Narendra Modi Cabinet: क्या होने जा रही मोदी कैबिनेट में हरसिमरत कौर की वापसी? लोकसभा चुनाव से पहले NDA का बढ़ेगा कुनबा h3>
चंडीगढ़\नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 (Loksabha Election 2024) को लेकर राजनीति सरगर्मी तेज हो गई है। विपक्षी दलों की एकजुटता के बीच बीजेपी में भी हलचल है। बीजेपी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के बिखरे कुनबे को एकजुट करने की कवायद शुरू कर दी है। इसकी शुरुआत नरेंद्र मोदी कैबिनेट विस्तार से होने की संभावना है। चर्चा है कि मोदी कैबिनेट विस्तार में बीजेपी अपने सबसे पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) को शामिल कर सकता है। ऐसे में हरसिमरत कौर बादल (Harsimrat Kaur Badal) को एक बार फिर कैबिनेट मंत्री की कुर्सी मिल सकती है। वहीं एनडीए को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले शिरोमणि अकाली दल के रूप में पुरानी साथी मिल जाएगा। दरअसल किसान बिल को लेकर शिरोमणि अकाली दल ने केंद्र से नाराजगी जताई थी। इसके बाद पार्टी ने ऐलान किया था कि वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का हिस्सा नहीं हैं।
दरअसल विपक्षी दलों की ओर से 2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर एकजुटता को लेकर जारी प्रयासों के बीच सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) भी एनडीए को बड़ा स्वरूप देने में जुटी हुई है। साथ ही उसकी कोशिश है कि वह इसका शक्ति प्रदर्शन भी करे। बीजेपी सूत्रों ने कहा कि एनडीए की बढ़ती ताकत को दिखाने के लिए जल्द ही एक बैठक होने की उम्मीद है। वहीं केंद्रीय मंत्रिपरिषद में किसी भी तरह के संभावित फेरबदल में बीजेपी की कोशिश उन सभी सहयोगियों को भी शामिल करने की है, जिन्हें हाल के दिनों में बीजेपी का साथ मिला है।
मोदी कैबिनेट में अभी कितने सहयोगी
अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंत्रिपरिषद में सहयोगी दलों के तीन सदस्य ही हैं। आरएलजेपी के पशुपति कुमार पारस एकमात्र कैबिनेट सदस्य हैं, जबकि अपना दल की अनुप्रिया पटेल और आरपीआई के रामदास अठावले राज्य मंत्री हैं। बीजेपी ने हाल ही में एक बयान में 13 दलों के नेताओं के हस्ताक्षर प्राप्त किए थे, जिसमें संसद के नए भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के लिए कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की आलोचना की गई थी। बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अन्नाद्रमुक नेता ई के पलनीस्वामी के अलावा पूर्वोत्तर राज्यों में सत्तारूढ़ दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता शामिल थे।
अकाली दल के आने से मजबूत होगा एनडीए
शिरोमणि अकाली दल अगर बीजेपी के साथ आने को तैयार हो जाता है तो एनडीए को और मजबूती मिलेगी। वहीं लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पंजाब में उसे एक और साथी मिल जाएगा। सूत्रों की माने तो किसान बिल को लेकर अलग हुए शिरोमणि अकाली दल के खिलाफ बीजेपी ने कभी हमला नहीं बोला। बल्कि उसके सभी नेताओं ने बेहतर संबंध बनाने की कोशिश की।
अकाली दल से नजदीकी पर राजनाथ ने कही थी अहम बात
अभी कुछ दिन पहले चंडीगढ़ पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पर हमला बोला। वहीं उन्होंने अकाली दल के गठबंधन तोड़ने को लेकर बड़ा बयान दिया। राजनाथ सिंह ने कहा कि मुझे प्रकाश सिंह बादल की याद आती है। वो अब हमारे गठबंधन में नहीं हैं। मैं नहीं जानता वो क्या कारण थे और क्यों वह गठबंधन को छोड़कर चले गए। उन्होंने कहा कि जिसे भी हम गठबंधन में शामिल करते हैं, उनका पूरा सम्मान करते हैं। अगर वो दूर चले भी जाएं तो हम किसी को दिल से दूर नहीं करते।
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दरअसल विपक्षी दलों की ओर से 2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर एकजुटता को लेकर जारी प्रयासों के बीच सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) भी एनडीए को बड़ा स्वरूप देने में जुटी हुई है। साथ ही उसकी कोशिश है कि वह इसका शक्ति प्रदर्शन भी करे। बीजेपी सूत्रों ने कहा कि एनडीए की बढ़ती ताकत को दिखाने के लिए जल्द ही एक बैठक होने की उम्मीद है। वहीं केंद्रीय मंत्रिपरिषद में किसी भी तरह के संभावित फेरबदल में बीजेपी की कोशिश उन सभी सहयोगियों को भी शामिल करने की है, जिन्हें हाल के दिनों में बीजेपी का साथ मिला है।
मोदी कैबिनेट में अभी कितने सहयोगी
अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंत्रिपरिषद में सहयोगी दलों के तीन सदस्य ही हैं। आरएलजेपी के पशुपति कुमार पारस एकमात्र कैबिनेट सदस्य हैं, जबकि अपना दल की अनुप्रिया पटेल और आरपीआई के रामदास अठावले राज्य मंत्री हैं। बीजेपी ने हाल ही में एक बयान में 13 दलों के नेताओं के हस्ताक्षर प्राप्त किए थे, जिसमें संसद के नए भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के लिए कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की आलोचना की गई थी। बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अन्नाद्रमुक नेता ई के पलनीस्वामी के अलावा पूर्वोत्तर राज्यों में सत्तारूढ़ दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता शामिल थे।
अकाली दल के आने से मजबूत होगा एनडीए
शिरोमणि अकाली दल अगर बीजेपी के साथ आने को तैयार हो जाता है तो एनडीए को और मजबूती मिलेगी। वहीं लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पंजाब में उसे एक और साथी मिल जाएगा। सूत्रों की माने तो किसान बिल को लेकर अलग हुए शिरोमणि अकाली दल के खिलाफ बीजेपी ने कभी हमला नहीं बोला। बल्कि उसके सभी नेताओं ने बेहतर संबंध बनाने की कोशिश की।
अकाली दल से नजदीकी पर राजनाथ ने कही थी अहम बात
अभी कुछ दिन पहले चंडीगढ़ पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पर हमला बोला। वहीं उन्होंने अकाली दल के गठबंधन तोड़ने को लेकर बड़ा बयान दिया। राजनाथ सिंह ने कहा कि मुझे प्रकाश सिंह बादल की याद आती है। वो अब हमारे गठबंधन में नहीं हैं। मैं नहीं जानता वो क्या कारण थे और क्यों वह गठबंधन को छोड़कर चले गए। उन्होंने कहा कि जिसे भी हम गठबंधन में शामिल करते हैं, उनका पूरा सम्मान करते हैं। अगर वो दूर चले भी जाएं तो हम किसी को दिल से दूर नहीं करते।