमीर परिवारों की इन्वेस्टमेंट फर्मों के लिए काम किया, जहां वे वित्तीय लेने-देन की ऑडिटिंग और वेरिफिकेशन करते थे।
नौकरी करते हुए एंडरसन ने डेटा और शेयर मार्केट की बारीकियों को समझा। उन्हें इस बात का अंदाजा था कि शेयर मार्केट दुनिया के पूंजीपतियों का सबसे बड़ा अड्डा है। शुरुआत में उन्होंने शेयर मार्केट में निवेश में गड़बड़ियों पर नजर बनाई। कभी-कभी वे मशहूर फोरेंसिक अकाउंटेंट हैरी मार्कोपोलोस के साथ काम करते। एंडरसन ने उन्हें अपना रोल मॉडल माना। 2017 में उन्होंने ‘हिंडनबर्ग’ की शुरुआत कर दी।
न्यूयॉर्क के मैनहट्टन शहर के मिडटाउन इलाके में ‘वीवर्क’ का दफ्तर था, यहां से काम करते हुए एंडरसन ने छोटी कंपनियों के शेयरों पर दांव खेला। उन्हें पैसों की जरूरत थी। दरअसल इस दौरान उन्होंने कर्ज लिया था, जो बढ़ता जा रहा था। ऐसे में उन्हें मैनहट्टन के अपार्टमेंट से बेदखल किए जाने का खतरा था। यहां वो अपनी गर्लफ्रेंड के साथ रहते थे।
दिसंबर 2018 में एंडरसन की किस्मत चमकी। मेडिकल कंपनी ‘एफ्रिया’ पर उन्होंने एक रिपोर्ट लिखी और कंपनी पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए। रिपोर्ट पब्लिश होने के बाद एफ्रिया के शेयरों में 30% की गिरावट आई। इस दौरान एंडरसन ने शेयर मार्केट से मुनाफा कमाया।
तब एंडरसन को अपार्टमेंट से निकाले जाने का खतरा था। इसे लेकर उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘अगर ये फेल हो जाता तो उन्हें भरोसेमंद और निश्चित इनकम वाली एक ‘असली नौकरी’ ढूंढनी पड़ती।
सवाल-4: हिंडनबर्ग कमाई कैसे करती थी?
जवाब: हिंडनबर्ग जिस कंपनी के खिलाफ रिपोर्ट पब्लिश करती थी, उसी में ‘शॉर्ट पोजिशन’ बनाए रखती थी। 2023 में अडाणी ग्रुप पर आई ‘हिंडनबर्ग’ की रिपोर्ट पढ़ने से साफ पता चला कि इस कंपनी ने जानबूझ कर ये रिपोर्ट अडाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयर गिराने के लिए जारी की। ‘हिंडनबर्ग’ ने अडाणी ग्रुप की कंपनियों पर ‘शॉर्ट पोजिशन’ ले रखी थी। शेयर मार्केट से पैसा कमाने के दो मुख्य तरीके हैं…
1. लॉन्ग पोजिशन:
मान लीजिए किसी कंपनी या व्यक्ति ने 100 रुपए में किसी कंपनी के शेयर खरीदे और 150 रुपए में बेच दिए। ऐसे में उसे 50 रुपए का लाभ मिलता है। इस तरीके को लॉन्ग पोजिशन कहते हैं।
2. शॉर्ट पोजिशन:
मान लीजिए कि हिंडनबर्ग कंपनी ने शेयर मार्केट से जुड़ी किसी A कंपनी से एक महीने के लिए 10 शेयर उधार लिए और B को बेच दिए। इस वक्त बाजार में एक शेयर की कीमत 100 है। उसने उसी कीमत में B को शेयर बेचे हैं। अब हिंडनबर्ग को भरोसा है कि उसकी रिपोर्ट पब्लिश होने के बाद अडाणी के शेयर की कीमत गिरेगी।
मान लीजिए रिपोर्ट पब्लिश होते ही अडाणी के एक शेयर का भाव 100 से गिरकर 80 हो गया। ऐसे में हिंडनबर्ग अब बाजार से 80 रुपए में 10 शेयर खरीदकर A कंपनी को लौटा देगा। इस तरह हिंडनबर्ग को एक शेयर पर 20 रुपए तक प्रॉफिट मिलता है। इसे ही शॉर्ट पोजिशन कहते हैं।
नाथन एंडरसन की कंपनी ने अडाणी ग्रुप की कंपनी पर यही शॉर्ट पोजिशन दांव खेला, जिसके लिए उसने अपनी दो साल की रिसर्च को आधार बनाया।
सवाल-5: हिंडनबर्ग ने किन कंपनियों को अपना शिकार बनाया?
