Navneet Rana: नवनीत राणा को आज अस्पताल से डिस्चार्ज मिलने की संभावना कम, लीलावती में इलाज शुरू h3>
मुंबई: जेल से रिहा होने के बाद अमरावती की सांसद नवनीत राणा (Navneet Rana) फिलहाल मुंबई के लीलावती अस्पताल में इलाज करवा रही हैं। वो गुरुवार को अस्पताल में भर्ती हुई थी। अब तक यह संभावना जताई जा रही थी कि वो आज अस्पताल से डिस्चार्ज हो सकती हैं। हालांकि अब सूत्रों के जरिए यह जानकारी मिल रही है कि उन्हें आज भी डॉक्टरों की निगरानी में अस्पताल में रहना पड़ सकता है। नवनीत राणा स्पॉन्डिलाइटिस की शिकायत से परेशान हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के घर मातोश्री पर हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) पढ़ने की तैयारियों के बीच नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा को मुंबई पुलिस (Mumbai Police) ने गिरफ्तार किया था। उस दौरान उनके ऊपर कई मामले दर्ज किए गए थे। जिसके बाद उन्हें जुडिशल कस्टडी में भेजा गया था। न्यायिक हिरासत में रहने के दौरान नवनीत राणा को स्पोंडिलाइटिस की शिकायत शुरू हुई थी। कल उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। इस बीच उन्हें मुंबई (Mumbai) के जेजे अस्पताल में भी इलाज के लिए लेकर जाया गया था।
दोबारा ऐसी गलती नहीं करेगा राणा दंपत्ति
नवनीत राणा और उनके पति को बुधवार के दिन अदालत ने जमानत दी। यह जमानत सत्र न्यायालय ने कई शर्तों के साथ मंजूर की है। बुधवार को अदालत में आने के पहले नवनीत राणा की जेल में तबीयत बिगड़ने की वजह से उन्हें मुंबई के जेजे अस्पताल भी लेकर जाया गया था। सत्र न्यायालय ने कहा है कि राणा दंपत्ति इस प्रकार का अपराध दोबारा नहीं करेंगे। इसके अलावा वे सबूतों और गवाहों के साथ में किसी प्रकार की छेड़छाड़ या दबाव डालने का प्रयास नहीं करेंगे। इतना ही नहीं राणा दंपत्ति इस विषय पर कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस, मीडिया या फिर सोशल मीडिया में किसी भी प्रकार का वक्तव्य नहीं करेंगे। यदि इनमें से किसी भी शर्त का उल्लंघन किया गया तो उनकी जमानत रद्द कर दी जाएगी।
राणा दंपत्ति पर ‘राजद्रोह’ का मुकदमा गलत!
अमरावती के सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा को मुंबई सत्र न्यायालय ने जमानत देते हुए बेहद अहम टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि उनपर लगाई गई राजद्रोह की धारा गलत है। अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए कहा था कि इस मामले में धारा 124(अ) का इस्तेमाल गलत है। जिसके एक दिन बाद राणा दंपत्ति गुरुवार को जेल से बाहर आए थे। अदालत के इस फैसले के बाद राज्य सरकार पर फिर से उंगलियां उठना शुरू हो चुकी है। न सिर्फ सरकार बल्कि मुंबई पुलिस पर भी सवाल उठाये जा सकते हैं। इसके पहले भी राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह मौत मामले में मुंबई पुलिस की कार्यशैली पर जमकर निशाना साध चुकी है। बीजेपी की तरफ से अक्सर यह आरोप लगाया जाता है कि महाविकास अघाड़ी सरकार पुलिस का अपने फायदे के लिए दुरुपयोग कर रही है।
अदालत ने अपने आदेश में क्या कहा?
