News About Shehbaz Sharif : पाकिस्तान का PM बन शहबाज शरीफ ने पहना कांटों भरा ताज, जानें सामने खड़ी कौन-कौन सी चुनौतियां h3>
इस्लामाबाद: शहबाज शरीफ (News About Shehbaz Sharif) ने पाकिस्तान के 23वें प्रधानमंत्री (Pakistan New PM Shehbaz Sharif) के रूप में शपथ ले ली है। राष्ट्रपति आरिफ अल्वी की तबीयत खराब होने के बाद उपराष्ट्रपति सादिक संजरानी ने शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif Latest News) को पद और गोपनीयता की शपथ दिलवाई। इस दौरान नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज अपने चाचा शहबाज के गले लग भावुक हो गईं। शपथग्रहण के बाद मरियम नवाज ने कहा कि उनकी सरकार किसी के खिलाफ बदले की नीयत से कार्रवाई नहीं करेगी। वहीं, शहबाज शरीफ ने पद संभालते ही विदेशी मुल्कों के साथ पाकिस्तान के संबंध सुधारने का ऐलान किया। उन्होंने अवाम को राहत पहुंचाने के लिए सस्ते दाम पर आटा बेचने और सरकारी कर्मचारियों के वेतन में 10 फीसदी की बढ़ोत्तरी का वादा भी कर दिया। हालांकि, शहबाज शरीफ के सामने कई चुनौतियां खड़ी हैं, जिनको पार पाना उनके लिए काफी मुश्किल होगा।
गर्त में है पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था काफी बुरे दौर से गुजर रही है। बतौर प्रधानमंत्री नेशनल असेंबली में अपने पहले भाषण में खुद शहबाज शरीफ ने बताया कि पाकिस्तान बदकिस्मती से तारीख का सबसे बड़ा बजट डेफिसिट का सामना कर रहा है। ट्रेड डेफिसिट भी रिकॉर्ड लेवल पर है। करंट अकाउंट डेफिसिट भी तारीख का सबसे बड़ा होने जा रहा है। महंगाई अपने चरम पर है। 60 लाख लोग बेरोजगार हो चुके हैं। 2 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं। ऐसे में अर्थव्यवस्था को उबारना उनके लिए बहुत बड़ी चुनौती मानी जा रही है। शहबाज शरीफ को पाकिस्तान के ऊपर लदे कर्ज को भी चुकाने का दबाव है। ऐसे में खस्ताहाल अर्थव्यवस्था से कर्ज की किश्तों को चुकाना काफी मुश्किल होगा।
पड़ोसियों से संबंध सुधारने की चुनौती
शहबाज शरीफ के सामने पड़ोसी देशों के साथ संबंध सुधारने की चुनौती है। इमरान खान के कार्यकाल में भारत और पाकिस्तान के संबंध काफी खराब हुए हैं। भारत ने दो टूक कहा है कि आतंकवाद को बंद किए बिना किसी भी मुद्दे पर बातचीत संभव नहीं है। हालांकि, शहबाज शरीफ ने भी कश्मीर राग अलापा है। उन्होंने संसद में भारत के साथ संबंधों को सुधारने की वकालत की है। उन्होंने अफगानिस्तान को अपना हमसाया मुल्क करार दिया है। शहबाज ने कहा है कि अफगानिस्तान में शांति पाकिस्तान के हित में है। उन्होंने सऊदी अरब, अमेरिका, ब्रिटेन, तुर्की, यूरोपीय यूनियन के साथ भी अच्छे संबंधों की बात की है। हालांकि, वर्तमान में पाकिस्तान का संबंध तुर्की और चीन को छोड़कर दुनिया के हर देश के साथ खराब हैं।
साथी पार्टियों को सहेजे रखना भी मुश्किल
शहबाज शरीफ को पाकिस्तानी संसद में बहुमत से सिर्फ दो वोट ज्यादा मिले हैं। इमरान खान के खिलाफ इकट्ठा हुईं अलग-अलग विचारधारा की विपक्षी पार्टियों ने शहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री बनवाया है। शहबाज शरीफ की पीएमएल-एन भले ही सत्तापक्ष की सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन उसे सरकार चलाने के लिए अपने सभी साथी पार्टियों की जरूरत है। अगर कोई भी पार्टी सरकार से समर्थन वापस लेती है तो शहबाज शरीफ की कुर्सी को खतरा पैदा हो सकता है। पाकिस्तान में वर्तमान संसद को पूरा होने में करीब 14 महीने का समय है। ऐसे में अगर सरकार गिरती है तो समय से पहले आम चुनाव करवाने पड़ सकते हैं।
सेना के साथ संबंध सुधारने की कोशिश
