Navratri 2022: बाघ के गले में सांप, रहसु की भक्ति और राजा का घमंड… थावे मंदिर में मां दुर्गा के विराजने की ऐसी है कहानी

57
Navratri 2022: बाघ के गले में सांप, रहसु की भक्ति और राजा का घमंड… थावे मंदिर में मां दुर्गा के विराजने की ऐसी है कहानी

Navratri 2022: बाघ के गले में सांप, रहसु की भक्ति और राजा का घमंड… थावे मंदिर में मां दुर्गा के विराजने की ऐसी है कहानी

गोपालगंज: पूरे देश में सोमवार से शारदीय नवरात्र (Navratri 2022) शुरू हो रहा है। इस मौके पर गोपालगंज के थावे दुर्गा मंदिर (Gopalganj Thave Mandir) का जिक्र ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता। गोपालगंज का थावे दुर्गा मंदिर उत्तर बिहार के उन प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल है। जहां पर सालभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। लेकिन यहां पर चैत्र और शारदीय नवरात्र में विशेष पूजा-अर्चना होती है। जिसके चलते यहां पर नवरात्र में प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु मां दुर्गा के दर्शन और पूजा के लिए पहुंचते हैं। वहीं थावे दुर्गा मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथाएं भी हैं। थावे मंदिर में मां दुर्गा के विराजने की ऐसी है कहानी।

gopalganj thave mandir

थावे दुर्गा मंदिर की क्या है पौराणिक कथा

किंवदंतियों के मुताबिक, पुरातन काल में गोपालगंज के इस थावे इलाके में घना जंगल हुआ करता था। उस समय एक किसान जिसका नाम रहसू भगत था। वह राजा मनन सिंह के राज्य में यहां पर खेती-बारी कर अपना परिवार चलाता था। दलित किसान रहसु भगत दुर्गा मां का परम भक्त था। वह जंगल में खेती करता और दिन रात देवी मां की आराधना में लीन रहता था। थावे मंदिर के प्रमुख पुजारी सुरेश पांडेय ने बताया कि पौराणिक कथाओं के मुताबिक, यह पूरा इलाका राजा मनन सिंह के क्षेत्र में आता था। बताया जाता है कि एक बार उस जमाने में भीषण अकाल पड़ा। जिसके बाद यहां के लोग दाने-दाने के लिए मोहताज हो गए। लेकिन थावे दुर्गा माता का परम भक्त रहसू भगत जंगल में धान की खेती से खुशहाल था। रहसू भगत उस अकाल में भी अच्छी खेती की और फसल को बाजार में बेच देता था। उससे जो भी पैसे आते उस पैसे से उसका परिवार आराम से चल रहा था।

किसान रहसु भगत और राजा मनन सिंह की कहानी

जब भीषण अकाल में भी इस किसान की खुशहाली की सूचना इस राज्य के राजा मनन सिंह को मिली। उन्होंने किसान को अपने दरबार में बुलाया। दरबार में आते ही राजा मनन सिंह ने रहसु भगत से भीषण अकाल में भी धान की अच्छी पैदावार करने और खेती की जानकारी ली। थावे मंदिर के प्रमुख पुजारी सुरेश पांडेय ने बताया कि कैसे रहसु भगत उस समय धान की खेती करते थे। वे बाघ के गले में विषैले सांपों का रस्सी बनाकर धान की दवरी करते थे। खेती-बारी से समय मिलते ही रहसू भगत देवी मां की आराधना में लीन हो जाते थे। वे मां की परम कृपा से खुशहाल जीवन जी रहे थे। राजा मनन सिंह ने जब रहसु भगत से कहा कि वे अपनी आराधना से देवी माता को यहां बुलाए। तब रहसु भगत ने राजा मनन सिंह को ऐसा नहीं करने की सलाह दी। रहसु भगत ने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो देवी मां के आते ही यहां पर आंधी तूफान शुरू हो जाएगा और यहां की धरती फट जाएगी। सब कुछ तबाह हो जाएगा। लेकिन घमंडी राजा मनन सिंह ने रहसु भगत को देवी मां की आराधना कर उन्हें बुलाने का आदेश दिया।

राजा मनन सिंह की जिद से कैसे तबाह हुआ राजपाट

राजा के आदेश के बाद रहसु भगत ने देवी मां की आराधना शुरू कर दी। भक्त रहसु की आराधना से प्रसन्न होकर देवी दुर्गा माता गौरी कामाख्या से चलकर पटना के पाटन, फिर छपरा के आमी होते हुए गोपालगंज के थावे में पहुंची। देवी मां के आते ही यहां पर भीषण आंधी तूफान शुरू हो गया। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, देवी मां यहां जैसे ही प्रकट हुईं यहां पर आकाशीय बिजली चमकी और राजा मननसिंह और उसके पूरे राजपाट की तबाही शुरू हो गई। रहसु भगत के सिर को फाड़ कर उसमें से देवी मां का कंगन और हाथ का हिस्सा बाहर निकला। इससे रहसु भगत को जहां मुक्ति मिल गई। वही देवी मां की इसी थावे जंगल में स्थापना कर दी गई। तभी से इस मंदिर में मां की पूजा शुरू हो गई। थावे मंदिर के थोड़ी दूरी पर ही उनके भक्त रहसु भगत का भी मंदिर है, जहां बाघ के गले में सांप की रस्सी बंधी हुई है।

नवरात्र के दौरान थावे दुर्गा मंदिर में विशेष पूजा

गोपालगंज के थावे दुर्गा मंदिर में हमेशा भक्तों का तांता लगा रहता है। वहीं गोपालगंज जिला प्रशासन ने मंदिर को खास ढंग से विकसित किया गया है। यहां पर पर्यटन स्थल के लिहाज से गेस्ट हाउस का निर्माण कराया गया है। इसके साथ ही मंदिर को चारों तरफ से खूबसूरत और आकर्षक तरीके से सजाया गया है। यहां एक पोखरा है। जहां चार द्वार बने हुए हैं। नवरात्र में यहां पशु बलि भी देने की प्रथा है।

थावे मंदिर कुछ भक्त रहसु भगत का भी है टेंपल

वैसे तो थावे दुर्गा मंदिर में सालभर लोग पूजा अर्चना करने आते हैं। लेकिन शारदीय और चैत्र नवरात्र में यहां श्रद्धालुओं की खासी भीड़ देखी जा सकती है। प्रतिदिन हजारों लोग यहां दर्शन करने के लिए आते हैं। बताया जाता है कि थावे में बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश, नेपाल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, बंगाल, झारखंड सहित देश के अन्य हिस्सों से भी श्रद्धालुओं का लगातार आना-जाना लगा रहता है। थावे मंदिर के थोड़ी दूरी पर ही उनके भक्त रहसु भगत का भी मंदिर है, जहां बाघ के गले में सांप की रस्सी बंधी हुई है।

थावे दुर्गा मंदिर में मिलने वाला प्रसाद भी है बेहद खास

पेडुकिया, थावे मां का प्रमुख प्रसाद है। जो भी श्रद्धालु यहां आता है प्रमुख मिठाई पेडुकिया चाव से खाता है। लोग यहां से इस प्रसिद्ध मिठाई को पैक करके घर भी ले जाते हैं। गोपालगंज जिला प्रशासन की ओर से यहां पर थावे महोत्सव का आयोजन किया जाता है। यहां पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिहाज से कई टॉयलेट का निर्माण किया गया है। सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। नवरात्र के दौरान यहां पर कंट्रोल रूम की स्थापना की जाती है।

रिपोर्ट- मुकेश कुमार, गोपालगंज

बिहार की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News