जवाब: हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्टों ने भारत के अडाणी ग्रुप और इकान इंटरप्राइजेज समेत कई कंपनियों को अरबों डॉलर का नुकसान पहुंचाया था। अगस्त 2024 में हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अडाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में हिस्सेदारी है।
हिंडनबर्ग की 2 चर्चित रिपोर्ट्स…
निकोला कॉर्पोरेशन (2020): इलेक्ट्रिक ट्रक बनाने वाली अमेरिकी कंपनी निकोला के शेयरों की कीमत तेजी से बढ़ रही थी। तभी सितंबर महीने में निकोला कंपनी को लेकर हिंडनबर्ग ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसके बाद इस कंपनी के शेयर 80% तक टूटे।
हिंडनबर्ग ने दावा किया कि निकोला ने अपनी कंपनी और गाड़ियों के बारे में निवेशकों को गलत जानकारी दी थी। इसके बाद अमेरिका के सिक्योरिटी और एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने निकोला के मालिक ट्रेवोर मिल्टन के खिलाफ मुकदमा चलाया। दोषी साबित होने पर मिल्टन को 1 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा जुर्माना देना पड़ा था।
अडाणी ग्रुप (2023): कुछ समय से अडाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयर तेजी से बढ़ रहे थे। ग्रुप के मालिक गौतम अडाणी दुनिया का तीसरे अमीर शख्स बन चुके थे। जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग ने अडाणी ग्रुप पर स्टॉक मार्केट में हेरफेर और अकाउंटिंग में धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए एक रिपोर्ट पब्लिश की।
इसके बाद अडाणी ग्रुप को काफी नुकसान हुआ, जिसका अनुमान 100 बिलियन डॉलर से ज्यादा था। एक अनुमान के मुताबिक ये आंकड़ा 7 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा था। इसके बाद अडाणी ग्रुप और SEBI पर सवाल उठे।
सवाल-6: हिंडनबर्ग पर किस तरह के आरोप लगते आए हैं?
जवाब: हिंडनबर्ग पर शुरू होने से लेकर आज भी अपनी रिपोर्ट्स और कंट्रोवर्सी को लेकर चर्चा में बनी रहती है। उस पर आरोप लगते हैं कि अपने मुनाफे के लिए कंपनी कई बड़ी कंपनियों के खिलाफ निगेटिव रिपोर्ट्स पब्लिश की। साथ ही कंपनियों के शेयर की कीमतों को कम करन के लिए अपने दावों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया।
इसके अलावा कुछ कंपनियों ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों का खंडन किया। कंपनियों ने आरोप लगाया कि हिंडनबर्ग ने ऐसा कर उनकी कंपनी को बदनाम किया।
ब्लूमबर्ग के अनुमान के मुताबिक, हिंडनबर्ग ने जब भी किसी कंपनी के खिलाफ निगेटिव रिपोर्ट पेश की, उसके अगले ही दिन उस टारगेटेड कंपनी के शेयर 15% गिर गए। 6 महीने बाद करीब 26% तक की गिरावट हुई।
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ लॉ में सिक्योरिटीज लॉ के प्रोफेसर फ्रैंक पार्टनॉय कहते हैं कि नाथन एंडरसन और हिंडनबर्ग एक ‘रियल जाइंट किलर’ हैं यानी बड़े राक्षस को मारने वाला। उसे बड़े-बड़े कॉर्पोरेट और कंपनियों के खिलाफ जाने से भी डर नहीं लगता।
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हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद SEBI की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच सवालों में रहीं। विपक्ष अड़ा रहा कि SEBI चीफ और अडाणी मामले पर आरोपों की JPC जांच की जानी चाहिए। कांग्रेस इसे लेकर देशभर में प्रदर्शन किए। दूसरी तरफ BJP ने कहा है कि ये ढकोसला भारतीय अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए किया जा रहा है। JPC क्या है, विपक्ष इसकी मांग पर क्यों अड़ा? पूरी खबर पढ़िए…