1) सरकार और प्रशासन की नीतियों पर टिप्पणी करने पर किसी व्यक्ति को आईपीसी की कलम 124 ए के तहत आरोपी नहीं बनाया जा सकता।
2) सरकार पर टिप्पणी करना लेकिन किसी हिंसा को प्रोत्साहित न करते हुए कठोर शब्दों का इस्तेमाल करना यह दंडनीय नहीं माना जा सकता।
3) अदालत ने कहा कि किसी नागरिक को सरकार या प्रशासन के खिलाफ लिखने एवं बोलने का पूरा अधिकार है हालांकि वह किसी हिंसक गतिविधि में लिप्त नहीं होना चाहिए।
4) अदालत ने कहा कि इस मामले में आरोपी ने अभिव्यक्ति की आज़ादी की मर्यादा को तोड़ा तो भी धारा 124(अ) के तहत केवल अपमानजनक और आक्षेप लायक शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। लिखित या बोलकर शब्दों द्वारा हिंसक गतिविधि के जरिये अमन चैन बिगाड़ने के प्रयास पर ही इस धारा का प्रयोग किया जा सकता है।
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दोबारा ऐसी गलती नहीं करेगा राणा दंपत्ति
नवनीत राणा और उनके पति को बुधवार के दिन अदालत ने जमानत दी। यह जमानत सत्र न्यायालय ने कई शर्तों के साथ मंजूर की है। बुधवार को अदालत में आने के पहले नवनीत राणा की जेल में तबीयत बिगड़ने की वजह से उन्हें मुंबई के जेजे अस्पताल भी लेकर जाया गया था। सत्र न्यायालय ने कहा है कि राणा दंपत्ति इस प्रकार का अपराध दोबारा नहीं करेंगे। इसके अलावा वे सबूतों और गवाहों के साथ में किसी प्रकार की छेड़छाड़ या दबाव डालने का प्रयास नहीं करेंगे। इतना ही नहीं राणा दंपत्ति इस विषय पर कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस, मीडिया या फिर सोशल मीडिया में किसी भी प्रकार का वक्तव्य नहीं करेंगे। यदि इनमें से किसी भी शर्त का उल्लंघन किया गया तो उनकी जमानत रद्द कर दी जाएगी।
राणा दंपत्ति पर ‘राजद्रोह’ का मुकदमा गलत!
अमरावती के सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा को मुंबई सत्र न्यायालय ने जमानत देते हुए बेहद अहम टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि उनपर लगाई गई राजद्रोह की धारा गलत है। अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए कहा था कि इस मामले में धारा 124(अ) का इस्तेमाल गलत है। जिसके एक दिन बाद राणा दंपत्ति गुरुवार को जेल से बाहर आए थे। अदालत के इस फैसले के बाद राज्य सरकार पर फिर से उंगलियां उठना शुरू हो चुकी है। न सिर्फ सरकार बल्कि मुंबई पुलिस पर भी सवाल उठाये जा सकते हैं। इसके पहले भी राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह मौत मामले में मुंबई पुलिस की कार्यशैली पर जमकर निशाना साध चुकी है। बीजेपी की तरफ से अक्सर यह आरोप लगाया जाता है कि महाविकास अघाड़ी सरकार पुलिस का अपने फायदे के लिए दुरुपयोग कर रही है।
अदालत ने अपने आदेश में क्या कहा?
1) सरकार और प्रशासन की नीतियों पर टिप्पणी करने पर किसी व्यक्ति को आईपीसी की कलम 124 ए के तहत आरोपी नहीं बनाया जा सकता।
2) सरकार पर टिप्पणी करना लेकिन किसी हिंसा को प्रोत्साहित न करते हुए कठोर शब्दों का इस्तेमाल करना यह दंडनीय नहीं माना जा सकता।
3) अदालत ने कहा कि किसी नागरिक को सरकार या प्रशासन के खिलाफ लिखने एवं बोलने का पूरा अधिकार है हालांकि वह किसी हिंसक गतिविधि में लिप्त नहीं होना चाहिए।
4) अदालत ने कहा कि इस मामले में आरोपी ने अभिव्यक्ति की आज़ादी की मर्यादा को तोड़ा तो भी धारा 124(अ) के तहत केवल अपमानजनक और आक्षेप लायक शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। लिखित या बोलकर शब्दों द्वारा हिंसक गतिविधि के जरिये अमन चैन बिगाड़ने के प्रयास पर ही इस धारा का प्रयोग किया जा सकता है।
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