इमरान खान के कार्यकाल में सरकार और सेना के संबंध काफी बिगड़ गए थे। खुफिया एजेंसी आईएसआई प्रमुख के चुनाव के दौरान दोनों पक्षों की अदावत साफ देखी गई थी। पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा इसी साल नवंबर में रिटायर होने वाले हैं। उनकी पूरी कोशिश अपने कार्यकाल को बढ़वाने की है। इमरान खान इस पक्ष में बिलकुल नहीं थे, लिहाजा पाकिस्तान में राजनीतिक संकट के दौरान सेना ने विपक्ष का साथ दिया। अब शहबाज के सामने चुनौती है कि वे कमर जावेद बाजवा का कार्यकाल बढ़ाकर रिश्ते सुधारें या फिर उनसे दुश्मनी मोल लें। दरअसल, 2018 के चुनाव में जनरल बाजवा ने ही इमरान खान को प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाया था। दावा तो यह भी किया जाता है कि नवाज शरीफ को जेल पहुंचाने के पीछे जनरल बावजा का ही हाथ था। ऐसे में देखना होगा कि शहबाज शरीफ अपने भाई पर हुए जुल्मो-सितम को भूलकर नई शुरूआत करते हैं या सेना और सरकार के बीच में तकरार जारी रहती है।
गर्त में है पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था काफी बुरे दौर से गुजर रही है। बतौर प्रधानमंत्री नेशनल असेंबली में अपने पहले भाषण में खुद शहबाज शरीफ ने बताया कि पाकिस्तान बदकिस्मती से तारीख का सबसे बड़ा बजट डेफिसिट का सामना कर रहा है। ट्रेड डेफिसिट भी रिकॉर्ड लेवल पर है। करंट अकाउंट डेफिसिट भी तारीख का सबसे बड़ा होने जा रहा है। महंगाई अपने चरम पर है। 60 लाख लोग बेरोजगार हो चुके हैं। 2 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं। ऐसे में अर्थव्यवस्था को उबारना उनके लिए बहुत बड़ी चुनौती मानी जा रही है। शहबाज शरीफ को पाकिस्तान के ऊपर लदे कर्ज को भी चुकाने का दबाव है। ऐसे में खस्ताहाल अर्थव्यवस्था से कर्ज की किश्तों को चुकाना काफी मुश्किल होगा।
पड़ोसियों से संबंध सुधारने की चुनौती
शहबाज शरीफ के सामने पड़ोसी देशों के साथ संबंध सुधारने की चुनौती है। इमरान खान के कार्यकाल में भारत और पाकिस्तान के संबंध काफी खराब हुए हैं। भारत ने दो टूक कहा है कि आतंकवाद को बंद किए बिना किसी भी मुद्दे पर बातचीत संभव नहीं है। हालांकि, शहबाज शरीफ ने भी कश्मीर राग अलापा है। उन्होंने संसद में भारत के साथ संबंधों को सुधारने की वकालत की है। उन्होंने अफगानिस्तान को अपना हमसाया मुल्क करार दिया है। शहबाज ने कहा है कि अफगानिस्तान में शांति पाकिस्तान के हित में है। उन्होंने सऊदी अरब, अमेरिका, ब्रिटेन, तुर्की, यूरोपीय यूनियन के साथ भी अच्छे संबंधों की बात की है। हालांकि, वर्तमान में पाकिस्तान का संबंध तुर्की और चीन को छोड़कर दुनिया के हर देश के साथ खराब हैं।
साथी पार्टियों को सहेजे रखना भी मुश्किल
शहबाज शरीफ को पाकिस्तानी संसद में बहुमत से सिर्फ दो वोट ज्यादा मिले हैं। इमरान खान के खिलाफ इकट्ठा हुईं अलग-अलग विचारधारा की विपक्षी पार्टियों ने शहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री बनवाया है। शहबाज शरीफ की पीएमएल-एन भले ही सत्तापक्ष की सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन उसे सरकार चलाने के लिए अपने सभी साथी पार्टियों की जरूरत है। अगर कोई भी पार्टी सरकार से समर्थन वापस लेती है तो शहबाज शरीफ की कुर्सी को खतरा पैदा हो सकता है। पाकिस्तान में वर्तमान संसद को पूरा होने में करीब 14 महीने का समय है। ऐसे में अगर सरकार गिरती है तो समय से पहले आम चुनाव करवाने पड़ सकते हैं।
सेना के साथ संबंध सुधारने की कोशिश
इमरान खान के कार्यकाल में सरकार और सेना के संबंध काफी बिगड़ गए थे। खुफिया एजेंसी आईएसआई प्रमुख के चुनाव के दौरान दोनों पक्षों की अदावत साफ देखी गई थी। पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा इसी साल नवंबर में रिटायर होने वाले हैं। उनकी पूरी कोशिश अपने कार्यकाल को बढ़वाने की है। इमरान खान इस पक्ष में बिलकुल नहीं थे, लिहाजा पाकिस्तान में राजनीतिक संकट के दौरान सेना ने विपक्ष का साथ दिया। अब शहबाज के सामने चुनौती है कि वे कमर जावेद बाजवा का कार्यकाल बढ़ाकर रिश्ते सुधारें या फिर उनसे दुश्मनी मोल लें। दरअसल, 2018 के चुनाव में जनरल बाजवा ने ही इमरान खान को प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाया था। दावा तो यह भी किया जाता है कि नवाज शरीफ को जेल पहुंचाने के पीछे जनरल बावजा का ही हाथ था। ऐसे में देखना होगा कि शहबाज शरीफ अपने भाई पर हुए जुल्मो-सितम को भूलकर नई शुरूआत करते हैं या सेना और सरकार के बीच में तकरार जारी रहती है।