National Monetisation Pipeline: इस फाइनेंशियल ईयर में 1.62 लाख करोड़ रुपये की एसेट्स बेचेगी सरकार, जानिए क्या-क्या बिकेगा h3>
नई दिल्ली: सरकार फाइनेंशियल ईयर 2022-23 के दौरान 1,62,422 करोड़ रुपये की एसेट्स बेचेगी। सरकार ने पिछले साल छह लाख करोड़ रुपये का नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन (National Monetisation Pipeline) प्रोग्राम शुरू किया था। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि पिछले वित्त वर्ष में लगभग 97,000 करोड़ रुपये की एसेट्स को बेचा गया था। पिछले साल अगस्त में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने National Monetisation Pipeline को लॉन्च किया था। इसमें ब्राउनफील्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर एसेट्स को बेचने के लिए 4 साल की योजना बनाई गई है। इसके तहत वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2025 तक 6 लाख करोड़ रुपये के एसेट्स बेचने की योजना है।
चौधरी ने कहा कि इस प्रोग्राम का मकसद रेलवे से लेकर रोड और पावर से जुड़ी इन्फ्रा एसेट्स की वैल्यू को अनलॉक करना है। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान हाइवे टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर पर आधारित पीपीपी कंसेशंस, एनएचएआई का इनविट और पावरग्रिड इनविट का ट्रांजैक्शन किया गया, मिनरल और कोल ब्लॉक की नीलामी की गई, रेलवे स्टेशनों के नए सिरे से विकास के लिए निजी निवेश आया, छह एयरपोर्ट्स को पीपीपी मोड पर लीज पर दिया गया और बंदरगाहों में पीपीपी मोड में निवेश आया।
क्या-क्या बेचने की है तैयारी
National Monetisation Pipeline में ब्राउनफील्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर एसेट्स को बेचने के लिए 4 साल की योजना बनाई गई है। इसके तहत वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2025 तक छह लाख करोड़ रुपये के एसेट्स बेचे जाने हैं। इसमें सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग, रेलवे, बिजली, पाइपलाइन एवं नेचुरल गैस, सिविल एविएशन, शिपिंग पोर्ट्स एंड वॉटरवेज, टेलिकम्युनिकेशंस, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण, माइनिंग, कोल और हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स मंत्रालयों से जुड़े एसेट्स शामिल हैं।
सीतारमण ने तब कहा था कि सरकार केवल अंडर-यूटिलाइज्ड एसेट्स को ही बेचेगी। इसका हक सरकार के पास ही रहेगा और प्राइवेट सेक्टर के पार्टनर्स को तय समय के बाद अनिवार्य रूप से वापस करना होगा। उन्होंने कहा कि हम कोई जमीन नहीं बेच रहे हैं। नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन में ब्राउनफील्ड एसेट्स की बात कही गई है जिन्हें बेहतर ढंग से मॉनिटाइज करने की जरूरत है। निजी भागीदारी से हम इन्हें बेहतर ढंग से मोनीटाइज कर रहे हैं। मॉनेटाइजेशन से मिलने वाले संसाधनों को इन्फ्रास्ट्रक्चर बिल्डिंग में निवेश किया जाएगा।
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क्या-क्या बेचने की है तैयारी
National Monetisation Pipeline में ब्राउनफील्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर एसेट्स को बेचने के लिए 4 साल की योजना बनाई गई है। इसके तहत वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2025 तक छह लाख करोड़ रुपये के एसेट्स बेचे जाने हैं। इसमें सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग, रेलवे, बिजली, पाइपलाइन एवं नेचुरल गैस, सिविल एविएशन, शिपिंग पोर्ट्स एंड वॉटरवेज, टेलिकम्युनिकेशंस, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण, माइनिंग, कोल और हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स मंत्रालयों से जुड़े एसेट्स शामिल हैं।
सीतारमण ने तब कहा था कि सरकार केवल अंडर-यूटिलाइज्ड एसेट्स को ही बेचेगी। इसका हक सरकार के पास ही रहेगा और प्राइवेट सेक्टर के पार्टनर्स को तय समय के बाद अनिवार्य रूप से वापस करना होगा। उन्होंने कहा कि हम कोई जमीन नहीं बेच रहे हैं। नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन में ब्राउनफील्ड एसेट्स की बात कही गई है जिन्हें बेहतर ढंग से मॉनिटाइज करने की जरूरत है। निजी भागीदारी से हम इन्हें बेहतर ढंग से मोनीटाइज कर रहे हैं। मॉनेटाइजेशन से मिलने वाले संसाधनों को इन्फ्रास्ट्रक्चर बिल्डिंग में निवेश किया जाएगा।
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